पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर रहा बूढ़ापहाड़ पर 30 वर्षों के बाद मतदान केंद्र बनाया गया है. पहली बार इलाके के ग्रामीण वोट देने के लिए उत्साहित हैं. निर्वाचन आयोग इलाके के ग्रामीणों को वोट देने के लिए जागरूक कर रहा है. शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार और आईजी अभियान सह नोडल अधिकारी अमोल बी होमकर के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम बूढ़ापहाड़ पहुंची थी.
बूढ़ापहाड़ के हेसातु मतदान केंद्र पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इलाके के ग्रामीणों के साथ बातचीत की. इस दौरान मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने स्थानीय वोटरों की समस्याएं सुनी और पुराने हालात की जानकारी ली. ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि नक्सलियों के खौफ के कारण पहले ग्रामीण वोट देने नहीं जा पाते थे, जबकि मतदान केंद्र बदलने से ग्रामीणों को वोट देने के लिए 15 से 20 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था.
भय मुक्त हुआ इलाका, पहले छुप-छुप कर वोट देने जाते थे लोग- के रवि कुमार
बूढ़ापहाड़ के इलाके में ग्रामीणों से बातचीत करने के बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने मीडिया से कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बूढ़ापहाड़ इलाके में हालात बदले हैं. इलाका भयमुक्त हुआ है. सुरक्षाबलों और जवानों ने काफी मेहनत की है. इलाका सुरक्षित हुआ है और इलाके में सुविधा बढ़ाई जा रही हैं. हालांकि जब इलाका नक्सल प्रभावित था तो उस वक्त भी वोटिंग होती थी, लेकिन मतदाता छुप-छुप कर वोट देने जाते थे. लेकिन अब सिर उठा के वोट देंगे. इस दौरान आईजी अभियान सह पुलिस के नोडल अधिकारी एबी होमकर, सीआरपीएफ आईजी, डीआईजी एसटीएफ इंद्रजीत महथा, सीआरपीएफ डीआईजी सतीश लिंडा, गढ़वा डीसी शेखर जमुआर, गढ़वा एसपी दीपक पांडेय मौजूद थे.
बूढ़ापहाड़ के इलाके में कहां है हेसातु, जहां 30 वर्षों के बाद बनाया गया है मतदान केंद्र
बूढ़ापहाड़ इलाके के हेसातु में 30 वर्षों के बाद मतदान केंद्र बनाया गया है. यह गढ़वा के बड़गड प्रखंड की टेहरी पंचायत में पड़ता है. हेसातु में बूढ़ापहाड़ के टॉप पर मौजूद झालुडेरा, कुल्हि, सरूअत, बेहेराटोली आदि गांव का मतदान केंद्र बनाया जाना है. हेसातु छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है. 2017-18 में हेसातु में पहली बार पुलिस और सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया था.
बूढ़ापहाड़ के इलाके में हेसातु से ही माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जाता था. सितंबर 2022 में बूढ़ापहाड़ इलाके में माओवादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस की शुरुआत की गई. जनवरी 2023 में बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया था. सुरक्षाबलों के कब्जे के बाद पहली बार बूढ़ापहाड़ में राज्य का कोई मुख्यमंत्री पहुंचा था.
बूढ़ापहाड़ के इलाके में पहली बार पहुंची है निर्वाचन आयोग की टीम
बूढ़ापहाड़ के इलाके में पहली बार निर्वाचन आयोग की टीम पहुंची है. इससे पहले बूढ़ापहाड़ के इलाके में मतदान केंद्रों को रीलोकेट कर दिया जाता था. लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदान कर्मी बूढ़ापहाड़ के कोर एरिया में दाखिल होने वाले हैं. पूर्व में बूढ़ापहाड़ के इलाके में मतदान केंद्र को रीलोकेट किया जाता था, जिस कारण ग्रामीणों को 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता. मतदान केंद्रों रीलोकेट कर बूढ़ापहाड़ के कोर एरिया से दूर किया जाता था और हेलीकॉप्टर से मतदान कर्मियों को भेजा जाता था.
बूढ़ापहाड़ से माओवादी जारी करते थे वोट बहिष्कार का फरमान
बूढ़ापहाड़ के इलाके से माओवादी वोट बहिष्कार का फरमान जारी करते थे. पिछले तीन दशक से माओवादी बूढ़ापहाड़ के इलाके के ग्रामीणों को वोट देने से रोक रहे थे. बूढ़ापहाड़ के इलाके में 27 गांव में 89 टोले हैं. इलाके के 16 गांव गढ़वा, जबकि 11 गांव लातेहार के इलाके में हैं. बूढ़ापहाड के इलाके में 3908 घरो में करीब 19836 लोगों की आबादी है. इलाके में 76 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति हैं, जबकि आठ प्रतिशत आबादी आदिम जनजाति हैं.
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