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रेड कॉरिडोर के इलाके में लोगों को ब्लू स्याही का इंतजार, माओवादियों के गढ़ में वोटिंग के लिए उत्साह - Election in Red Corridor area - ELECTION IN RED CORRIDOR AREA

चुनाव आयोग झारखंड के उन इलाकों में बंपर वोटिंग करवाने की पूरी कोशिश कर रहा है. जहां कभी नक्सलियों का वर्चस्व हुआ करता था, आज यहां के मतदाता निर्भीक होकर मतदान करने के लिए उत्साहित हैं.

ELECTION IN RED CORRIDOR AREA
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 26, 2024, 5:29 PM IST

Updated : Apr 26, 2024, 8:48 PM IST

पलामू: रेड कॉरिडोर का जिक्र होने के साथ ही माओवादियों के उस इलाके की तस्वीर उभरती है, जहां सब कुछ माओवादियों के फरमान पर निर्भर करता था. माओवादियों के फरमान के बाद लोग वोट नहीं देते थे. अब उस इलाके में बदलाव की बयार बह रही है. लोगों को अब लाल फरमान की चिंता नहीं है, बल्कि ब्लू स्याही लगाने के लिए लोग उत्साहित हैं.

रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले इलाके के लोग अब बुलेट का जवाब बैलेट से देना चाह रहे हैं. पलामू लोकसभा क्षेत्र भी रेड कॉरिडोर जोन का हिस्सा रहा है. कई दशक तक माओवादी यहां वोट बहिष्कार का फरमान जारी करते रहे थे. उनके फरमान के बाद कई इलाकों के लोग वोट देने नहीं जाते थे. अब उस इलाके में बंपर वोटिंग की तैयारी हो रही है.

कई इलाकों में दशकों बाद बनाया गया है मतदान केंद्र, पहली बार होगा चुनाव प्रचार

पलामू लोकसभा क्षेत्र में कई इलाकों में दशकों के बाद मतदान केंद्र बनाया गया है. कई इलाकों में मतदान केंद्रों को रीलोकेट नहीं किया जा रहा है. माओवादियों के वोट बहिष्कार के कारण झारखंड बिहार सीमा और बूढ़ा पहाड़ के इलाके में कई मतदान केंद्रों को रीलोकेट किया जाता था. बूढ़ा पहाड़ के हेसातु समेत कई इलाकों में 30 वर्षों के मतदान केंद्र बनाया गया है. झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद कई मतदान केंद्रों पर पहली बार पोलिंग पार्टी पैदल जाने वाली है.

'नक्सल प्रभावित इलाकों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की जा रही है ताकि लोग अधिक से अधिक वोटिंग कर सकें. इलाके में बदलाव हुआ है और सुरक्षित माहौल भी तैयार हुआ है. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में काफी बदलाव हुए हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए योजना तैयार की गई है '- वाईएस रमेश , डीआईजी, पलामू

बूढ़ा पहाड़ और झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी सबसे अधिक वोट बहिष्कार के फरमान जारी करते थे और हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे. माओवादियों के फरमान बूढ़ा पहाड़, भंडरिया, पिपरा, हरिहरगंज, नौडीहा बाजार,पांडु और हुसैनाबाद के कई इलाकों में प्रचार भी प्रभावित होती थी. पलामू नौडीहा बाजार के रहने वाले सुरेंद्र यादव ने बताया नक्सलियों के फरमान के बाद वोट देने में डर लगता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोक वोट देने को काफी उत्साहित हैं. ग्रामीण उदेश्वर ने बताया कि माहौल बदल गया है पहले जैसा माहौल नहीं है.

वोटिंग से पहले माओवादी विस्फोट कर उड़ा देते थे मतदान केंद्र, अब बदल गए हालात

नवंबर 2011 में माओवादियों ने पलामू के हरिहरगंज में एक ही रात विस्फोट कर 11 स्कूल भवनों को उड़ा दिया था. सभी स्कूल भवन मतदान केंद्र थे. 2004 से 2014 तक पलामू के नक्सल प्रभावित इलाकों में 40 से अधिक मतदान भवनों को विस्फोट कर उड़ाया था. वोट बहिष्कार के बाद माओवादी मतदान केंद्रों को नुकसान पहुंचाते थे.

2014-15 के बाद पुलिस एवं सुरक्षाबलों ने कई बिंदुओं पर कार्य शुरू किया. पुलिस एवं सुरक्षा बलों के अभियान के बाद माओवादी धीरे-धीरे कमजोर होते गए. 2019 में माओवादियों ने बूढ़ा पहाड़ और बिहार के छकरबंधा से वोट बहिष्कार का फरमान जारी किया था. 2022-23 में छकरबंधा और बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया.

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पलामू: रेड कॉरिडोर का जिक्र होने के साथ ही माओवादियों के उस इलाके की तस्वीर उभरती है, जहां सब कुछ माओवादियों के फरमान पर निर्भर करता था. माओवादियों के फरमान के बाद लोग वोट नहीं देते थे. अब उस इलाके में बदलाव की बयार बह रही है. लोगों को अब लाल फरमान की चिंता नहीं है, बल्कि ब्लू स्याही लगाने के लिए लोग उत्साहित हैं.

रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले इलाके के लोग अब बुलेट का जवाब बैलेट से देना चाह रहे हैं. पलामू लोकसभा क्षेत्र भी रेड कॉरिडोर जोन का हिस्सा रहा है. कई दशक तक माओवादी यहां वोट बहिष्कार का फरमान जारी करते रहे थे. उनके फरमान के बाद कई इलाकों के लोग वोट देने नहीं जाते थे. अब उस इलाके में बंपर वोटिंग की तैयारी हो रही है.

कई इलाकों में दशकों बाद बनाया गया है मतदान केंद्र, पहली बार होगा चुनाव प्रचार

पलामू लोकसभा क्षेत्र में कई इलाकों में दशकों के बाद मतदान केंद्र बनाया गया है. कई इलाकों में मतदान केंद्रों को रीलोकेट नहीं किया जा रहा है. माओवादियों के वोट बहिष्कार के कारण झारखंड बिहार सीमा और बूढ़ा पहाड़ के इलाके में कई मतदान केंद्रों को रीलोकेट किया जाता था. बूढ़ा पहाड़ के हेसातु समेत कई इलाकों में 30 वर्षों के मतदान केंद्र बनाया गया है. झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद कई मतदान केंद्रों पर पहली बार पोलिंग पार्टी पैदल जाने वाली है.

'नक्सल प्रभावित इलाकों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की जा रही है ताकि लोग अधिक से अधिक वोटिंग कर सकें. इलाके में बदलाव हुआ है और सुरक्षित माहौल भी तैयार हुआ है. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में काफी बदलाव हुए हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए योजना तैयार की गई है '- वाईएस रमेश , डीआईजी, पलामू

बूढ़ा पहाड़ और झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी सबसे अधिक वोट बहिष्कार के फरमान जारी करते थे और हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे. माओवादियों के फरमान बूढ़ा पहाड़, भंडरिया, पिपरा, हरिहरगंज, नौडीहा बाजार,पांडु और हुसैनाबाद के कई इलाकों में प्रचार भी प्रभावित होती थी. पलामू नौडीहा बाजार के रहने वाले सुरेंद्र यादव ने बताया नक्सलियों के फरमान के बाद वोट देने में डर लगता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोक वोट देने को काफी उत्साहित हैं. ग्रामीण उदेश्वर ने बताया कि माहौल बदल गया है पहले जैसा माहौल नहीं है.

वोटिंग से पहले माओवादी विस्फोट कर उड़ा देते थे मतदान केंद्र, अब बदल गए हालात

नवंबर 2011 में माओवादियों ने पलामू के हरिहरगंज में एक ही रात विस्फोट कर 11 स्कूल भवनों को उड़ा दिया था. सभी स्कूल भवन मतदान केंद्र थे. 2004 से 2014 तक पलामू के नक्सल प्रभावित इलाकों में 40 से अधिक मतदान भवनों को विस्फोट कर उड़ाया था. वोट बहिष्कार के बाद माओवादी मतदान केंद्रों को नुकसान पहुंचाते थे.

2014-15 के बाद पुलिस एवं सुरक्षाबलों ने कई बिंदुओं पर कार्य शुरू किया. पुलिस एवं सुरक्षा बलों के अभियान के बाद माओवादी धीरे-धीरे कमजोर होते गए. 2019 में माओवादियों ने बूढ़ा पहाड़ और बिहार के छकरबंधा से वोट बहिष्कार का फरमान जारी किया था. 2022-23 में छकरबंधा और बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया.

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Last Updated : Apr 26, 2024, 8:48 PM IST
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