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कोरबा के चुनावी दंगल में रिक्शेवालों की हुई पौ बारह, पांच मई तक के लिए मिला पर्मानेंट रोजगार - LOK SABHA ELECTION 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

कोरबा लोकसभा सीट पर इस बार चुनावी दंगल कुछ खास है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने मुकाबले में इस बार महिलाओं को टिकट दिया है. दोनों ही पार्टियां प्रचार में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही हैं.

LOK SABHA ELECTION 2024
ठेले और रिक्शेवालों की हुई पौ बारह
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 21, 2024, 7:56 PM IST

Updated : Apr 21, 2024, 10:54 PM IST

चुनावी सीजन में रिक्शा और ठेलेवालों के अच्छे दिन

कोरबा: लोकसभा चुनाव में जहां एक ओर हाईटक प्रचार हो रहा है. पार्टियों ने जीत के लिए वार रुम तक बनाए हैं वहीं कोरबा में रिक्शा चलाने वाले मजदूर भी अब इस प्रचार की जंग में कूद पड़े हैं. कांग्रेस पार्टी ने रिक्शा चलाने वाले लोगों के रिक्शे में अपने प्रचार का बोर्ड बांध दिया है. ये मजदूर शहर में घूम घूम कर प्रचार का काम कर रहे हैं. बिना सवारी के शहर में प्रचार करने का जहां इनको पैसा मिल रहा है वहां बिना सवारी बिठाए रिक्शे को खीचने में इनको मेहनत नहीं करनी पड़ रही है. प्रचार का ये नया रंग लोगों को भी खूब भा रहा है.


प्रचार का रंग, रिक्शे के संग: सामान्य दिनों में बोझ ढोकर हाथ रिक्शा खींचने वाले मजदूरों का बोझ जरूर काम हुआ है. कांग्रेस प्रत्याशी ने लगभग दर्जन भर हाथ रिक्शा वाले दिहाड़ी मजदूरों को प्रचार का काम सौंपा है. जिन्हें हाथ रिक्शा पर फ्लेक्स रखकर शहर के अलग-अलग रूटों में घूमने की जिम्मेदारी दी गई है. रिक्शा के पीछे फ्लेक्स रखकर ये दिनभर शहर में चक्कर लगाते हैं. लाउडस्पीकर पर गाना भी चलता रहता है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. सभी मजदूरों को अलग-अलग रूट पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है.


कमाई में हुआ इजाफा: पहले जहां इन मजदूरों को एक दिन में 700 से लेकर 1000 रुपए कमाई से मिलते थे. मेहतन भी अधिक करनी पड़ती थी. कभी जरूरत से ज्यादा सामान लादकर भी चलना पड़ता था. थकावट अलग होती थी. पर अब इन मजदूरों की मानों लॉटरी निकल आई है. अब इनको तय समय पर प्रचार करना है और मेहनताना भी रोज का 700 फिक्स है. कभी कभी मुसाफिर नहीं मिलने पर ये खाली हाथ भी घर लौट जाते थे. पर अब पांच मई तक इनको सात सौ रुपए हर दिन मिलेगा. काम और पैसा दोनों फिक्स होने से ये काफी खुश हैं.

पहले हम गिट्टी, सीमेंट, लोहा बताये गए पते तक लेकर जाते थे. बोझ अलग ढोना पड़ता था. अब तो राहत की बात है. थोड़ा आराम भी मिला है. रोज की एक स्थायी कमाई भी हो जाती है. सात से आठ लोग ये प्रचार का काम कर रहे हैं. सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे के बीच हम निकलते हैं. पूरे दिन शहर में चक्कर लगाते हैं. अलग अलग रुट पर प्रचार करते हैं. रात के 9 बजे तक हम ये काम करते हैं. - नरेश पाल, रिक्शा चालक


चुनाव ने दिलाया मजदूरों को काम: हम्माली और मजदूरी करने वालों को अगर तय समय पर पैसा और निश्चित राशि मिल जाती है तो उससे ही उसका मन खुश हो जाता है. नेताओं के वादों पर भले ही ये लोग विश्वास नहीं करें, नेताओं को भले ही पसंद नहीं करें लेकिन ये रिक्शेवाले अब नेताजी के प्रचार का जिम्मा उठाकर पहली बार खुश हुए हैं.

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प्रचार का रंग, रिक्शे के संग: सामान्य दिनों में बोझ ढोकर हाथ रिक्शा खींचने वाले मजदूरों का बोझ जरूर काम हुआ है. कांग्रेस प्रत्याशी ने लगभग दर्जन भर हाथ रिक्शा वाले दिहाड़ी मजदूरों को प्रचार का काम सौंपा है. जिन्हें हाथ रिक्शा पर फ्लेक्स रखकर शहर के अलग-अलग रूटों में घूमने की जिम्मेदारी दी गई है. रिक्शा के पीछे फ्लेक्स रखकर ये दिनभर शहर में चक्कर लगाते हैं. लाउडस्पीकर पर गाना भी चलता रहता है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. सभी मजदूरों को अलग-अलग रूट पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है.


कमाई में हुआ इजाफा: पहले जहां इन मजदूरों को एक दिन में 700 से लेकर 1000 रुपए कमाई से मिलते थे. मेहतन भी अधिक करनी पड़ती थी. कभी जरूरत से ज्यादा सामान लादकर भी चलना पड़ता था. थकावट अलग होती थी. पर अब इन मजदूरों की मानों लॉटरी निकल आई है. अब इनको तय समय पर प्रचार करना है और मेहनताना भी रोज का 700 फिक्स है. कभी कभी मुसाफिर नहीं मिलने पर ये खाली हाथ भी घर लौट जाते थे. पर अब पांच मई तक इनको सात सौ रुपए हर दिन मिलेगा. काम और पैसा दोनों फिक्स होने से ये काफी खुश हैं.

पहले हम गिट्टी, सीमेंट, लोहा बताये गए पते तक लेकर जाते थे. बोझ अलग ढोना पड़ता था. अब तो राहत की बात है. थोड़ा आराम भी मिला है. रोज की एक स्थायी कमाई भी हो जाती है. सात से आठ लोग ये प्रचार का काम कर रहे हैं. सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे के बीच हम निकलते हैं. पूरे दिन शहर में चक्कर लगाते हैं. अलग अलग रुट पर प्रचार करते हैं. रात के 9 बजे तक हम ये काम करते हैं. - नरेश पाल, रिक्शा चालक


चुनाव ने दिलाया मजदूरों को काम: हम्माली और मजदूरी करने वालों को अगर तय समय पर पैसा और निश्चित राशि मिल जाती है तो उससे ही उसका मन खुश हो जाता है. नेताओं के वादों पर भले ही ये लोग विश्वास नहीं करें, नेताओं को भले ही पसंद नहीं करें लेकिन ये रिक्शेवाले अब नेताजी के प्रचार का जिम्मा उठाकर पहली बार खुश हुए हैं.

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Last Updated : Apr 21, 2024, 10:54 PM IST
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