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अपनों ने घर से निकाला, सरकारी रहनुमाओं ने नहीं दिया आसरा, न्याय की आस में भटकते हमसफर पति की हुई मौत - HOPE FOR JUSTICE IN GAYA

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 19, 2024, 10:56 PM IST

Updated : Jun 21, 2024, 12:28 PM IST

HOPE FOR JUSTICE : बिहार के गया में काफी संख्या में बुजुर्ग घरेलू हिंसा के शिकार हो रहे हैं. अपने ही सगे बेटे-बहू और बेटियां बुजुर्ग माता-पिता को घर से निकालने तक में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. यहां तक कि उनके हिस्से की जमीन-जायदाद तक हड़पने के लिए कुछ भी करने को आमदा हैं. ऐसे विभिन्न मामले हैं, जो कई सालों से सरकारी रहनुमाओं के पास लाए गए, किंतु संवेदनहीन प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेने के बजाय टाल मटोल का रवैया अख्तियार रखा, जिससे कि अंतिम पड़ाव में आए बुजुर्गों को न्याय मिलना काफी दूर की बात हो जाती है.

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न्याय की आस में भटक रहे बुजुर्ग (Etv Bharat)

गया : बुजुर्गों की पीड़ा इसी से समझी जा सकती है, कि पिछले कई सालों से भटक रही नीरा सिंह के पति श्रीकांत सिंंह की मौत न्याय की आस में बीते महीने हो गई. न्याय की आस में बुजुर्ग दंपति नीरा सिंह और श्रीकांत सिंह सरकारी कार्यालयों समेत विभिन्न संगठनों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन नीरा सिंह के नसीब में न्याय की बजाए पति श्रीकांत सिंह की मौत आई. यह स्थिति बताती है कि अपनों के साथ-साथ सरकारी रहनुमा भी न्याय के बजाय दर्द देने वालों में शामिल हैं. बुजुर्गों के लिए काम करने वाली डॉ. अमिता उक्त आरोप लगाती हुई कहती है कि प्रशासन संवेदनशील हो तो न्याय मिलता है, अन्यथा उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर इतने भी नहीं लगाने पड़ते की न्याय की आस में जान ही चली जाती.

'मौत की बाद भी नहीं जगी संवेदना' : घर से निकाल दिए गए बुजुर्गों के लिए डॉ. अमिता काम करती हैं. डॉ. अमिता छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. अमिता बताती हैं कि,''घर से निकाले गए बुजुर्गों को न्याय दिलाने में राज्य और केंद्र सरकार विफल है. वहीं इसकी सरकारी ढांचाएं भी फेल साबित हो रही है. बिहार के गया जिले की बुजुर्ग महिलाएं कमला देवी और नीरा सिंह पिछले लगभग 3 सालों से अधिक समय से न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं. कमला देवी टिलहा महावीर स्थान सिविल लाइन थाना की रहने वाली हैं. वही नीरा देवी बड़ा मुफस्सिल मानपुर की रहने वाली है. यआज भी इनके हक और अपने अधिकार मिलना कोसों दूर है.''

'कलयुगी संतानों द्वारा लंबे समय से प्रतारित किया जा रहा' : डॉ. अमिता ने बताया कि कलयुगी संतानों द्वारा नीरा सिंह, कमला देवी जैसी बुजुर्ग महिलाओं को लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा है. वन स्टॉप सेंटर, पुलिस थाना, अनुमंडल अधिकारी, एसपी, डीएम मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय आदि जगहों पर शिकायत की गई. किंतु कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई. इन्होंने फिर अपनी शिकायत सामाजिक सुरक्षा निदेशालय पटना को भेजी, जहां से जिला प्रशासन गया को मामले की जांच करके रिपोर्ट भेजने को कहा गया, परंतु आज तक प्रशासन द्वारा पीड़ितों से कोई संपर्क नहीं किया गया.

''प्रशासनिक संवेदनहीनता के कारण, पैसे के बिना इलाज और खान-पान के अभाव में 14 मई 2024 को नीरा सिंह के पति की मृत्यु हो गई. अपने पति की मृत्यु की सूचना भी अनुमंडल पदाधिकारी किशलय श्रीवास्तव को दी और बताया कि वह बिल्कुल अकेली हो गई हैं और खाने तक को मोहताज हैं. इसके बावजूद अनुमंडल अधिकारी महोदय ने कोई संवेदना नहीं दिखाई. ऐसी कहानी बिहार के गया जिले में कई बुजुर्गों की है, जो अपने कलयुगी संतानों से पीड़ित होकर न्याय की आस में भटक रहे हैं.''- डॉ. अमिता, घर से निकाले गए बुजुर्गों के लिए काम करने वाली महिला

'प्रॉपर्टी दिलाने की मांग कर रही थीं नीरा देवी' : इस संबंध में गया सदर अनुमंडल पदाधिकारी किशलय श्रीवास्तव ने बताया कि नीरा देवी का जो मामला है, उसमें वह प्रॉपर्टी दिलाने की मांग कर रही थी. यह मेरे कार्य क्षेत्र से बाहर का मामला है. ऐसे में उन्हें सिविल कोर्ट में केस करने की बात कही गई है. कहा कि कई ऐसे मामले में तुरंंत संज्ञान लिया जाता है.

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गया : बुजुर्गों की पीड़ा इसी से समझी जा सकती है, कि पिछले कई सालों से भटक रही नीरा सिंह के पति श्रीकांत सिंंह की मौत न्याय की आस में बीते महीने हो गई. न्याय की आस में बुजुर्ग दंपति नीरा सिंह और श्रीकांत सिंह सरकारी कार्यालयों समेत विभिन्न संगठनों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन नीरा सिंह के नसीब में न्याय की बजाए पति श्रीकांत सिंह की मौत आई. यह स्थिति बताती है कि अपनों के साथ-साथ सरकारी रहनुमा भी न्याय के बजाय दर्द देने वालों में शामिल हैं. बुजुर्गों के लिए काम करने वाली डॉ. अमिता उक्त आरोप लगाती हुई कहती है कि प्रशासन संवेदनशील हो तो न्याय मिलता है, अन्यथा उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर इतने भी नहीं लगाने पड़ते की न्याय की आस में जान ही चली जाती.

'मौत की बाद भी नहीं जगी संवेदना' : घर से निकाल दिए गए बुजुर्गों के लिए डॉ. अमिता काम करती हैं. डॉ. अमिता छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. अमिता बताती हैं कि,''घर से निकाले गए बुजुर्गों को न्याय दिलाने में राज्य और केंद्र सरकार विफल है. वहीं इसकी सरकारी ढांचाएं भी फेल साबित हो रही है. बिहार के गया जिले की बुजुर्ग महिलाएं कमला देवी और नीरा सिंह पिछले लगभग 3 सालों से अधिक समय से न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं. कमला देवी टिलहा महावीर स्थान सिविल लाइन थाना की रहने वाली हैं. वही नीरा देवी बड़ा मुफस्सिल मानपुर की रहने वाली है. यआज भी इनके हक और अपने अधिकार मिलना कोसों दूर है.''

'कलयुगी संतानों द्वारा लंबे समय से प्रतारित किया जा रहा' : डॉ. अमिता ने बताया कि कलयुगी संतानों द्वारा नीरा सिंह, कमला देवी जैसी बुजुर्ग महिलाओं को लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा है. वन स्टॉप सेंटर, पुलिस थाना, अनुमंडल अधिकारी, एसपी, डीएम मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय आदि जगहों पर शिकायत की गई. किंतु कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई. इन्होंने फिर अपनी शिकायत सामाजिक सुरक्षा निदेशालय पटना को भेजी, जहां से जिला प्रशासन गया को मामले की जांच करके रिपोर्ट भेजने को कहा गया, परंतु आज तक प्रशासन द्वारा पीड़ितों से कोई संपर्क नहीं किया गया.

''प्रशासनिक संवेदनहीनता के कारण, पैसे के बिना इलाज और खान-पान के अभाव में 14 मई 2024 को नीरा सिंह के पति की मृत्यु हो गई. अपने पति की मृत्यु की सूचना भी अनुमंडल पदाधिकारी किशलय श्रीवास्तव को दी और बताया कि वह बिल्कुल अकेली हो गई हैं और खाने तक को मोहताज हैं. इसके बावजूद अनुमंडल अधिकारी महोदय ने कोई संवेदना नहीं दिखाई. ऐसी कहानी बिहार के गया जिले में कई बुजुर्गों की है, जो अपने कलयुगी संतानों से पीड़ित होकर न्याय की आस में भटक रहे हैं.''- डॉ. अमिता, घर से निकाले गए बुजुर्गों के लिए काम करने वाली महिला

'प्रॉपर्टी दिलाने की मांग कर रही थीं नीरा देवी' : इस संबंध में गया सदर अनुमंडल पदाधिकारी किशलय श्रीवास्तव ने बताया कि नीरा देवी का जो मामला है, उसमें वह प्रॉपर्टी दिलाने की मांग कर रही थी. यह मेरे कार्य क्षेत्र से बाहर का मामला है. ऐसे में उन्हें सिविल कोर्ट में केस करने की बात कही गई है. कहा कि कई ऐसे मामले में तुरंंत संज्ञान लिया जाता है.

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Last Updated : Jun 21, 2024, 12:28 PM IST
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