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लखनऊ में 7 दिन तक बुजुर्ग को रखा डिजिटल अरेस्ट, खाते में ट्रांसफर करा लिए 19 लाख रुपये

मनी लांड्रिंग केस में जेल भेजने की दी धमकी, धीरे-धीरे खाली कर दिया खाता.

लखनऊ में साइबर ठगी.
लखनऊ में साइबर ठगी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

लखनऊ: साइबर अपराधी उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए नई चुनौती बने हुए हैं. आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें लोगों को गुमराह करते हुए डिजिटल अरेस्ट करते हैं और फिर डरा-धमकाकर बड़ी रकम खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं. ताजा मामला लखनऊ के ठाकुरगंज का है, जहां एक रिटायर्ड कर्मचारी राज नारायण मिश्रा को साइबर अपराधियों ने 7 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा. साथ ही उनके खाते से 19 लाख 50000 रुपये ट्रांसफर करा लिए. ‌रिटायर्ड कर्मचारी बाद में ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने गोमती नगर स्थित साइबर थाने में अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

मनी लांड्रिंग केस में जेल भेजने का दिखाया डर: पंचायती राज विभाग से रिटायर हुए राज नारायण मिश्रा के फोन पर 6 नवंबर को एक कॉल आई. फोन करने वाले ने कहा कि आपके एक अकाउंट से मनी लांड्रिंग का मामला सामने आया है. उसने राज नारायण का आधार कार्ड नंबर व बैंक डिटेल बताई, जिससे राज नारायण को उस पर विश्वास हो गया. इसके बाद साइबर ठग ने राज नारायण को मनी लांड्रिंग के केस में जेल भेजने का डर दिखाया. साथ ही एक दूसरे ठग से बात कराई. इसके कुछ देर बाद राज नारायण के पास फिर से कॉल आई. फोन करने वाले ने अपना नाम राजेश बताया. वह राजनारायण से जांच में सहयोग करने के लिए कहता है.

धीरे-धीरे हड़प लिए 19 लाख रुपये: कॉल करने वाले ठग राजेश ने राज नारायण से कहा कि वह अपने खाते का पैसा उसके खाते में ट्रांसफर कर दें. जांच पूरी होने के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा. राजेश के कहने पर राज नारायण ऐसा ही करते हैं और पैसा ट्रांसफर कर देते हैं. इस दौरान राज नारायण 17 लाख देते हैं. लेकिन ठगी का यह खेल यहीं खत्म नहीं हुआ. अगले दिन राजेश राज नारायण फिर से कॉल आई और उनकी बेल करने के नाम पर 95 हजार रुपये दोबारा ट्रांसफर कराए गए. अगले सात दिनों में धीरे-धीरे राज नारायण 1950000 ट्रांसफर कर देते हैं. ठग उनको ये भी झांसा देते हैं कि उनकी हर गतिविधि पर नजर है. वे डिजिटल अरेस्ट हैं. इसके बाद भी जब साइबर ठगों की डिमांड नहीं रुकती.

ऐसे परिवार को पता चली ठगी की कहानी: साइबर ठगों ने एक हफ्ते के अंदर राज नारायण से एक बड़ी रकम हड़प ली. इसके बाद भी उनके मंसूबे और पैसा ऐंठने का था. इसके लिए वे फिर से राज नारायण को कॉल करते हैं. उन्हें धमकी और झांसा दिया जाता है. तब जाकर राजनारायण ने पूरी बात अपने बेटे को बताई. इस तरह ठगी का खुलासा हुआ. राजनारायण बेटे के साथ साइबर थाने पहुंचे और केस दर्ज कराया.

बता दें कि राजधानी में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं. इससे पहले रिटायर्ड अध्यापिका से अपराधियों ने लाखों की लूट की थी. कई डॉक्टरों को भी शिकार बनाते हुए करोड़ों रुपए ठगे हैं.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में 38 करोड़ रुपये से सड़क, पार्क और हेरिटेज जोन को संवारेगा LDA, जनेश्वर मिश्र पार्क-रिवर फ्रंट में बनेगा एडवेंचर जोन

लखनऊ: साइबर अपराधी उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए नई चुनौती बने हुए हैं. आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें लोगों को गुमराह करते हुए डिजिटल अरेस्ट करते हैं और फिर डरा-धमकाकर बड़ी रकम खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं. ताजा मामला लखनऊ के ठाकुरगंज का है, जहां एक रिटायर्ड कर्मचारी राज नारायण मिश्रा को साइबर अपराधियों ने 7 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा. साथ ही उनके खाते से 19 लाख 50000 रुपये ट्रांसफर करा लिए. ‌रिटायर्ड कर्मचारी बाद में ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने गोमती नगर स्थित साइबर थाने में अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

मनी लांड्रिंग केस में जेल भेजने का दिखाया डर: पंचायती राज विभाग से रिटायर हुए राज नारायण मिश्रा के फोन पर 6 नवंबर को एक कॉल आई. फोन करने वाले ने कहा कि आपके एक अकाउंट से मनी लांड्रिंग का मामला सामने आया है. उसने राज नारायण का आधार कार्ड नंबर व बैंक डिटेल बताई, जिससे राज नारायण को उस पर विश्वास हो गया. इसके बाद साइबर ठग ने राज नारायण को मनी लांड्रिंग के केस में जेल भेजने का डर दिखाया. साथ ही एक दूसरे ठग से बात कराई. इसके कुछ देर बाद राज नारायण के पास फिर से कॉल आई. फोन करने वाले ने अपना नाम राजेश बताया. वह राजनारायण से जांच में सहयोग करने के लिए कहता है.

धीरे-धीरे हड़प लिए 19 लाख रुपये: कॉल करने वाले ठग राजेश ने राज नारायण से कहा कि वह अपने खाते का पैसा उसके खाते में ट्रांसफर कर दें. जांच पूरी होने के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा. राजेश के कहने पर राज नारायण ऐसा ही करते हैं और पैसा ट्रांसफर कर देते हैं. इस दौरान राज नारायण 17 लाख देते हैं. लेकिन ठगी का यह खेल यहीं खत्म नहीं हुआ. अगले दिन राजेश राज नारायण फिर से कॉल आई और उनकी बेल करने के नाम पर 95 हजार रुपये दोबारा ट्रांसफर कराए गए. अगले सात दिनों में धीरे-धीरे राज नारायण 1950000 ट्रांसफर कर देते हैं. ठग उनको ये भी झांसा देते हैं कि उनकी हर गतिविधि पर नजर है. वे डिजिटल अरेस्ट हैं. इसके बाद भी जब साइबर ठगों की डिमांड नहीं रुकती.

ऐसे परिवार को पता चली ठगी की कहानी: साइबर ठगों ने एक हफ्ते के अंदर राज नारायण से एक बड़ी रकम हड़प ली. इसके बाद भी उनके मंसूबे और पैसा ऐंठने का था. इसके लिए वे फिर से राज नारायण को कॉल करते हैं. उन्हें धमकी और झांसा दिया जाता है. तब जाकर राजनारायण ने पूरी बात अपने बेटे को बताई. इस तरह ठगी का खुलासा हुआ. राजनारायण बेटे के साथ साइबर थाने पहुंचे और केस दर्ज कराया.

बता दें कि राजधानी में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं. इससे पहले रिटायर्ड अध्यापिका से अपराधियों ने लाखों की लूट की थी. कई डॉक्टरों को भी शिकार बनाते हुए करोड़ों रुपए ठगे हैं.

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