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झारखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों से अंडा गायब! आखिर कैसे प्रदेश बनेगा कुपोषणमुक्त, सामाजिक संस्था ने दी आंदोलन की चेतावनी - Eggs Missing From Anganwadi

No eggs in anganwadi centers of Jharkhand. झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा मुहैया नहीं कराया जा रहा है. इस कारण कुपोषणमुक्त अभियान पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. इसे लेकर भोजन का अधिकार अभियान संस्था के सदस्यों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

Eggs Missing From Anganwadi
जानकारी देतीं भोजन का अधिकार अभियान संस्था की सदस्य. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 22, 2024, 5:23 PM IST

रांची: राज्य को कुपोषणमुक्त बनाने के लिए झारखंड सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा मुहैया कराने का निर्णय लिया था. इसपर होने वाले खर्च के लिए सरकार ने तैयारी भी की और प्रति अंडा 6 रुपये की दर निर्धारित करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को चिट्ठी भेज दी. 2 मार्च 2024 को झारखंड सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा भेजी गई चिट्ठी के बाद यह उम्मीद जताई जाने लगी कि अब बच्चों को प्रतिदिन अंडा भी पोषाहार में मिलेगा. लेकिन सरकार का यह निर्णय कागज पर अंडा देने के सिवा हकीकत में अब तक नहीं बदला है. जाहिर तौर पर यह अगर लागू हो जाता तो कुपोषण को मात देने की दिशा में बड़ा प्रयास के रूप में जरूर माना जाता.

जानकारी देतीं भोजन का अधिकार अभियान संस्था की सदस्य. (वीडियो-ईटीवी भारत)

भोजन का अधिकार अभियान के सदस्यों ने दी आंदोलन की चेतावनी

सरकार के निर्णय को पालन कराने के लिए सामाजिक संस्था भोजन का अधिकार अभियान के सदस्यों ने आंदोलन करने की धमकी दी है. भोजन का अधिकार अभियान संस्था के द्वारा कराए गए सर्वे में दावा किया गया है कि राज्य में किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र में अंडा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. अगर सरकार बच्चों को अंडा मुहैया नहीं कराएगी तो आने वाले मानसून सत्र के दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा सरकार के मंत्री और विधायकों को अंडा हाथ में देकर उन्हें आगाह किया जाएगा.

सरकार ने प्रति अंडा का दाम 6 रुपये तय किया है, पर बाजार में 7 से 10 रुपये में बिक रहा

इस संबंध में भोजन का अधिकार अभियान संस्था से जुड़ीं सामाजिक कार्यकर्ता परन कहती हैं कि सरकार ने प्रति अंडे का दाम 6 रुपये रखा है. लेकिन बाजार में प्रति अंडे की कीमत 7 से 10 रुपये है. ऐसे में बच्चों को कैसे अंडा मुहैया होगा यह समझा जा सकता है. सरकार के द्वारा सिर्फ चिट्ठी निकालकर अंडा देने की बात कही गई है, जबकि हकीकत यह है कि न तो आंगनबाड़ी केंद्र को इसको लेकर पैसे दिए गए हैं और न ही बच्चों को अंडा मिल रहा है. वहीं इस संबंध में लातेहार जिला की कार्यकर्ता अफसाना कहती हैं कि उन्होंने खूंटी, लातेहार सहित कई जिलों में सर्वे किया है लेकिन किसी आंगनबाड़ी केंद्र में अंडा नहीं मिल रहा है.

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया सच, सेविका ने दी जानकारी

संस्था के दावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण किया. जिसमें पाया गया कि आंगनबाड़ी केंद्र जैसे-तैसे चल रहे हैं. निजी घरों में बगैर कोई बोर्ड लगाए आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है. पुरानी रांची में आंगनबाड़ी केंद्र चला रही सेविका अंजली पंडित कहती हैं कि सरकार ने निर्णय तो ले लिया, लेकिन परेशानी इस बात की है कि पहले आप खुद अंडा खरीदकर बच्चों को खिलाएं फिर बिल भेजकर भुगतान लें.एक तो पोषाहार मद की राशि तीन से चार महीने तक की पेंडिंग है. ऐसे में अपने स्तर से बच्चों को अंडा मुहैया कराने में परेशानी स्वाभाविक है.

आखिर कैसे झारखंड बनेगा कुपोषणमुक्त राज्य

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 40% नाटे हैं और उनका वजन कम है. साथ ही 22% बच्चे कमजोर हैं. 5 साल से कम के बच्चों में मृत्यु दर तकरीबन 45% हैं. ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार ने राज्य को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए पर्याप्त राशि अपने बजट में प्रावधान किया है, लेकिन हकीकत यह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के पैसे खर्च नहीं हो पा रहे हैं. 2022-23 के बजट में महिला एवं बाल विकास विभाग को 1399 करोड़ दिए गए थे. जिसमें से केवल 906 करोड़ ही आवंटित हुए और उसमें से केवल 763 करोड़ खर्च किए गए.

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Anganwadi Centers Of Jharkhand:उधार पर चल रहे झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्र, सेविका-सहायिका को हो रही केंद्र चलाने में परेशानी!

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आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बदहाल, असुरक्षित माहौल में कैसे होगा बच्चों का विकास

रांची: राज्य को कुपोषणमुक्त बनाने के लिए झारखंड सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा मुहैया कराने का निर्णय लिया था. इसपर होने वाले खर्च के लिए सरकार ने तैयारी भी की और प्रति अंडा 6 रुपये की दर निर्धारित करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को चिट्ठी भेज दी. 2 मार्च 2024 को झारखंड सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा भेजी गई चिट्ठी के बाद यह उम्मीद जताई जाने लगी कि अब बच्चों को प्रतिदिन अंडा भी पोषाहार में मिलेगा. लेकिन सरकार का यह निर्णय कागज पर अंडा देने के सिवा हकीकत में अब तक नहीं बदला है. जाहिर तौर पर यह अगर लागू हो जाता तो कुपोषण को मात देने की दिशा में बड़ा प्रयास के रूप में जरूर माना जाता.

जानकारी देतीं भोजन का अधिकार अभियान संस्था की सदस्य. (वीडियो-ईटीवी भारत)

भोजन का अधिकार अभियान के सदस्यों ने दी आंदोलन की चेतावनी

सरकार के निर्णय को पालन कराने के लिए सामाजिक संस्था भोजन का अधिकार अभियान के सदस्यों ने आंदोलन करने की धमकी दी है. भोजन का अधिकार अभियान संस्था के द्वारा कराए गए सर्वे में दावा किया गया है कि राज्य में किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र में अंडा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. अगर सरकार बच्चों को अंडा मुहैया नहीं कराएगी तो आने वाले मानसून सत्र के दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा सरकार के मंत्री और विधायकों को अंडा हाथ में देकर उन्हें आगाह किया जाएगा.

सरकार ने प्रति अंडा का दाम 6 रुपये तय किया है, पर बाजार में 7 से 10 रुपये में बिक रहा

इस संबंध में भोजन का अधिकार अभियान संस्था से जुड़ीं सामाजिक कार्यकर्ता परन कहती हैं कि सरकार ने प्रति अंडे का दाम 6 रुपये रखा है. लेकिन बाजार में प्रति अंडे की कीमत 7 से 10 रुपये है. ऐसे में बच्चों को कैसे अंडा मुहैया होगा यह समझा जा सकता है. सरकार के द्वारा सिर्फ चिट्ठी निकालकर अंडा देने की बात कही गई है, जबकि हकीकत यह है कि न तो आंगनबाड़ी केंद्र को इसको लेकर पैसे दिए गए हैं और न ही बच्चों को अंडा मिल रहा है. वहीं इस संबंध में लातेहार जिला की कार्यकर्ता अफसाना कहती हैं कि उन्होंने खूंटी, लातेहार सहित कई जिलों में सर्वे किया है लेकिन किसी आंगनबाड़ी केंद्र में अंडा नहीं मिल रहा है.

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया सच, सेविका ने दी जानकारी

संस्था के दावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण किया. जिसमें पाया गया कि आंगनबाड़ी केंद्र जैसे-तैसे चल रहे हैं. निजी घरों में बगैर कोई बोर्ड लगाए आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है. पुरानी रांची में आंगनबाड़ी केंद्र चला रही सेविका अंजली पंडित कहती हैं कि सरकार ने निर्णय तो ले लिया, लेकिन परेशानी इस बात की है कि पहले आप खुद अंडा खरीदकर बच्चों को खिलाएं फिर बिल भेजकर भुगतान लें.एक तो पोषाहार मद की राशि तीन से चार महीने तक की पेंडिंग है. ऐसे में अपने स्तर से बच्चों को अंडा मुहैया कराने में परेशानी स्वाभाविक है.

आखिर कैसे झारखंड बनेगा कुपोषणमुक्त राज्य

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 40% नाटे हैं और उनका वजन कम है. साथ ही 22% बच्चे कमजोर हैं. 5 साल से कम के बच्चों में मृत्यु दर तकरीबन 45% हैं. ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार ने राज्य को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए पर्याप्त राशि अपने बजट में प्रावधान किया है, लेकिन हकीकत यह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के पैसे खर्च नहीं हो पा रहे हैं. 2022-23 के बजट में महिला एवं बाल विकास विभाग को 1399 करोड़ दिए गए थे. जिसमें से केवल 906 करोड़ ही आवंटित हुए और उसमें से केवल 763 करोड़ खर्च किए गए.

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