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मंदाकिनी नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को फिर 'जिंदा' करने की कवायद, पर्यावरण संरक्षण भी होगा मजबूत - Production of Golden Mahseer Fish - PRODUCTION OF GOLDEN MAHSEER FISH

Production of Golden Mahseer Fish केदारनाथ आपदा के दौरान जलजीवों को भारी नुकसान पहुंचा था. अब रिन्यू जल ऊर्जा ने मत्स्य संवर्धन प्रकल्प का निर्माण कराया है, जिसमें गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन किया जाएगा. महाशीर से मंदाकिनी नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी.

Production of Golden Mahseer Fish
मत्स्य संवर्धन प्रकल्प का निर्माण (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 22, 2024, 6:49 PM IST

रुद्रप्रयाग: पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रिन्यू जल ऊर्जा प्रणाली बेड़ू बगड़ ने अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के क्रम में ग्राम अरखुंड में एक मत्स्य संवर्धन प्रकल्प का निर्माण कराया है, जिसमें गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन कर नदियों और गाड़ गधेरों में छोड़ा जाएगा. यही नहीं, स्थानीय मत्स्य उत्पादकों को बीज एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराकर उनकी आजीविका को बढ़ावा दिया जाएगा.

मत्स्य संवर्धन प्रकल्प का उद्घाटन करते हुए उप वन संरक्षक रुद्रप्रयाग अभिमन्यु सिंह ने कहा कि केदारघाटी में यह प्रकल्प एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित होगा. मंदाकिनी नदी में वर्ष 2013 की महाआपदा ने जलजीवों के पारिस्थितिकी तंत्र को काफी नुकसान पहुंचाया है. यह मत्स्य संवर्धन प्रकल्प इस पारिस्थिकी तंत्र को सुधारने की दिशा में एक महत्पवूर्ण प्रयास है.

रिन्यू जल ऊर्जा के प्लांट हेड मकरन्द प्रकाश जोशी ने बताया कि अपने सामुदायिक दायित्वों के क्रम में कंपनी का यह प्रयास न केवल जलजीवों के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा. बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को बीज एवं तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा. 55 लाख रुपए की लागत से बना यह प्रकल्प पूरी मंदाकिनी घाटी में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बनेगा.

मत्स्य संवर्धन प्रकल्प में तकनीकी सहायता दे रही हिमालया जीआईएस कंसल्टेंट के प्रभारी डॉ. रवींद्र ने बताया कि महाशीर मछली अपना जीवन नदियों में ही बिताती है. मगर अंडे देने के लिए वह गाड़ गधेरे में चली आती है. विभिन्न कारणों से नदी का पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ाने से नदियों में मछली की प्रजातियों पर बुरा असर पड़ता है. महाशीर मछली इस पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करती है. उसके उत्पादन से व्यावसायिक लाभ भी उठाया जाता है, जो कि स्थानीय ग्रामीणों की आर्थिकी को मजबूत करेगा.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बेहतर होगा शहरी परिवहन, धामी सरकार ने मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्टेशन अथॉरिटी को दी मंजूरी

रुद्रप्रयाग: पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रिन्यू जल ऊर्जा प्रणाली बेड़ू बगड़ ने अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के क्रम में ग्राम अरखुंड में एक मत्स्य संवर्धन प्रकल्प का निर्माण कराया है, जिसमें गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन कर नदियों और गाड़ गधेरों में छोड़ा जाएगा. यही नहीं, स्थानीय मत्स्य उत्पादकों को बीज एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराकर उनकी आजीविका को बढ़ावा दिया जाएगा.

मत्स्य संवर्धन प्रकल्प का उद्घाटन करते हुए उप वन संरक्षक रुद्रप्रयाग अभिमन्यु सिंह ने कहा कि केदारघाटी में यह प्रकल्प एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित होगा. मंदाकिनी नदी में वर्ष 2013 की महाआपदा ने जलजीवों के पारिस्थितिकी तंत्र को काफी नुकसान पहुंचाया है. यह मत्स्य संवर्धन प्रकल्प इस पारिस्थिकी तंत्र को सुधारने की दिशा में एक महत्पवूर्ण प्रयास है.

रिन्यू जल ऊर्जा के प्लांट हेड मकरन्द प्रकाश जोशी ने बताया कि अपने सामुदायिक दायित्वों के क्रम में कंपनी का यह प्रयास न केवल जलजीवों के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा. बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को बीज एवं तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा. 55 लाख रुपए की लागत से बना यह प्रकल्प पूरी मंदाकिनी घाटी में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बनेगा.

मत्स्य संवर्धन प्रकल्प में तकनीकी सहायता दे रही हिमालया जीआईएस कंसल्टेंट के प्रभारी डॉ. रवींद्र ने बताया कि महाशीर मछली अपना जीवन नदियों में ही बिताती है. मगर अंडे देने के लिए वह गाड़ गधेरे में चली आती है. विभिन्न कारणों से नदी का पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ाने से नदियों में मछली की प्रजातियों पर बुरा असर पड़ता है. महाशीर मछली इस पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करती है. उसके उत्पादन से व्यावसायिक लाभ भी उठाया जाता है, जो कि स्थानीय ग्रामीणों की आर्थिकी को मजबूत करेगा.

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