धमतरी : किसी भी छात्र के जीवन में शिक्षक की भूमिका शिक्षण से कहीं बढ़कर होती है. शिक्षक अपने छात्र के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है. लेकिन यदि स्कूल में शिक्षक ही नहीं के बराबर हो तो शिक्षा का स्तर गिर जाता है. इसका उदाहरण धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक अंतर्गत खल्लारी हाई स्कूल है.
खल्लारी में शिक्षा व्यवस्था बदहाल : जिले का घोर नक्सल प्रभावित इलाके खल्लारी में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. यहां शिक्षकों की कमी के चलते स्कूली बच्चों का भविष्य अंधकार मय है. यहां सिर्फ 3 शिक्षक के भरोसे ही स्कूल चल रहा है. यहां के शासकीय स्कूल में कक्षा पहली से दसवीं तक की कक्षाएं लगती हैं, जो सिर्फ तीन शिक्षकों के भरोसे है. स्कूल के सभी विद्यार्थियों पर शिक्षकों की कमी का बेहद बुरा असर पड़ रहा है.
"स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई अच्छे से नहीं हो पाती. दसवीं में 6 विषय हैं, लेकिन 3 शिक्षक ही पढ़ाई पूरा करवाते हैं. अंग्रेजी के शिक्षक नहीं है. इसलिए हमें को खुद से पढ़ाई करनी पड़ती है." - छात्र, हाई स्कूल खल्लारी
बोर्ड परीक्षा का परिणाम शर्मसार करने वाला रहा : शिक्षण सत्र 2023-24 में यहां दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम शर्मसार करने वाला था. पूरे धमतरी जिले में खल्लारी गांव के शासकीय स्कूल का परिणाम बेहद खराब रहा. यहां दसवीं के 17 बच्चों में से 8 बच्चों ने परीक्षा दी, लेकिन उनमें से 7 बच्चे फेल हो गए. जबकि केवल एक विद्यार्थी ही परीक्षा में पास हुआ.
मूलभूत सुविधाओं की कमी से बढ़ी मुसीबत : स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का कहा, "खल्लारी गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. यहां के रास्ते बेहद खराब हैं. कच्ची सड़क, सड़कों में गड्ढे और बारिश के दिनों में दलदल से भरे सड़क होने की वजह से आवागमन में काफी दिक्कत होती है." स्कूल के प्रचार्य का कहना है कि स्कूली बच्चे और शिक्षक इन खराब रास्तों पर कई बार गिर कर चोटिल भी हो जाते हैं. रास्ते में दो-तीन नाले भी पड़ते हैं, जो बारिश में भर जाते हैं. इस वजह से बच्चे स्कूल नहीं आ पाते.
"नगरी क्षेत्र में शिक्षकों की कमी पहले से बनी हुई है. इसके लिए शासन-प्रशासन से शिक्षकों की मांग की गई है." - अम्बिका मरकाम, विधायक, सिहावा
धमतरी जिले के खल्लारी के शासकीय हाई स्कूल में कक्षा पहली से दशवीं तक कक्षाएं लगती है. कक्षा नवमीं में 8 और दशवीं में 7 बच्चे अध्ययनरत हैं. कक्षा छठवीं से आठवीं तक के 12 बच्चे पढ़ते हैं. प्राथमिक शाला में पहली से पांचवी तक 23 बच्चे पढ़ते हैं. ज्यादातर गांव के बच्चे मूलभूत आवश्यकताओं के चलते पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं.