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मानसून के दौरान जर्जर स्कूल भवनों में हुई पढ़ाई तो नपेंगे प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य, आदेश जारी - Dilapidated school building

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 2, 2024, 2:32 PM IST

Uttarakhand Education Department उत्तराखंड में मानसून सीजन को लेकर शिक्षा विभाग भी गंभीर हो गया है. शिक्षा विभाग ने जर्जर हो चुके भवनों पर बच्चों की पढ़ाई करने पर प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर सख्त एक्शन लेने की बात कही है. जिसके लिए विभाग ने अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं.

There will be no studies in dilapidated buildings during the monsoon season
मानसून सीजन में जर्जर भवनों में नहीं होगा पठन-पाठन (फोटो-ईटीवी भारत)

देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के बाद अब शिक्षा विभाग भी सक्रिय हो गया है. हर साल मानसून सीजन के दौरान प्रदेश के राजकीय स्कूलों में पानी भरने और क्लास रूम में पानी टपकने का मामला सामने आता रहे हैं. जिसको देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से जर्जर स्कूलों की नई सूची तलब की है. साथ ही कहा कि जर्जर घोषित सरकारी स्कूलों में अगर क्लास संचालित की गई तो विभाग संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर कार्रवाई करेगा.

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2,785 सरकारी स्कूल जर्जर घोषित हैं. ऐसे में इन स्कूलों में हर साल बच्चों के जान का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके विभाग को मानसून सीजन के दौरान ही जर्जर स्कूलों की याद आती है, जबकि पूरे साल जर्जर स्कूलों को ठीक करने की जहमत विभाग नहीं उठाता है. प्रदेश में पहले भी जर्जर स्कूलों में कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लिहाजा अब शिक्षा विभाग यह नहीं चाहता कि इस मानसून सीजन के दौरान भी सरकारी स्कूलों की कोई घटना घटे, इसके लिए जर्जर स्कूलों में क्लास चलने पर रोक लगा दी है. उत्तराखंड सरकार की ओर से हर साल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए तमाम योजनाएं चलाई जाती रही हैं.

बावजूद इसके स्कूलों की व्यवस्था अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाई हैं. विभाग के अनुसार साल 2026 तक सभी स्कूलों को ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन मौजूदा समय में शिक्षा विभाग के पास सिर्फ जर्जर स्कूलों की सूची ही है लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. हर साल समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाले बजट से कितने स्कूलों में नए भवन बनाए गए हैं और कितने जर्जर भवन ऐसे हैं जहां क्लास संचालित नहीं हो रहे हैं, इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट का कहना है कि प्रदेश में मौजूद सरकारी स्कूलों के जर्जर भवन में क्लास का संचालन नहीं हो रहा है. हालांकि, पूरा स्कूल जर्जर नहीं होता है, बल्कि स्कूल के 1 या 2 कमरे ही जर्जर स्थिति में होते हैं.

प्रदेश के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अब 1 जुलाई से स्कूल खुल गए हैं. मानसून का असर प्रदेश भर में देखा जा रहा है, लिहाजा बरसात के दौरान जर्जर भवन में कोई भी क्लास संचालित ना हो इसके निर्देश दिए गए हैं. आगे कहा कि अगर किसी भी स्कूल के जर्जर भवन में कक्षा संचालित होने का मामला सामने आएगा तो संबंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य पर कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें-उत्तराखंड में शुरू होगी टीचिंग शेयरिंग व्यवस्था, शिक्षा बोर्ड्स से होगा अनुबंध, सुधरेगी एजुकेशन क्वालिटी

देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के बाद अब शिक्षा विभाग भी सक्रिय हो गया है. हर साल मानसून सीजन के दौरान प्रदेश के राजकीय स्कूलों में पानी भरने और क्लास रूम में पानी टपकने का मामला सामने आता रहे हैं. जिसको देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से जर्जर स्कूलों की नई सूची तलब की है. साथ ही कहा कि जर्जर घोषित सरकारी स्कूलों में अगर क्लास संचालित की गई तो विभाग संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य पर कार्रवाई करेगा.

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2,785 सरकारी स्कूल जर्जर घोषित हैं. ऐसे में इन स्कूलों में हर साल बच्चों के जान का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके विभाग को मानसून सीजन के दौरान ही जर्जर स्कूलों की याद आती है, जबकि पूरे साल जर्जर स्कूलों को ठीक करने की जहमत विभाग नहीं उठाता है. प्रदेश में पहले भी जर्जर स्कूलों में कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लिहाजा अब शिक्षा विभाग यह नहीं चाहता कि इस मानसून सीजन के दौरान भी सरकारी स्कूलों की कोई घटना घटे, इसके लिए जर्जर स्कूलों में क्लास चलने पर रोक लगा दी है. उत्तराखंड सरकार की ओर से हर साल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए तमाम योजनाएं चलाई जाती रही हैं.

बावजूद इसके स्कूलों की व्यवस्था अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाई हैं. विभाग के अनुसार साल 2026 तक सभी स्कूलों को ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन मौजूदा समय में शिक्षा विभाग के पास सिर्फ जर्जर स्कूलों की सूची ही है लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. हर साल समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाले बजट से कितने स्कूलों में नए भवन बनाए गए हैं और कितने जर्जर भवन ऐसे हैं जहां क्लास संचालित नहीं हो रहे हैं, इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट का कहना है कि प्रदेश में मौजूद सरकारी स्कूलों के जर्जर भवन में क्लास का संचालन नहीं हो रहा है. हालांकि, पूरा स्कूल जर्जर नहीं होता है, बल्कि स्कूल के 1 या 2 कमरे ही जर्जर स्थिति में होते हैं.

प्रदेश के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अब 1 जुलाई से स्कूल खुल गए हैं. मानसून का असर प्रदेश भर में देखा जा रहा है, लिहाजा बरसात के दौरान जर्जर भवन में कोई भी क्लास संचालित ना हो इसके निर्देश दिए गए हैं. आगे कहा कि अगर किसी भी स्कूल के जर्जर भवन में कक्षा संचालित होने का मामला सामने आएगा तो संबंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य पर कार्रवाई की जाएगी.

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