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भीलवाड़ा में इस बार घरों में बिराजेंगे इकोफ्रेंडली गणेशजी, तैयार हो रही मूर्तियां - eco friendly Ganeshji

भीलवाड़ा में इस बार गणेश चतुर्थी पर गणेश उत्सव एवं प्रबंध सेवा समिति की ओर से इको फ्रेंडली प्रतिमाएं वितरित की जाएगी. इन प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान जल प्रदूषण नहीं होगा.

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भीलवाड़ा में इस बार घरों में बिराजेंगे इकोफ्रेंडली गणेशजी (Photo ETV Bharat Bhilwara)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 2, 2024, 4:05 PM IST

भीलवाड़ा में इस बार घरों में बिराजेंगे इकोफ्रेंडली गणेशजी (Video ETV Bharat Bhilwara)

भीलवाड़ा: यहां गणेश उत्सव एवं प्रबंध सेवा समिति ने इस बार नवाचार किया है. समिति की ओर से भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्ति बनाकर लागत से भी कम दाम में भक्तों को वितरित की जाएगी. गणेश चतुर्थी पर मूर्तियां बनाने का काम 32 वर्ष से किया जा रहा है, लेकिन इस बार इसमें पर्यावरण शु​द्धि का ध्यान रखा गया है.

भीलवाड़ा में गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना होती है, साथ ही गरबा महोत्सव का आयोजन होता है. अनंत चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. प्रतिमा विसर्जन के दौरान पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए समिति ने इस बार नवाचार किया है. यहां भगवान गणेश की प्रतिमाएं इको फ्रेंडली तैयार की है.

पढ़ें: जोधपुर में इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की बढ़ी डिमांड, ये मूर्तिकार लेता है IIT में क्लास

गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति के सदस्य महावीर समदानी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भीलवाड़ा में चीनी मिट्टी, काली मिट्टी व नेचुरल कलर मिलाकर भगवान गणेश की प्रतिमाएं तैयार की गई है, जिससे प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान पानी का प्रदूषण नहीं होगा. गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 300 छोटी व बड़ी गणेश की प्रतिमाएं तैयार की गई है, जो भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बूंदी, अजमेर, भीलवाड़ा व शाहपुरा जिले में गणेश चतुर्थी के दिन वितरित की जाएगी.

1992 से कर रहे मूर्तियां तैयार: समदानी ने बताया कि मूर्ति वितरण करने की शुरुआत गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति ने सन 1992 में बाल गंगाधर तिलक के स्थापना वर्ष से की है. शुरू के 5 वर्षों में प्रतिमाएं निशुल्क दी गई. इसके बाद सामान्य मूल्य लिया गया, जोकि लागत मूल्य से भी कम था. इसके पीछे उदृेश्य था कि घर-घर व गली मोहल्लो में मूर्तियां पहुंचे.

यह भी पढ़ें: भगवान गणेश पर चढ़ा आजादी का रंग, तिरंगे का विशेष श्रंगार कर की आरती

दो तरह की हैं प्रतिमाएं: इस बार भगवान गणेश की इको फ्रेंडली प्रतिमाएं दो तरह की बनाई जा रही है. पहली, एक से डेढ फिट की छोटी प्रतिमा है जो घरों व प्रतिष्ठानों में स्थापित की जाती है. दूसरी साढ़े पांच फीट ऊंची है, जो गली मोहल्लों, आयोजन समितियां द्वारा स्थापित की जाती है. इस दौरान गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्थी तक गरबा महोत्सव का भी आयोजन होता है. महंगाई बढ़ने से अब हम लागत मूल्य से भी कम दाम मात्र दौ हजार रुपए में बड़ी मूर्तियां वितरित कर रहे है. बता दें कि गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति की ओर से 300 मूर्तियां ही वितरित की जाती है, जबकि भीलवाड़ा शहर व जिले में 5000 मूर्तियों की स्थापना की जाती है .

भीलवाड़ा में इस बार घरों में बिराजेंगे इकोफ्रेंडली गणेशजी (Video ETV Bharat Bhilwara)

भीलवाड़ा: यहां गणेश उत्सव एवं प्रबंध सेवा समिति ने इस बार नवाचार किया है. समिति की ओर से भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्ति बनाकर लागत से भी कम दाम में भक्तों को वितरित की जाएगी. गणेश चतुर्थी पर मूर्तियां बनाने का काम 32 वर्ष से किया जा रहा है, लेकिन इस बार इसमें पर्यावरण शु​द्धि का ध्यान रखा गया है.

भीलवाड़ा में गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना होती है, साथ ही गरबा महोत्सव का आयोजन होता है. अनंत चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. प्रतिमा विसर्जन के दौरान पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए समिति ने इस बार नवाचार किया है. यहां भगवान गणेश की प्रतिमाएं इको फ्रेंडली तैयार की है.

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गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति के सदस्य महावीर समदानी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भीलवाड़ा में चीनी मिट्टी, काली मिट्टी व नेचुरल कलर मिलाकर भगवान गणेश की प्रतिमाएं तैयार की गई है, जिससे प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान पानी का प्रदूषण नहीं होगा. गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 300 छोटी व बड़ी गणेश की प्रतिमाएं तैयार की गई है, जो भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बूंदी, अजमेर, भीलवाड़ा व शाहपुरा जिले में गणेश चतुर्थी के दिन वितरित की जाएगी.

1992 से कर रहे मूर्तियां तैयार: समदानी ने बताया कि मूर्ति वितरण करने की शुरुआत गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति ने सन 1992 में बाल गंगाधर तिलक के स्थापना वर्ष से की है. शुरू के 5 वर्षों में प्रतिमाएं निशुल्क दी गई. इसके बाद सामान्य मूल्य लिया गया, जोकि लागत मूल्य से भी कम था. इसके पीछे उदृेश्य था कि घर-घर व गली मोहल्लो में मूर्तियां पहुंचे.

यह भी पढ़ें: भगवान गणेश पर चढ़ा आजादी का रंग, तिरंगे का विशेष श्रंगार कर की आरती

दो तरह की हैं प्रतिमाएं: इस बार भगवान गणेश की इको फ्रेंडली प्रतिमाएं दो तरह की बनाई जा रही है. पहली, एक से डेढ फिट की छोटी प्रतिमा है जो घरों व प्रतिष्ठानों में स्थापित की जाती है. दूसरी साढ़े पांच फीट ऊंची है, जो गली मोहल्लों, आयोजन समितियां द्वारा स्थापित की जाती है. इस दौरान गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्थी तक गरबा महोत्सव का भी आयोजन होता है. महंगाई बढ़ने से अब हम लागत मूल्य से भी कम दाम मात्र दौ हजार रुपए में बड़ी मूर्तियां वितरित कर रहे है. बता दें कि गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति की ओर से 300 मूर्तियां ही वितरित की जाती है, जबकि भीलवाड़ा शहर व जिले में 5000 मूर्तियों की स्थापना की जाती है .

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