ETV Bharat / state

मछली खाने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम, लखनऊ विश्वविद्यालय के रिसर्च में खुलासा - Lucknow University Cancer Research

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

मछली में सबसे ज्यादा ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड पाया जाता है. जो कैंसर से बचाव में कारगर होता है. लखनऊ विश्वविद्यालय के रिसर्च में सामने आया तथ्य. शोध के लिए प्रदेश सरकार ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए ग्रांट दिया है.

ETV Bharat
प्रो. सिराजुद्दीन ने मछली पर किया शोध (Photo Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: मछली के शौकीनों के लिए एक अच्छी खबर है. यदि आप रोजाना नहीं तो अकसर भी मछली खाते हैं तो आपको कैंसर होने का खतरा नहीं के बराबर होगा. मछली चाहे वह समुद्री हो या फ्रेश वाटर की कोई भी खाइए इसका फायदा उतना ही होगा. इसका खुलासा लखनऊ विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के हेड प्रो. सिराजुद्दीन के किए शोध से. मछली के ऊपर अनका शोध "न्यूट्रिशन एंड कैंसर जनरल" में प्रकाशित हुआ है. उनके शोध में पाया गया है कि, जो लोग लगातार मछली का सेवन करते हैं उनमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की क्षमता सबसे अधिक होती है.

प्रोफेसर सिराजुद्दीन ने अपने रिसर्च में बताया है कि, आमतौर पर कैंसर के रोकथाम के लिए प्रयोग होने वाला ओमेगा 3 को लोग पौधे के बीजों से प्राप्त करते हैं. यह ओमेगा 3 ज्यादातर प्लांट के बीजों में भी नहीं पाया जाता है, लेकिन जितनी भी मछलियां चाहे वह खारे पानी की हो या मीठे पानी की उन सभी में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड की मात्रा मिली है जिससे कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाने से रोकने में प्रभावी है.

लखनऊ विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के हेड प्रो. सिराजुद्दीन (Video Credit; ETV Bharat)

दरअसल सिराजुद्दीन ने मछली के सेवन से कैंसर के बचाव पर शोध किया है. उन्होंने बताया कि मछली में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड पाया जाता है. जिसे आमतौर पर हम पूफा यानि पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड कहते है. प्रोफेसर ने कहा कि, यूरोप के देशों और जापान में कैंसर कोशिकाओं को कैसे काम किया जाए इसको लेकर लगातार रिसर्च चल रहा था. जिस शोध जनरल में उनके रिसर्च प्रकाशित हुआ है. इस शोध जनरल के माध्यम से उन्हें पता चला की मछलियों में ओमेगा एसिड की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है. उन्होंने बताया कि जापान में हुए एक रिसर्च में यह पाया गया कि जो लोग समुद्री तटों के पास रहते हैं. उनमें कैंसर होने की संभावना काफी कम देखी गई है. जबकि जो लोग समुद्री से दूर या ऊंचे जगह पर या जो लोग मछली नहीं खाते हैं. उनमें कैंसर होने की संभावना सबसे अधिक है.

जूलॉजी हेड ने बताया कि अपने रिसर्च को करने के लिए पुणे से प्रोटेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को मंगाया था. इसके बाद रोहू मछली की लिपिड के साथ उस पर शोध करना शुरू किया. जिसमें पाया कि रोहू मछली के लिपिड से कैंसर की कोशिकाओं का ग्रोथ काफी हद तक रुक गया था. प्रोफेसर सिराजुद्दीन ने बताया कि कैंसर सेल को हमने लैब में कलचर किया फिर उसे ओमेगा 3 फैटी एसिड से ट्रीट किया. इससे कैंसर सेल की ग्रोथ रुक गई. ओमेगा 3 फैटी एसिड दलों में भी पाया जाता है. लेकिन मछली में इसकी मात्रा सबसे अधिक होती है. यही वजह है कि जो लोग मछली का सेवन अधिक करते हैं. उनमें या तो कैंसर काम होता है या फिर उतना प्रभावी नहीं होता जितने अन्य मरीजों में होता है. प्रोफेसर सिराजुद्दीन ने बताया कि उनके मछलियों के अंदर पाए जाने वाले पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड पूफा पर रिसर्च करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत करीब 3.89 लाख रुपए का ग्रांट भी कुछ दिन पहले दिया गया है.

यह भी पढ़ें:फैक्ट्रियों में कैसे होता विस्फोट, जंगल में कैसे लगती आग? IIT का ये रिसर्च बताएगा, हादसे रोकने में मिलेगी मदद

लखनऊ: मछली के शौकीनों के लिए एक अच्छी खबर है. यदि आप रोजाना नहीं तो अकसर भी मछली खाते हैं तो आपको कैंसर होने का खतरा नहीं के बराबर होगा. मछली चाहे वह समुद्री हो या फ्रेश वाटर की कोई भी खाइए इसका फायदा उतना ही होगा. इसका खुलासा लखनऊ विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के हेड प्रो. सिराजुद्दीन के किए शोध से. मछली के ऊपर अनका शोध "न्यूट्रिशन एंड कैंसर जनरल" में प्रकाशित हुआ है. उनके शोध में पाया गया है कि, जो लोग लगातार मछली का सेवन करते हैं उनमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की क्षमता सबसे अधिक होती है.

प्रोफेसर सिराजुद्दीन ने अपने रिसर्च में बताया है कि, आमतौर पर कैंसर के रोकथाम के लिए प्रयोग होने वाला ओमेगा 3 को लोग पौधे के बीजों से प्राप्त करते हैं. यह ओमेगा 3 ज्यादातर प्लांट के बीजों में भी नहीं पाया जाता है, लेकिन जितनी भी मछलियां चाहे वह खारे पानी की हो या मीठे पानी की उन सभी में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड की मात्रा मिली है जिससे कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाने से रोकने में प्रभावी है.

लखनऊ विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के हेड प्रो. सिराजुद्दीन (Video Credit; ETV Bharat)

दरअसल सिराजुद्दीन ने मछली के सेवन से कैंसर के बचाव पर शोध किया है. उन्होंने बताया कि मछली में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड पाया जाता है. जिसे आमतौर पर हम पूफा यानि पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड कहते है. प्रोफेसर ने कहा कि, यूरोप के देशों और जापान में कैंसर कोशिकाओं को कैसे काम किया जाए इसको लेकर लगातार रिसर्च चल रहा था. जिस शोध जनरल में उनके रिसर्च प्रकाशित हुआ है. इस शोध जनरल के माध्यम से उन्हें पता चला की मछलियों में ओमेगा एसिड की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है. उन्होंने बताया कि जापान में हुए एक रिसर्च में यह पाया गया कि जो लोग समुद्री तटों के पास रहते हैं. उनमें कैंसर होने की संभावना काफी कम देखी गई है. जबकि जो लोग समुद्री से दूर या ऊंचे जगह पर या जो लोग मछली नहीं खाते हैं. उनमें कैंसर होने की संभावना सबसे अधिक है.

जूलॉजी हेड ने बताया कि अपने रिसर्च को करने के लिए पुणे से प्रोटेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को मंगाया था. इसके बाद रोहू मछली की लिपिड के साथ उस पर शोध करना शुरू किया. जिसमें पाया कि रोहू मछली के लिपिड से कैंसर की कोशिकाओं का ग्रोथ काफी हद तक रुक गया था. प्रोफेसर सिराजुद्दीन ने बताया कि कैंसर सेल को हमने लैब में कलचर किया फिर उसे ओमेगा 3 फैटी एसिड से ट्रीट किया. इससे कैंसर सेल की ग्रोथ रुक गई. ओमेगा 3 फैटी एसिड दलों में भी पाया जाता है. लेकिन मछली में इसकी मात्रा सबसे अधिक होती है. यही वजह है कि जो लोग मछली का सेवन अधिक करते हैं. उनमें या तो कैंसर काम होता है या फिर उतना प्रभावी नहीं होता जितने अन्य मरीजों में होता है. प्रोफेसर सिराजुद्दीन ने बताया कि उनके मछलियों के अंदर पाए जाने वाले पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड पूफा पर रिसर्च करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत करीब 3.89 लाख रुपए का ग्रांट भी कुछ दिन पहले दिया गया है.

यह भी पढ़ें:फैक्ट्रियों में कैसे होता विस्फोट, जंगल में कैसे लगती आग? IIT का ये रिसर्च बताएगा, हादसे रोकने में मिलेगी मदद

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.