नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और हत्या के विरोध में दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक, जीबी पंत और गुरु नानक आई केयर में भी रेजिडेंट डॉक्टरों की सुबह से ही हड़ताल शुरू हो गई. इस दौरान अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को काफी परेशानी हुई. मरीजों के परिजन पूरे अस्पताल परिसर में अलग-अलग विभागों में चक्कर काटते रहे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें इलाज नहीं मिला.
डेढ़ महीने के बच्चे को भी करना पड़ा इंतजारः पश्चिमी दिल्ली के इंद्रलोक इलाके से लोकनायक अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग में अपने बच्चे को दिखाने आए मोहम्मद फैजल ने बताया कि मेरे डेढ़ महीने के बच्चे फरहान का यहां पैदा होने के बाद से ही इलाज चल रहा है. बच्चा मोती नगर के एक छोटे अस्पताल में पैदा हुआ था. लेकिन उसके होंठ कटे थे और भी अन्य कई परेशानियां थी, जिसके बाद उसे लोकनायक अस्पताल के लिए रेफर किया गया था. अस्पताल से उसका इलाज चल रहा है. पिछली बार जब अस्पताल में दिखाने आए थे तो बच्चे की कई सारी जांच यहां डॉक्टर ने बताई थी और उन जांच को कराने के बाद आज ओपीडी में देखने के लिए बुलाया था.
"सुबह 6:00 बजे अस्पताल पहुंच गया और पर्चा बनवा लिया. पर्चा लेकर जब अपने डॉक्टर के पास पहुंचे तो डॉक्टर ने बताया कि आज हड़ताल है. मरीज नहीं देखेंगे. मैंने उनसे ज्यादा रिक्वेस्ट की तो उन्होंने कहा कि आप इमरजेंसी में जाकर दिखा लो. इमरजेंसी में पहुंचा तो उन्होंने कहा बच्चों की इमरजेंसी में चले जाइए 14 नंबर में वहां जाकर डॉक्टर बच्चे को देख लेंगे. जब मैं वहां पहुंचा तो उन्होंने कह दिया कि नहीं आज हड़ताल है."- फैजल, तीमारदार
छोटे डॉक्टरों की हड़ताल लेकिन बड़े डॉक्टरों ने भी नहीं देखें मरीजः फैजल ने कहा कि सुबह 6 बजे से अस्पताल में आए हुए अब 11 बज चुके हैं. लेकिन, अभी तक कोई बच्चे को देखने को तैयार नहीं है. छोटे डॉक्टरों की हड़ताल है. लेकिन बताया जा रहा है कि बड़े डॉक्टर मरीज को देख रहे हैं लेकिन सभी जगह चक्कर काटने के बाद भी किसी डॉक्टर ने बच्चे को नहीं देखा है. मैं ऑटो चलाकर गुजारा करता हूं. दिन में 400 रुपए कमाता हूं. इंद्रलोक से लोकनायक अस्पताल तक आने में एक तरफ से डेढ़ सौ रुपए लगते हैं. जाने के भी डेढ़ सौ रुपए. यानी मेरे 300 रुपए आने जाने में खर्च होंगे. इसके बाद भी बच्चे को इलाज नहीं मिल रहा.
जरूरी मरीजों का भी टाला गया इलाजः वहीं, उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले के घोंडा इलाके से लोकनायक अस्पताल में अपने गले का ऑपरेशन कराने के लिए पहुंचे मरीज ने बताया कि मेरा पिछले 9 महीने से यहां से इलाज चल रहा है. यहां मेरे गले का ऑपरेशन करने के लिए चार तरह की जांच बताई थी और उसके बाद आज अस्पताल में जांच की रिपोर्ट देखने के लिए बुलाया था. अब यहां जांच रिपोर्ट देखने के बाद भर्ती करने को बोला गया है. लेकिन, भर्ती करने के लिए कोई पेपर बनाने के लिए तैयार नहीं है. पेपर बनाने वाले कह रहे हैं कि आप जीबी पंत में चले जाओ. पंत वाले देख लेंगे.
दूसरे अस्पतालों में जाने की सलाहः पंत में जाने पर पंत वालों ने कह दिया कि आप लोकनायक अस्पताल में जाकर भर्ती हो जाओ. गले का ऑपरेशन होना बहुत जरूरी है. लेकिन अभी तक कोई नहीं सुन रहा है. यूपी के लोनी से आए मोहम्मद अमरूल ने बताया कि मुझे अस्पताल में खून की जांच करानी थी. लेकिन, जांच करने के लिए आज कोई बैठा नहीं है. सिक्योरिटी गार्ड अस्पताल को खाली करा रहे हैं. अंदर जाने के दरवाजे बंद कर दिए हैं. बाहर जाने के दरवाजे खोलकर लोगों को बाहर निकाला जा रहा है.
कुछ मरीजों के पुराने पर्चों पर मोहर लगाकर किया इलाजः कुछ मरीजों के पुराने पर्चों पर मोहर लगा कर उनको अंदर भेज दिया गया है. नया किसी का पर्चा नहीं बन रहा है. ना ही किसी का सैंपल लिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के संभल जिले से फेफड़ों में पानी भरने से परेशान एक बच्चे को दिखाने आए मरीज के परिजन ने बताया कि सुबह जल्दी अस्पताल पहुंच गए थे. यहां आने के बाद पता चला कि डॉक्टरों की हड़ताल है. पर्चा भी नहीं बनाया जा रहा है और ना ही डॉक्टर ओपीडी में मौजूद हैं. ऐसे में करीब 200 किलोमीटर दूर से यहां आने के बाद भी बच्चे को इलाज नहीं मिल पा रहा है. इससे बहुत दिक्कत है.
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ओपीडी में आते हैं हजारों मरीजः बता दें, लोकनायक दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल है. गुरु नानक आई केयर दिल्ली सरकार का आंखों का सबसे बड़ा अस्पताल है. इसके अलावा जीबी पंत अस्पताल न्यूरो, गैस्ट्रो और हार्ट की बीमारियों के लिए दिल्ली का एक प्रमुख अस्पताल है, जिसमें बड़ी संख्या में प्रतिदिन ओपीडी में मरीज आते हैं. इनमें लोकनायक अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन चार से 5000, जीबी पंत में 500 और गुरु नानक आई केयर में करीब 2000 मरीज ओपीडी में आते हैं.
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