बक्सर: बिहार के बक्सर जिले में बढ़ते भीषण गर्मी के बीच मानसून की दगाबाजी और अधिकारियों की लापरवाही ने जिले के किसानों के हौसले को पस्त कर दिया है. सिष्टम की मार से त्रस्त किसानों ने अब कृषि कार्य को छोड़कर शहरों में मजदूरी करने के लिए पलायन करना शुरू कर दिया है. आलम यह है कि देश के एक अरब 35 करोड़ लोगों के थाली तक भोजन पहुंचाने वाले किसानों को आज खुद की भूख मिटाने की चिन्ता सताने लगी है.
जिले में उपेक्षित है अन्नदाता: जिले में कृषि पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 2 लाख 22 हजारे 947 है. जिनके द्वारा 1 लाख 9 हजारे हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. आलम यह है कि रोहिणी नक्षत्र में ना इन किसानों को विभाग ने बीज उपलब्ध कराया और ना ही नहरों में पानी दिया. 47.2 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे भरी दोपहरी में अन्नदाता अपने बिचड़ा का सेवन करने में लगे रहे तो अधिकारी ऐसी कमरे में बैठकर कागजो पर ही किसानों के खेतों तक सभी संसाधन पहुंचा दिए.
क्या कहते है जिलाधकारी: सूखे की संकट से जूझ रहे किसानों की समस्या को लेकर जब जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों को सरकार द्वारा योजनाओं को किसानों तक पंहुचाने के लिए निर्देश दिया गया है. वहीं, जब उनसे पूछा गया कि धान का कटोरा ही सूखा हुआ है किसान क्या करेंगे. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सभी स्थितियों को गम्भीरता से देखा जा रहा है.
''किसानों को सभी संसाधन उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग को सख्त निर्देश दिया गया है कि खेतों तक नहर का पानी खाद आदि उपलब्ध करवाएं ताकि कृषि कार्य प्रभावित न हो''- अंशुल अग्रवाल, डीएम, बक्सर
क्या कहते है किसान: इधर, सदर प्रखण्ड के ग्रामीण इलाकों के खेतों में काम कर रहे किसानों ने बताया कि, किसानों के बदहाली का जिम्मेवार अधिकारी है. आजादी के 77 साल बाद भी किसान सरकारी बाबुओं के दया के मोहताज है. रोहणी नक्षत्र में बीज की जरूरत थी तो विभाग के पास बीज ही नहीं था. नहरों में पानी की जरूरत है तो नहर खुद ही प्यासी है. जिस कृषि फीडर से 24 घण्टे बिजली देने का दावा किया गया था. कोई अधिकारी बता दे कि 24 घण्टे में एक घण्टे भी हम किसानों को बिजली दे रहा है. हम लोग का केवल शोषण किया जा रहा है. राजनेता से लेकर अधिकारी केवल अपना जेब गरम कर रहे है.
आक्रोश में है अन्नदाता: आक्रोशित जिले के किसानों ने जिला प्रशासन के अधिकारियो को चनौती देते हुए कहा कि, हिम्मत है तो हमारे गांव में किसान चौपाल लगाकर एक भी योजना बता दे, जिसे जमीन पर उतारा हो, जो भी सरकारी नुमाइंदे आते है. सैकड़ो एकड़ भूमि वाले किसानों के दरवाजे पर नास्ता भोजन कर उन्ही को सभी लाभ देकर फर्जी सूची तैयार कर सरकार को भेज देते है. कोई बताए कि कुल्हड़िया गांव में कुल किसानों की संख्या 500 से ज्यादा है. किस किस किसान को बीज दिया है.इसी तरह की हालात अन्य गांव की है.
"आजादी के 77 साल बाद भी किसान सरकारी बाबुओं के दया के मोहताज है. हम लोग का केवल शोषण किया जा रहा है. राजनेता से लेकर अधिकारी केवल अपना जेब गरम कर रहे है." - विजय कुमार, किसान
क्या कहता है बिजली विभाग: वहीं, बिजली विभाग के अधिकारियों से जब एग्रीकल्चर फीडर से किसानों को बिजली उपलब्ध नहीं कराने का सवाल पूछा गया तो, विद्युत विभाग के अधिकारियों ने बताया कि, पाण्डेय पट्टी फीडर और इटाढ़ी फीडर ट्रांसफार्मर में खराबी आने के कारण इस तरह की समस्या बनी हुई है. जल्द ही इसे दूर किया जाएगा. गौरतलब हो कि बक्सर जिला भीषण सूखे की चपेट में है. 27 जून बीतने के बाद भी कही भी धान की रोपनी शुरू नहीं हो पाई है. आलम यह है कि अब बिचड़ा को बचाना भी किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है.