नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र शहरयार खान ने मौरिस नगर थाने के अधिकारियों पर पुलिस बर्बरता, मारपीट, अवैध हिरासत में रखने और धार्मिक भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए हैं. डूसू चुनाव के दौरान 27 सितंबर की शाम को हुई इस घटना और पुलिस के दुर्व्यवहार से नाराज छात्रों ने डीसीपी मनोज मीणा के खिलाफ इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया है.
खान के अनुसार यह घटना डूसू चुनाव संपन्न होने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय गेट नंबर 4 के सामने शाम करीब 7:00 बजे हुई, जहां वह अपने दोस्तों से मिल रहा था. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बिना कोई पूर्व चेतावनी दिए, गाली-गलौज और बल का इस्तेमाल करते हुए भीड़ को तितर-बितर करना शुरू कर दिया. जब शहरयार खान ने पुलिस अधिकारियों के अन्यायपूर्ण व्यवहार पर आपत्ति जताई, तो डीसीपी मनोज मीणा के आदेश पर काम करने वाले पुलिस अधिकारियों ने उन पर क्रूरतापूर्वक हमला करना शुरू कर दिया.
उन्होंने बताया कि डीसीपी मनोज मीणा, जो कि वहां मौजूद वरिष्ठ अधिकारी थे, ने न केवल उनका फोन जब्त कर लिया, बल्कि उनके साथ सांप्रदायिक गाली-गलौज भी की, जिसमें मुल्ले और देश के गद्दार जैसे शब्द शामिल थे. खान का दावा है कि इन मौखिक हमलों के बाद डीसीपी मनोज मीणा के आदेश पर उन्हें पीटा गया. लगभग 8 बजे, खान को कथित तौर पर मौरिस नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उन्होंने पाया कि उनका नाम शवगृह डायरी में अनआइडेंटिफाइड डेड बॉडी में उनका नाम दर्ज था. जो अधिकारियों द्वारा उन्हें और अधिक नुकसान पहुंचाने के इरादे का एक भयावह संकेत था. इसके बाद उन्हें चुप न रहने पर मनगढ़ंत आरोप लगाने की धमकी दी गई. उन्होंने कहा कि यह पुलिस की बर्बरता और धार्मिक भेदभाव का एक स्पष्ट मामला है. मेरी पहचान के कारण मुझ पर हमला किया गया. जब तक जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाता, मैं चैन से नहीं बैठूंगा.
शुक्रवार को डूसू चुनाव के दौरान शाम सात बजे के करीब लॉ फैकल्टी के बाहर एक साथ छात्रों के दो गुटों की भीड़ दोनों तरफ से आ गई. एक गुट में 300-400 छात्र थे और दूसरे गुट में 150-200 छात्र थे. उनमें मारपीट की स्थिति न बने इसको रोकने के लिए कुछ छात्रों को हिरासत में लिया. इस तरह से अलग-अलग जगह और कारणों से 10 छात्रों को हिरासत में लिया गया था. ये छात्र शहरयार भीड़ को निर्देशित कर रहा था वहां से हट नहीं रहा था. इसलिए इसे भी हिरासत में लिया गया. सभी छात्रों को रात 10.30 बजे छोड़ दिया गया. इसे भी छोड़ दिया गया था. मारपीट का आरोप गलत है. मोर्चरी का वह रफ रजिस्टर है. उसमें ऊपर भी चार नाम लिखे हुए हैं. थाने पर कोई धरना नहीं है सिर्फ चार-पांच छात्र थाने के अंदर बैठे हुए हैं. मनोज मीणा, डीसीपी नॉर्थ
डीसीपी और पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए खान और अन्य लोगों की बार-बार मांग के बावजूद, अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इसके बजाय पुलिस अधिकारियों ने खान से औपचारिक शिकायत दर्ज करने और मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी) जमा करने को कहा. इन मांगों का अनुपालन करते हुए, खान ने सुबह 3 बजे के आसपास औपचारिक शिकायत दर्ज की और हिंदू राव अस्पताल से आवश्यक एमएलसी प्राप्त की. इन प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के बावजूद, पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है. इसके अलावा, घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से कोई प्रारंभिक जांच या बयान दर्ज नहीं किया गया है. पीड़ित शहरयार खान के साथ डीयू के कई छात्र मॉरिस नगर थाने में धरने पर बैठे हैं.
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