लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के रुपईडीहा डिपो की बस का टायर राह चलते पंक्चर हो गया था. जिसके बाद यात्रियों ने चंदा जुटाकर बस का टायर सही कराया और बस रूट पर रवाना हो सकी थी. यह वीडियो वायरल हुआ तो परिवहन निगम के अधिकारियों को बुरा लग गया और उन्होंने आनन-फानन में ड्राइवर-कंडक्टर को नौकरी से निकाल दिया. परिवहन निगम की इस कार्रवाई पर अब यूनियन नेता भड़क गए हैं. उन्होंने इसे गलत कार्रवाई बताया है. रोडवेज के एमडी से चालक-परिचालक को बहाल करने की मांग की है.
सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के महामंत्री जसवंत सिंह का कहना है कि जिस तरह की कार्रवाई चालक-परिचालक पर की गई है वह बिल्कुल भी सही नहीं है. चालक-परिचालक का कोई दोष नहीं था. उस बस में तीन रूट की अलग-अलग सवारियां बैठी थीं. उस रूट पर ड्राइवर और कंडक्टर बस ले जा रहे थे. पूरी बस में 52 यात्री सवार थे तो इनकम भी पूरी ही आनी थी, लेकिन जब बस पंक्चर हुई तो ड्राइवर कंडक्टर के पास इतने पैसे नहीं थे जितने में बस सही हो सके. ऐसे में पैसे की डिमांड अधिकारियों से ही तो की जाएगी तो भला चालक परिचालक ने कौन सा गुनाह कर दिया?
उन्होंने कहा कि यात्रियों ने खुद चंदा वसूलकर बस सही कराई और किसी ने इसका वीडियो वायरल कर दिया तो इसमें भला ड्राइवर-कंडक्टर का क्या जुर्म? उन्हें आनन-फानन में नौकरी से निकाल देना बिल्कुल भी सही नहीं है. अगर सजा ही देनी थी तो रूट ऑफ किया जा सकता था. अब उन ड्राइवर-कंडक्टर की 10 हजार रुपए प्रतिभूति राशि भी जब्त हो गई और नौकरी भी नहीं बची. यही नहीं यात्रियों से जो 1100 रुपए चंदा वसूला गया था, सही मायने में देखा जाए तो आज भी वह चंदा रोडवेज की ही जेब में है. क्यों इस पैसे को वापस यात्रियों को नहीं दिया गया? यात्रियों को पैसा वापस करना चाहिए. ड्राइवर कंडक्टर ने इतना बड़ा गुनाह नहीं किया कि उनकी नौकरी खत्म कर दी जाए. दोनों की बहाली होनी चाहिए. इसी तरह के अन्य प्रकरणों समेत चार बिंदुओं को लेकर 22 जुलाई को परिवहन निगम पर एक दिन का सत्याग्रह किया जाएगा.
यह था मामला : बता दें कि मामला अवध बस स्टेशन से रुपईडीहा डिपो जा रही बस का था. बस संख्या यूपी 53 डीटी 4610 अवध स्टेशन से रुपईडीहा डिपो के लिए रवाना हुई थी. इसमें नानपारा, बहराइच और रुपईडीहा डिपो के साथ ही रास्ते के अन्य यात्री थे. बीच राह में यह बस जब पंक्चर हो गई तो इसे मैकेनिक के पास ले जाकर दिखाया गया. पंक्चर के साथ ही बस का ट्यूब भी खराब निकला. चालक ने टायर बदलने के लिए स्टेपनी निकाली तो उसका नट फ्री हो गया, जिससे टायर नहीं खुल सका. मैकेनिक ने टायर, ट्यूब की मरम्मत पर 1100 रुपये का खर्च बताया. इसके बाद चालक ने फोरमैन से फोन पर बात की तो उसे टरका दिया गया. फोरमैन ने कहा कि 1100 रुपए नहीं दिए जा सकते. दूसरी बस में यात्री ट्रांसफर कर दो. इस बात का बस से जा रहे यात्रियों ने विरोध किया और मिलकर चंदा जुटाया. इसके बाद टायर-ट्यूब ठीक हुआ और बस आगे के लिए रवाना हुई थी.
नौकरी से बाहर कर दिए गए थे चालक-परिचालक : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक (टेक्निकल) राजीव आनंद का कहना है कि रुपईडीहा डिपो की बस थी, जिसका टायर खराब हुआ था. यात्रियों ने इसे ठीक कराया. इस मामले में एआरएम और फोरमैन से जानकारी ली गई. परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह ने बताया कि चालक ने जो धनराशि अधिकारियों से मांगी थी, उतनी राशि पंक्चर के लिए नहीं मिलती है. इसी वजह से उसे मना किया गया. यह भी निर्देश दिए गए थे कि यात्रियों को पीछे से आ रही दूसरी बस में बिठाकर रवाना कर दिया जाए. इस मामले में चालक-परिचालक ने यात्रियों को भड़काकर वीडियो बनवाया. जांच में टायर में आठ इंच का कट सामने आया है. यह बस के चालक की लापरवाही से हुआ. इस मामले में संविदा चालक सूर्यभान मिश्रा और संविदा परिचालक बाबू लाल सरोज की सिक्योरिटी राशि जब्त कर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.
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