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उत्तराखंड के किसानों की उगाई जड़ी-बूटियों को मिल रहा बाजार, बनारस की इस डॉक्टर ने प्लेटफॉर्म किया तैयार - Herbs of Uttarakhand

Uttarakhand Herbal Production उत्तराखंड जैव विविधता वाला प्रदेश है. यहां विभिन्न पौधों की 1700 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार इनमें 700 से ज्यादा पौधों की प्रजातियां औषधि के काम आती हैं. रामायण और राम चरित मानस के अनुसार राम-रावण युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी तो हनुमान जी संजीवनी बूटी भी उत्तराखंड में स्थित हिमालय पर्वत से ही लाए थे. इतना कुछ होने के बावजूद उत्तराखंड के मूल निवासियों को जड़ी बूटी का बाजार नहीं मिल पाया. अब श्रीनगर में संस्थान चला रही डॉ प्रीति सिंह किसानों द्वारा उगाई जड़ी बूटियों को बाजार दिलाने का दावा कर रही हैं.

Uttarakhand Herbal Production
उत्तराखंड जड़ी बूटी समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 8, 2024, 6:13 AM IST

जड़ी-बूटियों को मिल रहा बाजार (Video- ETV Bharat)

श्रीनगर: उत्तराखंड में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां और ऑर्गेनिक उत्पाद पाए जाते हैं. इनका उपयोग कई बीमारियों के उपचार में होता है. पहाड़ों में किसान इन जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं. हालांकि बाजार की कमी के कारण उन्हें उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिल पाते. ऐसे में उत्तर प्रदेश के वाराणसी की डॉक्टर प्रीति सिंह पहाड़ी उत्पादों और जड़ी-बूटियों के लिए बाजार उपलब्ध करा रही हैं और किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. आज डॉक्टर प्रीति के साथ मिलकर 50 से अधिक किसान ऑर्गेनिक जड़ी बूटियों की खेती कर रोजगार पा रहे हैं.

डॉ प्रीति जड़ी बूटियों को बाजार तक पहुंचा रही हैं: डॉक्टर प्रीति सिंह गढ़वाल विवि की शोध छात्रा रह चुकी हैं. उनकी पढ़ाई लिखाई वाराणसी से ही हुई है. पढ़ने लिखने में तेज प्रीति अब पहाड़ों में रहकर ऑर्गेनिक जड़ी बूटियों को बाजार उपलब्ध करवा रही हैं. सुभाग हिमालयन रिसोर्स की संचालक डॉ. प्रीती सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि हिमालय में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियां बहुत ही उपयोगी हैं. केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी उनकी काफी मांग है.

किसानों को रोजगार देने का भी किया है दावा: उन्होंने बताया कि किसान जड़ी-बूटियों की खेती तो करते हैं, लेकिन उनकी पैकेजिंग और बाजार न मिलने के कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल पाते. वे इन जड़ी-बूटियों और उत्पादों की अच्छी पैकेजिंग कर देश और विदेश में सप्लाई कर रही हैं. उन्होंने बताया कि अभी उनका उत्पादित सामान अमेरिका, फ्रांस, रूस सहित अन्य देशों के लिए सप्लाई किया जाता है. डॉ. प्रीति बताती हैं कि उनके पास कुटकी, अश्वगंधा, कूट, जटामांसी और हिसालू जैसी जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं. इसके अलावा फूलों में बुरांश, रोज़ पेटल, रोज़मेरी और पहाड़ी उत्पादों में जखिया, मडुआ, और झंगोरा को भी वे पहाड़ी किसानों से लेकर उन्हें बाजार उपलब्ध कराती हैं. वे चमोली और रुद्रप्रयाग के दूरस्थ क्षेत्रों में जड़ी-बूटी की खेती करने वाले किसानों को बाजार मुहैया करवा रही हैं. उनके उत्पाद कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात की कंपनियां भी खरीदती हैं.

फूलों की खेती से होगा किसानों को फायदा: डॉक्टर प्रीति ने बताया कि उत्तराखंड में यदि किसान अपराजिता की खेती करें, तो उसकी बाजार में काफी मांग है. इसके फूल से ब्लू टी बनाई जाती है. वर्तमान में इसकी खेती उत्तर प्रदेश के कानपुर में की जाती है और वहीं से इसकी सप्लाई होती है. लेकिन वहां इसकी खेती में काफी मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है. बाजार में ऑर्गेनिक ब्लू टी की मांग बहुत अधिक है. इसलिए यदि पहाड़ों में किसान अपराजिता की खेती करें, तो उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है. उन्होंने बताया कि वे कोशिश कर रही हैं कि अपराजिता की खेती के लिए किसानों को पौध दें और उससे वे रोजगार कर सकें. उन्होंने बताया कि अपराजिता की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.
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जड़ी-बूटियों को मिल रहा बाजार (Video- ETV Bharat)

श्रीनगर: उत्तराखंड में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां और ऑर्गेनिक उत्पाद पाए जाते हैं. इनका उपयोग कई बीमारियों के उपचार में होता है. पहाड़ों में किसान इन जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं. हालांकि बाजार की कमी के कारण उन्हें उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिल पाते. ऐसे में उत्तर प्रदेश के वाराणसी की डॉक्टर प्रीति सिंह पहाड़ी उत्पादों और जड़ी-बूटियों के लिए बाजार उपलब्ध करा रही हैं और किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. आज डॉक्टर प्रीति के साथ मिलकर 50 से अधिक किसान ऑर्गेनिक जड़ी बूटियों की खेती कर रोजगार पा रहे हैं.

डॉ प्रीति जड़ी बूटियों को बाजार तक पहुंचा रही हैं: डॉक्टर प्रीति सिंह गढ़वाल विवि की शोध छात्रा रह चुकी हैं. उनकी पढ़ाई लिखाई वाराणसी से ही हुई है. पढ़ने लिखने में तेज प्रीति अब पहाड़ों में रहकर ऑर्गेनिक जड़ी बूटियों को बाजार उपलब्ध करवा रही हैं. सुभाग हिमालयन रिसोर्स की संचालक डॉ. प्रीती सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि हिमालय में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियां बहुत ही उपयोगी हैं. केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी उनकी काफी मांग है.

किसानों को रोजगार देने का भी किया है दावा: उन्होंने बताया कि किसान जड़ी-बूटियों की खेती तो करते हैं, लेकिन उनकी पैकेजिंग और बाजार न मिलने के कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल पाते. वे इन जड़ी-बूटियों और उत्पादों की अच्छी पैकेजिंग कर देश और विदेश में सप्लाई कर रही हैं. उन्होंने बताया कि अभी उनका उत्पादित सामान अमेरिका, फ्रांस, रूस सहित अन्य देशों के लिए सप्लाई किया जाता है. डॉ. प्रीति बताती हैं कि उनके पास कुटकी, अश्वगंधा, कूट, जटामांसी और हिसालू जैसी जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं. इसके अलावा फूलों में बुरांश, रोज़ पेटल, रोज़मेरी और पहाड़ी उत्पादों में जखिया, मडुआ, और झंगोरा को भी वे पहाड़ी किसानों से लेकर उन्हें बाजार उपलब्ध कराती हैं. वे चमोली और रुद्रप्रयाग के दूरस्थ क्षेत्रों में जड़ी-बूटी की खेती करने वाले किसानों को बाजार मुहैया करवा रही हैं. उनके उत्पाद कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात की कंपनियां भी खरीदती हैं.

फूलों की खेती से होगा किसानों को फायदा: डॉक्टर प्रीति ने बताया कि उत्तराखंड में यदि किसान अपराजिता की खेती करें, तो उसकी बाजार में काफी मांग है. इसके फूल से ब्लू टी बनाई जाती है. वर्तमान में इसकी खेती उत्तर प्रदेश के कानपुर में की जाती है और वहीं से इसकी सप्लाई होती है. लेकिन वहां इसकी खेती में काफी मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है. बाजार में ऑर्गेनिक ब्लू टी की मांग बहुत अधिक है. इसलिए यदि पहाड़ों में किसान अपराजिता की खेती करें, तो उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है. उन्होंने बताया कि वे कोशिश कर रही हैं कि अपराजिता की खेती के लिए किसानों को पौध दें और उससे वे रोजगार कर सकें. उन्होंने बताया कि अपराजिता की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.
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