गोरखपुर : पूरी दुनिया एक बार फिर 24 मार्च को 'विश्व टीबी दिवस' के रूप में मनाएगी. इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने के उपाय और प्रयासों पर गंभीर चर्चा भी होगी. भारत से तो इसे 2025 तक मिटा देने का पीएम मोदी ने संकल्प ले रखा है. इसके क्रम में प्रयास भी जारी है. लेकिन, इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यही नहीं भारत दुनिया में टीबी मरीजों की एक चौथाई संख्या वाला देश है. बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के हर अंग को प्रभावित कर देने वाली इस बीमारी से चिकित्सकों की राय में जागरूकता, बचाव और इलाज की पूर्ण अवधि को अपनाना ही सबसे बड़ा और कारगर उपाय है. लेकिन, इसके बढ़ते आंकड़े यह बताते हैं कि कहीं न कहीं मरीजों के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है. जिससे इसके आंकड़ों में और मृत्यु दर में कमी नहीं आ रही. जबकि, टीबी एक ऐसी बीमारी है जो गंभीर तो है, लेकिन इसका पूर्ण इलाज संभव है.
डॉ. नदीम अर्शद का.
प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 10.6 मिलियन लोग टीबी से ग्रसित : पूर्वांचल के जाने-माने चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि लोगों से लक्षण और निवारण के प्रति सतर्कता और तेजी लाने की अपील की है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन पूरे विश्व में लगभग 4400 टीबी (क्षय रोग) मरीजों की मृत्यु हो जाती है. जबकि, 30 हजार मरीज हर रोज इस बीमारी से ग्रसित होते हैं. प्रतिवर्ष लगभग विश्व में 10.6 मिलियन लोग टीबी से ग्रसित होते हैं और 1.3 मिलियन मौत के शिकार हो जाते हैं. भारत में 2.82 मिलियन मरीज इस बीमारी का शिकार हो होते हैं और 3.31 लाख की मृत्यु हो जाती है. डॉ. नदीम कहते हैं कि इस बीमारी के प्रति लोगों में अभी भी जानकारी का अभाव है. कोरोना के कारण 2020 के बाद पूरे विश्व में टीबी मरीज की संख्या बढ़ी है और मरने वालों की मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है. WHO जैसी संस्था भी यह मानती है कि इस बीमारी के लिए लोगों का सचेत न होना और शुरुआती दौर में, इसे गंभीरता से न लेना इसके होने का प्रमुख कारण बना हुआ है. टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस यह एक बैक्टीरिया की वजह से होता है. जो शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है. हालांकि, ज्यादातर यह फेफड़ों में ही पाया जाता है. इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों जोड़ों, गुर्दे के साथ हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं.
टीबी के लक्षण : डॉ नदीम ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार जो खास तौर पर शाम को बढ़ता हो और छाती में तेज दर्द के साथ वजन का अचानक घटना जारी हो. भूख में भी कमी आ गई हो और बलगम के साथ खून आए. सांस लेने में तकलीफ हो तो यह ट्यूबरक्लोसिस का लक्षण हो सकता है. ऐसी स्थिति में इसकी जांच के माध्यमों को लोगों को अपनाना चाहिए. जिसमें एक्स-रे, बलगम की जांच, स्किन टेस्ट आदि होती है. उन्होंने कहा कि सरकार टीबी के मरीजों को मुफ्त में दवा दे रही है. खान-पान के लिए ₹500 प्रतिमा भत्ता भी दे रही है. जांच भी फ्री हो रही है. इसके बाद भी लोग इसमें लापरवाही और कोताही बरत रहे हैं, जिससे यह नियंत्रित नहीं हो रही.
ह्यूमन ट्रायल 24 मार्च से होगा शुरू : उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी से संक्रमित रोगियों के कफ, छींकने, खांसने, थूकने और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में बैक्टीरिया फैल जाते हैं. जोकि कई घंटे तक वायु में रह सकते हैं. जिसके करण स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से इसका शिकार बन सकता है. हालांकि संक्रमित व्यक्ति के कपड़े छूने या उससे हाथ मिलाने से यह बीमारी नहीं फैलती. दो हफ्ते से अधिक समय तक खासी रहती है तो इसे चिकित्सक को दिखाना चाहिए. बीमार व्यक्ति से दूरी बनाए रखना चाहिए. अगर आप किसी बीमार व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं तो अपने हाथ जरूर धो लें और पौष्टिक आहार में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल्स कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर के अलावा पौष्टिक आहार जरूर लें. उन्होंने कहा कि WHO द्वारा प्रतिवर्ष एक स्लोगन के साथ विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष इसका स्लोगन है " YES! WE CAN END TB". उन्होंने कहा कि बड़ी खुशी की बात है कि टीबी स्थाई इलाज के लिए M-72 नाम की वैक्सीन बहुत जल्द बाजार में आ जाएगी. जिसका ह्यूमन ट्रायल 24 मार्च से शुरू हो रहा है. जो 5 साल के भीतर उपयोग में आ जाएगा. इसे ग्लैक्सो ने बनाया है, जिसके लिये बिल एंड मेलिंडा के साथ वेलकम ग्रुप ने इसमें अपनी भागीदारी दी है.
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