कानपुर: केवल एक टिश्यू से बीमारी का अब पता लगाया जा सकेगा. यह टिश्यू मसल, लीवर, ब्लड का भी हो सकता है. इसके अलावा हड्डी में मौजूद डीएनए से किसी मृत व्यक्ति की पहचान आसानी से की जा सकती है, बशर्ते बॉडी डीकंपोज न हुई हो. यह जानकारी शहर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए विवि) में आयोजित 12वीं अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में बतौर अतिथि पहुंचे एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ (फोरेंसिक मेडिसिन) डॉ. डीएन भारद्वाज ने दी.
डॉ. डीएन भारद्वाज ने बताया कि बहुत जल्द सरकार की ओर से फोरेंसिक विभागों में मैनपॉवर की कमी को दूर किया जाएगा. साथ ही मरीज या मृतकों की रिपोर्ट, जो अभी 6-6 माह तक पेंडिंग रहती है, वह भी महज 15 दिन से एक माह के अंदर मिल जाएगी. विभागों को आधुनिक सुविधाओं व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकों वाले उपकरण दिए जा रहे हैं, जिससे टेस्ट आसान हो जाएंगे. नई दिल्ली एम्स में एआई की मदद से ब्लड टेस्ट शुरू हो चुके हैं. कार्यक्रम में विवि के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह, डॉ. पीके सिंह, डॉ. खलील खान आदि मौजूद रहे.
एम्स दिल्ली में ड्रोन से पहुंचेंगी दवाएं: एम्स दिल्ली से आए डॉ. डीएन भारद्वाज ने बताया कि एम्स दिल्ली में अब बहुत जल्द ड्रोंस की मदद से जहां दवाएं समेत अन्य जरूरी उपकरणों को पहुंचाने का काम शुरू होगा. वहीं, सभी गतिविधियों की मॉनीटरिंग भी ड्रोंस से कराने की तैयारी है. उप्र को लेकर उन्होंने कहा, यहां रायबरेली और गोरखपुर में जो एम्स हैं, वहां भी जल्द सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी. इसके साथ ही, एसजीपीजीआई जैसे अस्पतालों में भी एम्स के मानकों पर बदलाव किया जा रहा है.
विभिन्न राज्यों से 150 से अधिक शोधार्थी हुए शामिल: 12वीं अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के आयोजक डॉ. एनके शर्मा (डीन इंजीनियरिंग कालेज इटावा) ने बताया कि दो दिनों तक आयोजित रही अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में विभिन्न राज्यों से 150 से अधिक शोधार्थियों ने आकर हिस्सा लिया. कई शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किए. इस आयोजन से पहले विवि को पीएम फिशरिज प्रोजेक्ट का नोडल सेंटर भी बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा जा चुका है. उम्मीद है, पीएमओ से बहुत जल्द स्वीकृति भी मिल जाएगी.
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