नई दिल्लीः दिल्ली में एनएचआई का सेंट्रल वर्ज 976 किमी का है. इसमें से अभी 722 किमी सेंट्रल वर्ज को हरियाली लगाकर हरा भारा करना है. पीडब्ल्यूडी ने 738 किमी सेंट्रल वर्ज को पूरा हरित कर दिया है. डीडीए को 183 में से 3.19 किमी सेंट्रल वर्ज को हरा भरा करना है. जिससे सेंट्रल वर्ज से धूल न उड़े और प्रदूषण न हो.
वहीं डीएसआईआईडीसी के पास कुल 28.65 किमी सेंट्रल वर्ज है. पूरा सेंट्रल वर्ज ग्रीन हो चुका है. एनडीएमीसी ने 19.957 किमी का अपना पूरा सेंट्रल वर्ज हरित कर दिया है. डीसीबी ने भी 8 किमी का अपना सारा सेंट्रल वर्ज हरित कर दिया है. वहीं एनसीआरटीसी ने भी 9.0 किमी का अपना पूरा सेंट्रल वर्ज हरित कर दिया है.
दिल्ली पोल्यूशन कंट्रोल कमीटी (डीपीसीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में कुल 1963.807 किलोमीटर सेंट्रल वर्ज है. इसमें 976 किमी का सेंट्रल वर्ज एनएचएआई का है. इसमें से एनएचएआई की ओर से दिसंबर 2023 तक सिर्फ 254 किमी सेंट्रल वर्ज को हराभरा किया गया है. अभी 722 किमी सेंट्रल वर्ज को हराभरा करना है.
दिल्ली सरकार के विभागों ने पूरे सेंट्रल वर्ज को हरा भरा कर दिया है. 3.19 किमी सेंट्रल वर्ज को हरा भरा करना बाकी है. बता दें कि सड़क के बीच सेंट्रल वर्ज में हरियाली न होने से वाहनों के आने जाने के दौरान धूल उड़ती है. इससे प्रदूषण होता है.
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सड़कों के गड्ढों के कारण न सिर्फ यातायात प्रभावित होता है बल्कि जाम लगने के कारण प्रदूषण भी होता है. वाहनों से निकलने वाले धुएं से हवा में प्रदूषण के छोटे कण पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ती है. इस बार प्रदूषण के बड़े कण पीएम 10 की मात्रा कम हुई है. पीएम 2.5 की मात्रा हवा में मौजूद प्रदूषण में बढ़ी है.
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