Morning Walk Or Exercise Expert Advice: खुद को फिट रखने के लिए लोग तरह-तरह के जतन करते हैं, कोई वॉकिंग करता है, कोई दौड़ लगाता है, कोई एक्सरसाइज करता है, कोई जिम जाता है, कोई प्राणायाम करता है, कोई योगासन करता है, लेकिन मॉर्निंग वॉक, मॉर्निंग एक्सरसाइज करने में किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए, कौन सी छोटी-छोटी गलतियां नहीं करनी चाहिए. जिससे पूरी तरह से इंसान फिट रहे और मॉर्निंग वॉक या मॉर्निंग एक्सरसाइज का पूरा फायदा मिले, जानते हैं आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव से.
मॉर्निंग वॉक या एक्सरसाइज कब करें ?
मॉर्निंग वॉक या मॉर्निंग एक्सरसाइज में किन का बातों का ख्याल रखना चाहिए. इसे लेकर आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं की मॉर्निंग एक्सरसाइज या वॉक के बारे में आचार्य वागभट्ट ने ये निर्देश दिया है कि सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में जागें और रात्रि के भोजन का पाचन अच्छे से हुआ है या नहीं इसकी जांच करें. निश्चय करें की अगर रात का खाने का अच्छे से पाचन हो गया है, तो मॉर्निंग वॉक या एक्सरसाइज करें. अगर नहीं हुआ है तो दोबारा से फिर सो जाना चाहिए, क्योंकि जब आप जब अजीर्ण की कंडीशन में होते हैं, तो उस समय किया गया एक्सरसाइज शरीर के लिए लाभप्रद नहीं होता है. मतलब ओवर एक्सपर्ट बॉडी को करने से कोई लाभ मिलता नहीं है, अब मान लीजिए अगर आपका रात का भोजन डाइजेस्ट हो गया है, तो नित्य क्रिया के बाद में आप एक्सरसाइज कर सकते हैं.
कितना करना है एक्सरसाइज
एक्सरसाइज आपकी बॉडी बिल्डप के हिसाब से आपकी उम्र के हिसाब से आपके जेंडर के हिसाब से होनी चाहिए. उदाहरण के लिए अगर आप मिड एज के हैं तो आप थोड़ा बहुत स्टेनियस एक्सरसाइज कर सकते हैं. अगर आप ओल्ड एज के हैं, तो आप स्टीनीयस एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं. जिसमें बॉडी को नुकसान हो.
ऐसे करें मॉर्निंग वॉक
जनरली लोग मॉर्निंग वॉक करते हैं. मॉर्निंग वॉक करने से उतना फायदा नहीं मिलता है, जितना स्टीनियस वॉक से फायदा मिलता है, क्योंकि उसमें आपकी बॉडी की सारी नसें खुलती हैं और पसीना आता है. पसीना आना सेहत के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसके साथ बॉडी की इंप्योरिटीज और टॉक्सिंस भी बॉडी के बाहर निकलती है. स्टीनियस वॉक का मतलब ये है कि आप अपने नॉर्मल स्पीड से तेज स्पीड में चलें. जिससे थोड़ा सा आपका ब्लड प्रेशर और थोड़ा सा आपका पल्स रेट इंक्रीज हो. इससे ब्लड फ्लो जो है, पेरीफेरी आर्टरी में या टर्मिनल आर्टरी में तेजी से पहुंचता है. जिससे ब्लड क्लाट आदि की संभावनाएं कम हो जाती हैं.
दूसरा आपका हार्ट भी मजबूत होता है. वॉक कर रहे हैं तो दौड़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन तेजी से चलें और अपना हार्टबीट उस लेवल तक लेकर जाएं, जितना सह सकते हैं. जब आपको लगता है कि सांस भरने लग गई है, तो उसी क्षण रुक जाएं. तेजी से सांस लें, पूरे फेफड़े फुल कर के सांस लें और नॉर्मल स्पीड में अपने घर आ जाएं.
मॉर्निंग एक्सरसाइज जूतों का भी रखें ख्याल
मॉर्निंग एक्सरसाइज करने के लिए आपके जूते बहुत जरूरी फैक्टर होते हैं. जूते वन थर्ड फ्लैक्सिबल होने चाहिए, मतलब आगे से एक तिहाई जूता फ्लैक्सिबल होना चाहिए. ना ही बहुत सॉफ्ट होना चाहिए, ना ही बहुत हार्ड होना चाहिए. आपको कंफर्ट दे, ऐसे जूते का अगर आप उपयोग करते हैं, तो आपकी बॉडी का एलाइनमेंट नहीं बिगड़ा है. ज्यादातर भारतीय एथलीट भी जो होते हैं, वो अपनी बॉडी पोस्चर सही रखने के लिए सही जूता का चयन करते हैं. इवेंट कस्टमाइज शूज बनाते हैं.
एक्सरसाइज या वॉकिंग में इन बातों का रखें ख्याल
मॉर्निंग वॉक या एक्सरसाइज के समय ये देखना चाहिए कि हमें कोई ऐसी बीमारी ना हो. जिससे एक्सरसाइज में नुकसान हो, उदाहरण के लिए डिजनरेटिव ऑस्ट्रियो आर्थराइटिस के पेशेंट को बहुत ज्यादा वर्क नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनके घुटने का कार्टिलेज ऑलरेडी रैपचर है. अगर वो ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं, तो दिक्कत हो सकती है.
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मीनोपॉज के बाद में महिलाओं को स्टीनियस एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए. मीनोपॉज के बाद में जो कैलशियम लेवल होता है. वो बॉडी से घट जाता है. जिससे उनको ऑस्टियोआर्थराइटिस होने के चांसेस बढ़ जाता है. मिड एज और ओल्ड एज पर्सन को बहुत संभलकर एक्सरसाइज करना चाहिए.
किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करें
आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव कहते हैं की 'एक्सरसाइज बहुत अच्छी चीज है, लेकिन उसे ध्यान से करें और हो सके तो किसी कंसलटेंट से पूछ कर करना ज्यादा उचित होता है. इसी तरह से योग आसन प्राणायाम भी किसी कंसलटेंट या विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें तो ज्यादा बेहतर होगा.