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Delhi: डॉक्टरों ने बुजुर्ग महिला के घुटने की सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी कर उन्हें दोबारा चलने-फिरने में बनाया सक्षम

डॉक्टरों की टीम ने 97 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला के घुटने की सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी कर उन्हें दोबारा चलने-फिरने में सक्षम बना दिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

97 वर्षीय बुजुर्ग महिला के घुटने की हुई सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी
97 वर्षीय बुजुर्ग महिला के घुटने की हुई सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी (Etv Bharat)

नई दिल्‍ली: दिल्ली के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने 97 वर्षीया महिला के घुटने की सफलतापूर्वक टोटल रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करके उन्हें फिर से चलने फिरने फिरने में सक्षम बना दिया है. गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित होने के बावजूद वह बिना किसी सहारे के चलने-फिरने में सक्षम हुई हैं. फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के ऑर्थोपेडिक, रिप्लेसमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के डायरेक्‍टर डॉ. धनंजय गुप्ता के नेतृत्‍व में यह सर्जरी की गई, जिसमें विभिन्‍न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की टीम ने सहयोग किया और मरीज की सुरक्षित रिकवरी सुनिश्चित की. सफल सर्जरी के बाद रोगी की स्थिति में सुधार होने के बाद अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई.

मरीज रेशम देवी ने बताया कि वह पिछले 30 वर्षों से वृंदावन के एक आश्रम में रह रही थीं. काफी समय से वह घुटने के दर्द से काफी परेशान थीं. शुरू में उनकी कमजोर सेहत को देखते हुए उनका सामान्‍य उपचार किया गया, लेकिन कूल्हे में लचीलेपन की विकृति तथा दोनों घुटनों में एडवांस्‍ड ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण उन्हें चलने-फिरने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. बिना किसी की मदद और सम्मान के साथ जीने के लिए दृढ़ संकल्पित रेशम देवी ने अपनी चलने फिरने की गतिविधि को पूरी तरह से वापस पाने के लिए दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी कराने का निर्णय किया. अस्‍पताल में भर्ती होने के समय मरीज का चलना-फिरना काफी मुश्किल था.

97 वर्षीय बुजुर्ग महिला के घुटने की हुई सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी (Etv Bharat)

ये भी पढ़ें: दिल्ली में 23 किलो की महिला को मिला नया जीवन, अब चल सकती है, बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी सफल

साथ ही उन्हें दोनों घुटनों तथा बाएं कूल्हे में गंभीर दर्द की शिकायत थी. छह महीने से ज्‍यादा समय तक उन्‍होंने व्यापक फिजियोथेरेपी कराई और सर्जरी से पहले की तैयारी की. जिसमें उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए टेरीपैराटाइड, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट के इंजेक्शन दिए गए थे. इसके बावजूद उन्‍हें रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कत आ रही थी और वह दूसरों की सहायता पर निर्भर थीं.

उनकी उम्र और मामले की जटिलता को देखते हुए डॉ. गुप्ता और उनकी टीम ने शुरू में एक घुटने को रिप्‍लेस कराने की सलाह दी. तीन महीने बाद दूसरे घुटने की रिप्‍लेसमेंट का विकल्प सुझाया. लेकिन रेशम देवी ने दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी एक साथ कराने की इच्छा व्यक्त की. ब्‍लड, लिवर और किडनी की जांच तथा हृदय संबंधी जांच सहित एनेस्थीसिया-पूर्व गहन जांच के बाद, उन्‍हें दोनों सर्जरी एकसाथ कराने की मंजूरी दे दी गई.

डॉक्टरों ने पहले बाएं और फिर दाएं घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की

बाएं घुटने के सफल रिप्‍लेसमेंट के बाद सर्जिकल टीम ने मरीज के महत्वपूर्ण संकेतों की बारीकी से निगरानी की. कोई प्रतिकूल रीडिंग नहीं मिलने पर उन्होंने दाएं घुटने की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करने का निर्णय किया. सर्जरी के बाद, निगरानी और दर्द प्रबंधन के लिए उन्‍हें रात भर आईसीयू में रखा गया. अगले दिन, वह वॉकर के सहारे चलने-फिरने के लिए तैयार थीं, जो उनके स्वास्थ्य-लाभ के सफर के शुरुआत का संकेत था.

डॉ. धनंजय गुप्‍ता ने कहा कि यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था क्योंकि मरीज की उम्र काफी अधिक थी और उनकी स्थिति भी कठिन थी. अगर इस सर्जरी में देर होती तो मरीज में गंभीर रूप से चलने फिरने की समस्या बनी रहती.

डॉक्टरों ने बताया कि बुजुर्ग मरीजों में चलने-फिरने की समस्‍या चिंता, अवसाद और स्वास्थ्य में सामान्य गिरावट के बढ़ते जोखिम से काफी हद तक जुड़ी हुई है. शारीरिक गतिशीलता बुजुर्गों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हड्डियों और मांसपेशियों के साथ-साथ हृदय और श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में युवक के पेट से निकला जिंदा कॉकरोच! फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने 10 मिनट में की सर्जरी

नई दिल्‍ली: दिल्ली के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने 97 वर्षीया महिला के घुटने की सफलतापूर्वक टोटल रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करके उन्हें फिर से चलने फिरने फिरने में सक्षम बना दिया है. गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित होने के बावजूद वह बिना किसी सहारे के चलने-फिरने में सक्षम हुई हैं. फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के ऑर्थोपेडिक, रिप्लेसमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के डायरेक्‍टर डॉ. धनंजय गुप्ता के नेतृत्‍व में यह सर्जरी की गई, जिसमें विभिन्‍न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की टीम ने सहयोग किया और मरीज की सुरक्षित रिकवरी सुनिश्चित की. सफल सर्जरी के बाद रोगी की स्थिति में सुधार होने के बाद अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई.

मरीज रेशम देवी ने बताया कि वह पिछले 30 वर्षों से वृंदावन के एक आश्रम में रह रही थीं. काफी समय से वह घुटने के दर्द से काफी परेशान थीं. शुरू में उनकी कमजोर सेहत को देखते हुए उनका सामान्‍य उपचार किया गया, लेकिन कूल्हे में लचीलेपन की विकृति तथा दोनों घुटनों में एडवांस्‍ड ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण उन्हें चलने-फिरने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. बिना किसी की मदद और सम्मान के साथ जीने के लिए दृढ़ संकल्पित रेशम देवी ने अपनी चलने फिरने की गतिविधि को पूरी तरह से वापस पाने के लिए दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी कराने का निर्णय किया. अस्‍पताल में भर्ती होने के समय मरीज का चलना-फिरना काफी मुश्किल था.

97 वर्षीय बुजुर्ग महिला के घुटने की हुई सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी (Etv Bharat)

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साथ ही उन्हें दोनों घुटनों तथा बाएं कूल्हे में गंभीर दर्द की शिकायत थी. छह महीने से ज्‍यादा समय तक उन्‍होंने व्यापक फिजियोथेरेपी कराई और सर्जरी से पहले की तैयारी की. जिसमें उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए टेरीपैराटाइड, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट के इंजेक्शन दिए गए थे. इसके बावजूद उन्‍हें रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कत आ रही थी और वह दूसरों की सहायता पर निर्भर थीं.

उनकी उम्र और मामले की जटिलता को देखते हुए डॉ. गुप्ता और उनकी टीम ने शुरू में एक घुटने को रिप्‍लेस कराने की सलाह दी. तीन महीने बाद दूसरे घुटने की रिप्‍लेसमेंट का विकल्प सुझाया. लेकिन रेशम देवी ने दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी एक साथ कराने की इच्छा व्यक्त की. ब्‍लड, लिवर और किडनी की जांच तथा हृदय संबंधी जांच सहित एनेस्थीसिया-पूर्व गहन जांच के बाद, उन्‍हें दोनों सर्जरी एकसाथ कराने की मंजूरी दे दी गई.

डॉक्टरों ने पहले बाएं और फिर दाएं घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की

बाएं घुटने के सफल रिप्‍लेसमेंट के बाद सर्जिकल टीम ने मरीज के महत्वपूर्ण संकेतों की बारीकी से निगरानी की. कोई प्रतिकूल रीडिंग नहीं मिलने पर उन्होंने दाएं घुटने की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करने का निर्णय किया. सर्जरी के बाद, निगरानी और दर्द प्रबंधन के लिए उन्‍हें रात भर आईसीयू में रखा गया. अगले दिन, वह वॉकर के सहारे चलने-फिरने के लिए तैयार थीं, जो उनके स्वास्थ्य-लाभ के सफर के शुरुआत का संकेत था.

डॉ. धनंजय गुप्‍ता ने कहा कि यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था क्योंकि मरीज की उम्र काफी अधिक थी और उनकी स्थिति भी कठिन थी. अगर इस सर्जरी में देर होती तो मरीज में गंभीर रूप से चलने फिरने की समस्या बनी रहती.

डॉक्टरों ने बताया कि बुजुर्ग मरीजों में चलने-फिरने की समस्‍या चिंता, अवसाद और स्वास्थ्य में सामान्य गिरावट के बढ़ते जोखिम से काफी हद तक जुड़ी हुई है. शारीरिक गतिशीलता बुजुर्गों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हड्डियों और मांसपेशियों के साथ-साथ हृदय और श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है.

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