गैरसैंण: वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए डीएम हिमांशु खुराना की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा अनुश्रवण समिति की बैठक हुई. जिसमें वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि की रोकथाम के लिए पूरी तैयारी रखने, पर्यावरण एवं जंगलों के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने और सबकी सहभागिता से वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम करने के निर्देश दिए गए.
डीएम हिमांशु खुराना ने ब्लॉक स्तर, ग्राम पंचायत और वन पंचायत स्तर पर जल्द बैठक आयोजित कर वनाग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करने के निर्देश दिए. संवेदनशील एवं अति संवेदनशील वन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ ही फायर फाइटिंग किट देने को कहा. वहीं, जंगलों में आग लगाने वालों पर एफआईआर दर्ज करने को कहा गया है.
वहीं, एनआरएलएम महिला समूहों से कर्न्वेजेंस करते हुए वन क्षेत्रों में पिरूल जमा कर इस्तेमाल में लाने को कहा गया. बीते सालों की गतिविधियों और उसके प्रभाव के आधार पर फायर सीजन के लिए प्रभावी कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए. वहीं, वनाग्नि की रोकथाम में अच्छा कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया जाएगा.
समिति की बैठक में वनाग्नि की रोकथाम के लिए वन पंचायत सरपंचों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के सुझाव भी लिए गए. डीएम खुराना ने कहा कि नए वन अधिनियम के तहत वनाग्नि की रोकथाम के लिए वन क्षेत्रों फायर कंट्रोल लाइन बनाई जा सकती है. उन्होंने अति संवेदनशील वन क्षेत्रों में फायर लाइन बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी दिए.
जंगलों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए. ग्रामीण स्तर पर युवाओं, महिलाओं, स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देकर वनाग्नि के बारे में जागरूक करें. डीएम खुराना ने फायर सीजन के दौरान सभी विभागों को आपसी समन्वय बनाकर काम करने के निर्देश दिए.
वन क्षेत्राधिकारियों को सभी अधिकारियों, वन पंचायत सरपंचों और ग्राम प्रहरी के फोन नंबर अपडेट रखने एवं निर्धारित प्रारूप में समय से वनाग्नि दुर्घटनाओं की जानकारी प्रसारित कराने को कहा. ताकि, आग लगने पर बुझाने की तत्काल कार्रवाई की जा सके.
चमोली जिले में इतना है वन क्षेत्र: चमोली डीएफओ सर्वेश कुमार दुबे ने बताया कि चमोली जिले में 5,06,094.473 हेक्टेयर वन क्षेत्र है. इसमें से 1,61,547.25 हेक्टेयर वन क्षेत्र संवेदनशील और 3,97,36.62 हेक्टेयर अति संवेदनशील है. पिछले साल जिले में वनाग्नि की 49 घटनाएं हुई थी. जिसमें 52.12 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ.
उन्होंने बताया कि फायर सीजन में सरफेस फायर, ग्राउंड फायर और क्राउन फायर से वनों को काफी नुकसान होता है. जिले में ज्यादा वन क्षेत्र, वनों का दुर्गम क्षेत्रों में स्थित होने और मानव संसाधनों के अभाव के कारण वनाग्नि की रोकथाम में व्यावहारिक कठिनाई रहती है.
चमोली जिले में 106 क्रू स्टेशन वनाग्नि की रोकथाम के लिए स्थापित किए गए हैं. जिसमें फायर वाचरों की तैनाती कर दी गई है. इस दौरान उन्होंने वन विभाग में उपलब्ध संसाधनों और उपकरणों की जानकारी दी. वनाग्नि के प्रति जन जागरूकता और अग्निशमन में सहयोग करने की अपील की.
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