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कंफ्यूजन दूर; 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली, काशी के ज्योतिषाचार्यों का ऐलान

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुई ज्योतिषाचार्यों की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया फैसला, इसी दिन ही है शुभ मुहूर्त

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

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काशी में ज्योतिषाचार्यों की हुई बैठक. (Etv Bharat)

वाराणसीः दीपावली के त्यौहार को लेकर के सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरीकों की चर्चा है. दीपावली किस तिथि को मनाया जाए, इसको लेकर लोगों को भ्रम है. इसी भ्रम को दूर करने के लिए मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिषाचार्यों की बैठक हुई. बैठक में काशी के विद्वानों ने सर्वसम्मति से 31 अक्टूबर को दीपावली मनाए जाने का ऐलान किया है.


बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया निर्णयः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि इस बार देश में लोगों को दीपावली की तिथि को लेकर के थोड़ा संशय है. जिसे दूर करने के लिए इस बैठक का आवाहन किया गया था. यदि गणितीय पंचांग की बात करें तो इसमें किसी भी प्रकार की तिथि का भ्रम नहीं है. इस पंचांग के लोग 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय ले चुके थे. जो कि ज्योतिष गणित के अनुसार उचित भी है और इसमें कोई भी भ्रम नहीं है. लेकिन दृश्य पंचांग के अनुसार अमावस्या का पूर्व दिन 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर के देश के कुछ भाग में सूर्यास्त के बाद भी कुछ समय तक जा रहा है. जिससे धर्मशास्त्री वचनों का ठीक से अवलोकन नहीं करने के कारण कुछ धर्माचार्य ने अपने पंचांगों में 1 तारीख को दीपावली घोषित की है. जिसके कारण समाज व देश में लोगों को दीपावली की तिथि पर भ्रम है.

काशी के ज्योतिषाचार्यों ने बैठक में किया ऐलान. (Video Credit; ETV Bharat)
1 नवंबर की दीपावली मान्य नहीं प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि काशी विद्वत परिषद, काशी विश्वनाथ न्यास परिषद, काशी हिंदू विश्वविद्यालय का ज्योतिष विभाग व सभी काशी के पंचांगकारों की एक बैठक बुलाई गई थी. जिसमें काशी के सभी विद्वतगण व ज्योतिषी भी थे. बैठक में सभी ने एक मत से निर्णय लिया है कि दृश्य पक्ष हो या पारंपरिक पक्ष दोनों ही दृष्टियों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी. यह शुभ तिथि है और शास्त्रों में जो वर्णित फल है, उसकी प्राप्ति 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन से प्राप्त होगी. 1 नवंबर की दीपावली इसलिए मान्य नहीं है, क्योंकि धर्मशास्त्र इस बात का साथ नहीं दे रहा है. 31 अक्टूबर को ही होगी कालरात्रि, लक्ष्मी की पूजाप्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है कि 'प्रदोषे पूज्यतम लक्ष्मी', यानी की लक्ष्मी की पूजा प्रदोष में होती है. शास्त्र में सूर्यास्त के बाद जो 2 घंटे का समय होता है, वह प्रदोष का समय होता है और यह 31 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है. जिनको सिद्धि प्राप्त करनी है, उनके लिए भी अर्धरात्रि में अमावस्या प्राप्त हो रही है. चाहे किसी को सिद्धि करनी हो कालरात्रि की या फिर लक्ष्मी प्राप्त करनी हो तो लक्ष्मी जी की पूजा 31 अक्टूबर को ही शुभ मुहूर्त में होगी.इसे भी पढ़ें-दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को, राम की अयोध्या में ही कंफ्यूजन; मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा-ज्योतिषी से लेंगे राय

वाराणसीः दीपावली के त्यौहार को लेकर के सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरीकों की चर्चा है. दीपावली किस तिथि को मनाया जाए, इसको लेकर लोगों को भ्रम है. इसी भ्रम को दूर करने के लिए मंगलवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिषाचार्यों की बैठक हुई. बैठक में काशी के विद्वानों ने सर्वसम्मति से 31 अक्टूबर को दीपावली मनाए जाने का ऐलान किया है.


बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया निर्णयः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि इस बार देश में लोगों को दीपावली की तिथि को लेकर के थोड़ा संशय है. जिसे दूर करने के लिए इस बैठक का आवाहन किया गया था. यदि गणितीय पंचांग की बात करें तो इसमें किसी भी प्रकार की तिथि का भ्रम नहीं है. इस पंचांग के लोग 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय ले चुके थे. जो कि ज्योतिष गणित के अनुसार उचित भी है और इसमें कोई भी भ्रम नहीं है. लेकिन दृश्य पंचांग के अनुसार अमावस्या का पूर्व दिन 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर के देश के कुछ भाग में सूर्यास्त के बाद भी कुछ समय तक जा रहा है. जिससे धर्मशास्त्री वचनों का ठीक से अवलोकन नहीं करने के कारण कुछ धर्माचार्य ने अपने पंचांगों में 1 तारीख को दीपावली घोषित की है. जिसके कारण समाज व देश में लोगों को दीपावली की तिथि पर भ्रम है.

काशी के ज्योतिषाचार्यों ने बैठक में किया ऐलान. (Video Credit; ETV Bharat)
1 नवंबर की दीपावली मान्य नहीं प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि काशी विद्वत परिषद, काशी विश्वनाथ न्यास परिषद, काशी हिंदू विश्वविद्यालय का ज्योतिष विभाग व सभी काशी के पंचांगकारों की एक बैठक बुलाई गई थी. जिसमें काशी के सभी विद्वतगण व ज्योतिषी भी थे. बैठक में सभी ने एक मत से निर्णय लिया है कि दृश्य पक्ष हो या पारंपरिक पक्ष दोनों ही दृष्टियों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी. यह शुभ तिथि है और शास्त्रों में जो वर्णित फल है, उसकी प्राप्ति 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन से प्राप्त होगी. 1 नवंबर की दीपावली इसलिए मान्य नहीं है, क्योंकि धर्मशास्त्र इस बात का साथ नहीं दे रहा है. 31 अक्टूबर को ही होगी कालरात्रि, लक्ष्मी की पूजाप्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है कि 'प्रदोषे पूज्यतम लक्ष्मी', यानी की लक्ष्मी की पूजा प्रदोष में होती है. शास्त्र में सूर्यास्त के बाद जो 2 घंटे का समय होता है, वह प्रदोष का समय होता है और यह 31 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है. जिनको सिद्धि प्राप्त करनी है, उनके लिए भी अर्धरात्रि में अमावस्या प्राप्त हो रही है. चाहे किसी को सिद्धि करनी हो कालरात्रि की या फिर लक्ष्मी प्राप्त करनी हो तो लक्ष्मी जी की पूजा 31 अक्टूबर को ही शुभ मुहूर्त में होगी.इसे भी पढ़ें-दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को, राम की अयोध्या में ही कंफ्यूजन; मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा-ज्योतिषी से लेंगे राय
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