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टेराकोटा के उत्पादों से पढ़ाई के साथ लाखों की कमाई, गोरखपुर के युवा बनारस में साकार कर रहे सपने - TERRACOTTA PRODUCTS

TERRACOTTA PRODUCTS : पिता के व्यापार को बढ़ा रहे आगे. दक्षिण भारत से से आती है उत्पादों की डिमांड.

गोरखपुर के युवा बनारस में विरासत को बढ़ा रहे आगे.
गोरखपुर के युवा बनारस में विरासत को बढ़ा रहे आगे. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 31, 2024, 8:40 AM IST

वाराणसी : एक वक्त में विलुप्त होने के कगार पर खड़ा गोरखपुर का टेराकोटा कारोबार अब धूम मचाने लगा है. कारीगर अपनी कला से टेराकोटा के कई उत्पाद बनाकर पूरे देश के लोगों का ध्यान खींच रहे हैं. टेराकोटा के उत्पाद मिट्टी से अलग-अलग डिजाइन में तैयार किए जाते हैं.दीये, हाथी, लालटेन, बैलगाड़ी जैसे अलग-अलग प्रकार के उत्पाद इस कारीगरी को जीवंत कर रहे हैं. गोरखपुर की यह कला पिछले 06 सालों में बुलंदियों को छूने लगी है. सरकार की ODOP योजना ने इस उद्योग को 50 प्रतिशत का उछाल दिया है. दीपावली पर यह काशी में अपना रंग बिखेर रही है. दक्षिण भारत के कई हिस्सों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं.

टेराकोटा के उत्पादों से युवाओं को मिला रोजगार. (Video Credit; ETV Bharat)

टेराकोटा का कारोबार बीते 07 वर्षों में अपनी स्थिति से बहुत ऊपर आ चुका है. आज इस कारोबार में करीब 50 फीसदी से भी अधिक की आय बढ़ी है. प्रदेश सरकार ने टेराकोटा के उत्पाद को 'वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट' (ODOP) में शामिल किया था. साथ ही सरकार की ओर से इसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया. अब इसका फायदा टेराकोटा के कारोबार से जुड़े लोगों को मिल रहा है. इन्हीं से हैं अजय गौतम और अरविंद गौतम. अरविंद नीट की तैयारी कर रहे हैं, जबकि अजय स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. इन दोनों ने अपने पिता के टेराकोटा के व्यापार को संभाला है.

'सरकार की ओर से की जाती है मार्केटिंग' : अजय गौतम बताते हैं कि टेराकोटा के उत्पादों के लिए हमारे पास अधिकतर दक्षिण भारत से डिमांड आती है. मुंबई, नोएडा आदि जगहों पर हमारे उत्पाद जाते रहते हैं. वे सभी अधिकतर होल सेलर रहते हैं. प्रदेश सरकार की ओर से स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना चलाई जा रही है. कुछ दिन पहले नोएडा में लखपति दीदी के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. हम लोग वहां पर गए थे. सरकार के माध्यम से हम लोगों को अच्छी-खासी मार्केटिंग प्रोवाइड कराई गई थी. साथ ही, इलेक्ट्रिक चाक आदि हमें मिला है.

युवा बिखेर रहे हुनर का जलवा
युवा बिखेर रहे हुनर का जलवा (Photo Credit; ETV Bharat)

'करीब 1000 लोग इस काम में लगे हुए हैं' : वे बताते हैं कि मेला आदि के माध्यम से भी सरकार के माध्यम से प्रचार होता है. इस कारोबार में युवा अधिक जुड़ रहे हैं. शुरू में कुछ परिवार ही काम करते थे. अब 8 से 10 गांव इसमें काम करते हैं. इसमें करीब 1000 की संख्या में लोग लगे हुए हैं. उत्पादों को बनाने के क्रम को बताते हुए अजय गौतम कहते हैं कि, तालाब से मिट्टी लाकर मशीन से आटे की तरह गूथ दिया जाता. फिर चाक पर अलग-अलग पार्ट को निकाला जाता है. फिर उन सभी को जोड़कर उत्पाद तैयार किया जाता है. यह पूरी तरीके से हैंडीक्राफ्ट का उत्पाद होता है.

'आमदनी में हुई 50 फीसदी की बढ़ोतरी' : अजय गौतम बताते हैं कि हमारे बनाए उत्पाद बहुत मजबूत होते हैं. हम लोग इन उत्पादों को करीब 24 घंटे तक आग में पकाते हैं. पहले की अपेक्षा इस कारोबार में लगभग 50 फीसदी की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. अरविंद गौतम बताते हैं कि, दीपावली के त्योहर पर कलश वाले नारियल की मांग अधिक हो रही है. इसे दो से तीन लेयर का बनाया जाता है. शुभ-लाभ, ओम् और स्वास्तिक भी बनाया गया है, जिसे लोग खरीद रहे हैं. साथ ही, लक्ष्मी-गणेश जी के साथ दीया बना है, लैंप है जिसमें दीया जलता है. हमारा कारोबार काफी बढ़ा है.

टेराकोटा के उत्पादों से लाखों की कमाई.
टेराकोटा के उत्पादों से लाखों की कमाई. (Photo Credit; ETV Bharat)

'सीएम योगी का रहा बहुत बड़ा योगदान' : अरविंद गौतम बताते हैं कि, टेराकोटा के उत्पाद का सरकार ने बहुत समर्थन किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही इसमें योगदान है. वे हमेशा इसका सपोर्ट करते हैं. वे कहीं भी जाते हैं तो टेराकोटा का ही भेंट देते हैं, जिससे उत्पाद का प्रचार-प्रसार भी होता है. यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो नोएडा में आयोजित किया गया था, जहां हम लोगों को निशुल्क स्टॉल दिया गया था. इसके साथ ही हमारे उत्पादों की वहां पर काफी अच्छी बिक्री भी हुई थी. सरकार की ऐसी मदद से हमारे कारोबार को काफी मदद मिलती है.

'महीने की लगभग 45 हजार हो जाती है आमदनी' : कारोबार को लेकर अरविंद और अजय बताते हैं कि बीते 05 साल से अपने पिता के इस पुश्तैनी काम में हाथ बंटा रहे हैं. पहले हम लोग सिर्फ हाथी-घोड़ा ही बनाते थे. मगर अब अलग-अलग तरीके के अलग-अलग डिजाइन के उत्पाद बनाने शुरू कर दिए हैं. इस पूरी कोशिश में प्रदेश सरकार की ओर से बहुत सहयोग मिला है. वे बताते हैं कि जहां पहले 8 से 10 हजार रुपयों की आय मुश्किल से होती थी, वहीं अब 35 से 45 हजार रुपये महीने की आमदनी हो जाती है. वहीं, जब बड़े ऑर्डर मिलते हैं तो कुछ लोगों के साथ मिलकर उसे पूरा किया जाता है.

कई तरह के उत्पाद मौजूद.
कई तरह के उत्पाद मौजूद. (Photo Credit; ETV Bharat)

क्या है टेराकोटा उत्पाद? : टेराकोटा एक विशेष प्रकार का चीनी मिट्टी शिल्प है. यह आमतौर पर मिट्टी से बनी मूर्तियों के लिए उपयोग की जाती है. साथ ही, विभिन्न बर्तनों, छत की टाइल, ईंटों और सतही सजावट सहित विभिन्न उपयोगों के लिए भी प्रयोग किया जाता है. मुख्य रूप से इसे अन्य शिल्प से अलग इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग, रंगों और आकारों के साथ रचनात्मकता को बढ़ावा भी दिया जाता है. इसके लिए जिस कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है वह खास मिट्टी होती है, जो स्थानीय रूप से उपलब्ध होती है.

'एक जनपद-एक उत्पाद' कार्यक्रम : 'एक जनपद-एक उत्पाद' कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य है कि प्रदेश की उन विशिष्ट शिल्पकलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए जो देश और प्रदेश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं. इसमें प्राचीन खाद्य पदार्थ, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी, अति जटिल शिल्प कार्य आदि को ओडीओपी में शामिल किया गया है. इनमें से बहुत से उत्पाद जीआई टैग धारक भी हैं. ऐसे में इन उत्पादों को सरकार के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी मिलता है और देश-विदेश में बिक्री के लिए भी सहायता मिलती है.

यह भी पढ़ें : VIDEO : दीपावली पर रोशनी से जगमगाया बाबा विश्वनाथ धाम, स्टेडियम में जले 50 हजार दीये, देखिए वीडियो

वाराणसी : एक वक्त में विलुप्त होने के कगार पर खड़ा गोरखपुर का टेराकोटा कारोबार अब धूम मचाने लगा है. कारीगर अपनी कला से टेराकोटा के कई उत्पाद बनाकर पूरे देश के लोगों का ध्यान खींच रहे हैं. टेराकोटा के उत्पाद मिट्टी से अलग-अलग डिजाइन में तैयार किए जाते हैं.दीये, हाथी, लालटेन, बैलगाड़ी जैसे अलग-अलग प्रकार के उत्पाद इस कारीगरी को जीवंत कर रहे हैं. गोरखपुर की यह कला पिछले 06 सालों में बुलंदियों को छूने लगी है. सरकार की ODOP योजना ने इस उद्योग को 50 प्रतिशत का उछाल दिया है. दीपावली पर यह काशी में अपना रंग बिखेर रही है. दक्षिण भारत के कई हिस्सों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं.

टेराकोटा के उत्पादों से युवाओं को मिला रोजगार. (Video Credit; ETV Bharat)

टेराकोटा का कारोबार बीते 07 वर्षों में अपनी स्थिति से बहुत ऊपर आ चुका है. आज इस कारोबार में करीब 50 फीसदी से भी अधिक की आय बढ़ी है. प्रदेश सरकार ने टेराकोटा के उत्पाद को 'वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट' (ODOP) में शामिल किया था. साथ ही सरकार की ओर से इसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया. अब इसका फायदा टेराकोटा के कारोबार से जुड़े लोगों को मिल रहा है. इन्हीं से हैं अजय गौतम और अरविंद गौतम. अरविंद नीट की तैयारी कर रहे हैं, जबकि अजय स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. इन दोनों ने अपने पिता के टेराकोटा के व्यापार को संभाला है.

'सरकार की ओर से की जाती है मार्केटिंग' : अजय गौतम बताते हैं कि टेराकोटा के उत्पादों के लिए हमारे पास अधिकतर दक्षिण भारत से डिमांड आती है. मुंबई, नोएडा आदि जगहों पर हमारे उत्पाद जाते रहते हैं. वे सभी अधिकतर होल सेलर रहते हैं. प्रदेश सरकार की ओर से स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना चलाई जा रही है. कुछ दिन पहले नोएडा में लखपति दीदी के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. हम लोग वहां पर गए थे. सरकार के माध्यम से हम लोगों को अच्छी-खासी मार्केटिंग प्रोवाइड कराई गई थी. साथ ही, इलेक्ट्रिक चाक आदि हमें मिला है.

युवा बिखेर रहे हुनर का जलवा
युवा बिखेर रहे हुनर का जलवा (Photo Credit; ETV Bharat)

'करीब 1000 लोग इस काम में लगे हुए हैं' : वे बताते हैं कि मेला आदि के माध्यम से भी सरकार के माध्यम से प्रचार होता है. इस कारोबार में युवा अधिक जुड़ रहे हैं. शुरू में कुछ परिवार ही काम करते थे. अब 8 से 10 गांव इसमें काम करते हैं. इसमें करीब 1000 की संख्या में लोग लगे हुए हैं. उत्पादों को बनाने के क्रम को बताते हुए अजय गौतम कहते हैं कि, तालाब से मिट्टी लाकर मशीन से आटे की तरह गूथ दिया जाता. फिर चाक पर अलग-अलग पार्ट को निकाला जाता है. फिर उन सभी को जोड़कर उत्पाद तैयार किया जाता है. यह पूरी तरीके से हैंडीक्राफ्ट का उत्पाद होता है.

'आमदनी में हुई 50 फीसदी की बढ़ोतरी' : अजय गौतम बताते हैं कि हमारे बनाए उत्पाद बहुत मजबूत होते हैं. हम लोग इन उत्पादों को करीब 24 घंटे तक आग में पकाते हैं. पहले की अपेक्षा इस कारोबार में लगभग 50 फीसदी की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. अरविंद गौतम बताते हैं कि, दीपावली के त्योहर पर कलश वाले नारियल की मांग अधिक हो रही है. इसे दो से तीन लेयर का बनाया जाता है. शुभ-लाभ, ओम् और स्वास्तिक भी बनाया गया है, जिसे लोग खरीद रहे हैं. साथ ही, लक्ष्मी-गणेश जी के साथ दीया बना है, लैंप है जिसमें दीया जलता है. हमारा कारोबार काफी बढ़ा है.

टेराकोटा के उत्पादों से लाखों की कमाई.
टेराकोटा के उत्पादों से लाखों की कमाई. (Photo Credit; ETV Bharat)

'सीएम योगी का रहा बहुत बड़ा योगदान' : अरविंद गौतम बताते हैं कि, टेराकोटा के उत्पाद का सरकार ने बहुत समर्थन किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही इसमें योगदान है. वे हमेशा इसका सपोर्ट करते हैं. वे कहीं भी जाते हैं तो टेराकोटा का ही भेंट देते हैं, जिससे उत्पाद का प्रचार-प्रसार भी होता है. यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो नोएडा में आयोजित किया गया था, जहां हम लोगों को निशुल्क स्टॉल दिया गया था. इसके साथ ही हमारे उत्पादों की वहां पर काफी अच्छी बिक्री भी हुई थी. सरकार की ऐसी मदद से हमारे कारोबार को काफी मदद मिलती है.

'महीने की लगभग 45 हजार हो जाती है आमदनी' : कारोबार को लेकर अरविंद और अजय बताते हैं कि बीते 05 साल से अपने पिता के इस पुश्तैनी काम में हाथ बंटा रहे हैं. पहले हम लोग सिर्फ हाथी-घोड़ा ही बनाते थे. मगर अब अलग-अलग तरीके के अलग-अलग डिजाइन के उत्पाद बनाने शुरू कर दिए हैं. इस पूरी कोशिश में प्रदेश सरकार की ओर से बहुत सहयोग मिला है. वे बताते हैं कि जहां पहले 8 से 10 हजार रुपयों की आय मुश्किल से होती थी, वहीं अब 35 से 45 हजार रुपये महीने की आमदनी हो जाती है. वहीं, जब बड़े ऑर्डर मिलते हैं तो कुछ लोगों के साथ मिलकर उसे पूरा किया जाता है.

कई तरह के उत्पाद मौजूद.
कई तरह के उत्पाद मौजूद. (Photo Credit; ETV Bharat)

क्या है टेराकोटा उत्पाद? : टेराकोटा एक विशेष प्रकार का चीनी मिट्टी शिल्प है. यह आमतौर पर मिट्टी से बनी मूर्तियों के लिए उपयोग की जाती है. साथ ही, विभिन्न बर्तनों, छत की टाइल, ईंटों और सतही सजावट सहित विभिन्न उपयोगों के लिए भी प्रयोग किया जाता है. मुख्य रूप से इसे अन्य शिल्प से अलग इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग, रंगों और आकारों के साथ रचनात्मकता को बढ़ावा भी दिया जाता है. इसके लिए जिस कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है वह खास मिट्टी होती है, जो स्थानीय रूप से उपलब्ध होती है.

'एक जनपद-एक उत्पाद' कार्यक्रम : 'एक जनपद-एक उत्पाद' कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य है कि प्रदेश की उन विशिष्ट शिल्पकलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए जो देश और प्रदेश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं. इसमें प्राचीन खाद्य पदार्थ, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी, अति जटिल शिल्प कार्य आदि को ओडीओपी में शामिल किया गया है. इनमें से बहुत से उत्पाद जीआई टैग धारक भी हैं. ऐसे में इन उत्पादों को सरकार के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी मिलता है और देश-विदेश में बिक्री के लिए भी सहायता मिलती है.

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