भरतपुर. पूर्व राजपरिवार के पारिवारिक विवाद में बुधवार को उस समय नया मोड़ आ गया, जब पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह की पत्नी व पूर्व सांसद दिव्या सिंह ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने आरोप लगाया कि अशोक गहलोत ने ही आग में घी डालने का काम किया है. उन्होंने कहा कि दो-ढाई साल तक अशोक गहलोत ने बहुत आग लगाई. साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे महापंचायतों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. ये लोकतंत्र है, न कि कोई सामंतवाद है. वहीं, विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता ने ऐतिहासिक मोतीमहल पर लगी सुरक्षा को हटा दिया. ऐसे में यदि मोतीमहल से कोई ऐतिहासिक वस्तु गायब या लापता होती है, तो उसके जिम्मेदार भी वो ही होंगे. वहीं, दिव्या सिंह ने कहा कि भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली राजपरिवार से हुआ है. चाहे किसी इतिहासकार से पता कर लें.
पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि भरतपुर के एक पीसीसी मेंबर ने कहा है कि इस सारे फसाद के पीछे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का हाथ है. ये बात बिल्कुल सही कही है. पूर्व सांसद दिव्या सिंह ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने आग में खूब घी छिड़का है. दो-ढाई साल तक उन्होंने बहुत आग लगाई है. खैर, जिन्होंने (पीसीसी सदस्य) भी ये बयान दिया है बिल्कुल सही दिया है, उनको ये बात पता होगी.
दिव्या सिंह व अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हमारा एसडीएम कोर्ट और न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है. वो जो भी निर्णय लेंगे सिर आंखों पर होगा. बुधवार को कुम्हेर के चामुंडा मंदिर में हुई सर्व समाज की पंचायत का जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि हमें कोई पंचायत जोड़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पंचायतें तो मैंने बहुत देखी हैं. अरुण सिंह, काका रघुराज, कृष्णेंद्र कौर दीपा के खिलाफ भी पंचायतें हुई थीं, लेकिन सब अपने घर में आराम से बैठे हैं. पंचायत या महापंचायत से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. चाहे 51 लोगों की कमेटी बना लो या 5100 की. क्योंकि हम 2024 के लोकतंत्र में हैं, 1924 के सामंतवाद में नहीं हैं. इसका कोई असर एसडीएम ऑफिस पर भी नहीं होगा.
दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हम बार बार सफाई नहीं देंगे. भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली राजपरिवार से हुआ है. करौली की कैलादेवी मां हमारी कुलदेवी हैं और गिरिराज जी हमारे इष्टदेव हैं. चाहे तो किसी भी इतिहासकार से पूछ लीजिए. मेरे ससुर सवाई बृजेंद्र सिंह ने भी मुझे यही शिक्षा दी थी कि हमारा निकास वहीं से हुआ है, जो समाज के ठेकेदार बन रहे हैं हम समाज की बात कब कर रहे हैं. हम तो अपने परिवार की बात कर रहे हैं कि हमारा निकास करौली राजपरिवार से है.
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अनिरुद्ध सिंह ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता को लेकर कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि उन्होंने हमारे कॉल रिकॉर्ड किए थे. मोतीमहल के बाहर वाले क्षेत्र के सौंदर्यीकरण का कार्य तत्कालीन एडीएम स्वीकृत कर के गई थी, जिसे रोक दिया गया. हमें यूडीएच से कुछ परमिशन चाहिए थीं जो कि नहीं दी गई. हमने कई बार अशोक गहलोत से मिलने का भी प्रयास किया, लेकिन रोक दिया गया. मोतीमहल एक ऐतिहासिक भवन है, जिसके लिए सुरक्षा लगाई गई थी, लेकिन उसे हटा लिया गया. ऐसे में यदि मोतीमहल से कोई ऐतिहासिक वस्तु या चीज गायब हो जाती है, तो उसके लिए कांग्रेस नेता ही जिम्मेदार होंगे.
धमकियां मिलीं : अनिरुद्ध ने अशोक गहलोत पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे लोगों को भी परेशान करने की कोशिश की गई. यदि किसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल दी तो उसके यहां पुलिस भेज दी गई. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. इस सब के लिए अशोक गहलोत ही जिम्मेदार हैं. दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हमें और हमारे स्टाफ को कई बार फोन पर धमकियां मिली हैं और इस संबंध में हम पूर्व में पुलिस अधीक्षक को पत्र भी दे चुके हैं.
ये है राजपरिवार का विवाद : गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार सदस्य व पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने, खाना नहीं देने, घर छोड़ने को मजबूर करने के गंभीर आरोप लगाए थे. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नागरिक के रूप में उपखंड अधिकारी के ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र पेश कर ये आरोप लगाए थे, जबकि पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटा अनिरुद्ध सिंह ने विश्वेंद्र सिंह पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बीते 30 साल में महाराजा सूरजमल की पूरी संपत्ति बेच दी. सिर्फ एक मोतीमहल बचा है. दिव्या सिंह का कहना है कि "मैं मरते दम तक मोतीमहल को बचाऊंगी. उन्होंने कहा कि 30 साल में मेरे साथ क्या हुआ अगर मैंने ये बता दिया तो ऐसा ना हो सुप्रीम कोर्ट तक केस पहुंच जाए."