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नैनीताल दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा को जिला न्यायालय से लगा झटका, अग्रिम जमानत याचिका को किया निस्तारित - RAPE CASE AGAINST BJP LEADER

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 7, 2024, 7:04 AM IST

Nainital Milk Union President Rape Case भाजपा नेता व नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा को एक और झटका लगा है. जिला एवं सत्र न्यायालय ने मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका को निस्तारित कर दिया है. जिला न्यायालय ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया.

Nainital Milk Union President Rape Case
नैनीताल दुग्ध संघअध्यक्ष को कोर्ट से लगा झटका (Photo- ETV Bharat)

नैनीताल: बीजेपी नेता व नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. जिला न्यायालय मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका को निस्तारित कर दिया है. दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद मुकेश बोरा ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया.

नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर एक महिला ने यौन शोषण करने का आरोप लगाने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज लिया था. जिसके बाद पीड़िता ने आरोप लगाया है कि मुकेश बोरा ने ना सिर्फ उसका यौन शोषण किया, बल्कि उसकी नाबालिग बेटी से भी छेड़छाड़ करता था. पुलिस ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप के बाद पॉक्सो एक्ट की धारा को जोड़ा है. दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोपी नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका पर जिला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई हुई. जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार की अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है.

इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मामले में धारा 376 (2) (एन) और 3 (डी) / 10 के तहत मुकदमा दर्ज है. पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील शर्मा ने सरकार एवं पीड़िता का पक्ष रखा. अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ( एडीजीसी) ने बताया कि आरोपी मुकेश बोरा के विरुद्ध धारा 376 (2) (एन), 506 भारतीय दंड संहिता का मुकदमा पहले दर्ज हुआ.

साथ ही इस मुकदमे में धारा 3(डी)/10 पॉक्सो अधिनियम की और बढ़ोतरी हो गई है. उन्होंने लालकुआं कोतवाली की जनरल डायरी (जीडी) की संबंधित प्रति भी कोर्ट में प्रस्तुत की. पीड़िता के अधिवक्ता ने उत्तराखंड शासन की 11 अगस्त 2020 को जारी अगली अधिसूचना की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत की. उन्होंने तर्क दिया कि धारा 438 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत ऐसे अपराधों की सूची बताई गई है, जिनमें अग्रिम जमानत का प्रावधान लागू नहीं होता है. साथ ही यह तर्क दिया कि पॉक्सो अधिनियम 2012 के तहत दर्ज मामलों में धारा 438 दंड प्रक्रिया संहिता एवं पॉक्सो अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में बताया गया कि पॉक्सो अधिनियम के मामलों की सुनवाई एवं विचार के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय अपर जिला जज, हल्द्वानी का गठन किया गया है.

महिला ने दुष्कर्म का लगाया आरोप: बता दें कि नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष पर संस्था में काम करने वाली एक विधवा महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है. पीड़ित महिला ने नौकरी परमानेंट करने का झांसा देकर 3 साल तक शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है. इसके बाद महिला ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराते हुए सख्त कार्रवाई करने की मांग की थी. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. वहीं पीड़ित महिला ने मुकेश बोरा पर अपनी नाबालिग बेटी के साथ ही छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया है.

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नैनीताल: बीजेपी नेता व नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. जिला न्यायालय मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका को निस्तारित कर दिया है. दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद मुकेश बोरा ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया.

नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर एक महिला ने यौन शोषण करने का आरोप लगाने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज लिया था. जिसके बाद पीड़िता ने आरोप लगाया है कि मुकेश बोरा ने ना सिर्फ उसका यौन शोषण किया, बल्कि उसकी नाबालिग बेटी से भी छेड़छाड़ करता था. पुलिस ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप के बाद पॉक्सो एक्ट की धारा को जोड़ा है. दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोपी नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका पर जिला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई हुई. जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार की अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है.

इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मामले में धारा 376 (2) (एन) और 3 (डी) / 10 के तहत मुकदमा दर्ज है. पॉक्सो अधिनियम में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील शर्मा ने सरकार एवं पीड़िता का पक्ष रखा. अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ( एडीजीसी) ने बताया कि आरोपी मुकेश बोरा के विरुद्ध धारा 376 (2) (एन), 506 भारतीय दंड संहिता का मुकदमा पहले दर्ज हुआ.

साथ ही इस मुकदमे में धारा 3(डी)/10 पॉक्सो अधिनियम की और बढ़ोतरी हो गई है. उन्होंने लालकुआं कोतवाली की जनरल डायरी (जीडी) की संबंधित प्रति भी कोर्ट में प्रस्तुत की. पीड़िता के अधिवक्ता ने उत्तराखंड शासन की 11 अगस्त 2020 को जारी अगली अधिसूचना की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत की. उन्होंने तर्क दिया कि धारा 438 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत ऐसे अपराधों की सूची बताई गई है, जिनमें अग्रिम जमानत का प्रावधान लागू नहीं होता है. साथ ही यह तर्क दिया कि पॉक्सो अधिनियम 2012 के तहत दर्ज मामलों में धारा 438 दंड प्रक्रिया संहिता एवं पॉक्सो अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में बताया गया कि पॉक्सो अधिनियम के मामलों की सुनवाई एवं विचार के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय अपर जिला जज, हल्द्वानी का गठन किया गया है.

महिला ने दुष्कर्म का लगाया आरोप: बता दें कि नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष पर संस्था में काम करने वाली एक विधवा महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है. पीड़ित महिला ने नौकरी परमानेंट करने का झांसा देकर 3 साल तक शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है. इसके बाद महिला ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराते हुए सख्त कार्रवाई करने की मांग की थी. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. वहीं पीड़ित महिला ने मुकेश बोरा पर अपनी नाबालिग बेटी के साथ ही छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया है.

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