देहरादून: नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) प्रदेश में साल 2025 के लिए फॉरेस्ट फायर की तैयारियों को वन विभाग के साथ मिलकर जांचने वाली है. इसके लिए इसी महीने मॉक एक्सरसाइज की जाएगी. जिससे प्रदेश स्तर पर वनाग्नि को लेकर की गई तैयारी का पता चल सकेगा. उधर जिला स्तर पर भी अधिकारियों को तैयार रहने के दिशा निर्देश जारी हो रहे हैं. ऐसे में अब वन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन भी ऐसी घटनाओं के लिए कमान संभालेगा.
उत्तराखंड में जंगलों की आग को रोकने के लिए केवल वन विभाग ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन भी तैयारी में जुटा हुआ है. इसके लिए राज्य भर में संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों को ऐसी घटनाओं पर रोकथाम के लिए तैयारी पूरी करने के निर्देश जारी हुए हैं. यानी अब फॉरेस्ट फायर सीजन के दौरान होने वाली घटनाओं के लिए केवल वन विभाग ही काम करता नहीं दिखेगा, बल्कि जिला प्रशासन की भी इसमें अहम जिम्मेदारी होगी.
वन विभाग प्रदेश स्तर पर तो प्लान बना ही रहा है साथ ही डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट प्लान भी तैयार हो रहा है. उत्तराखंड के पांच जिलों में जिलाधिकारी स्तर पर इस प्लान को हरी झंडी भी दे दी गई है. जबकि बाकी जिलों में भी इस पर काम चल रहा है.शासन से भी जिलों को वनाग्नि की घटनाओं के लिए तैयार रहने के निर्देश पूर्व में ही हो चुके हैं. लिहाजा जिला स्तर के विभिन्न विभागों के अधिकारी भी इन घटनाओं को आपदा मानते हुए भविष्य की तैयारी में लगे हैं.
इस बार जंगलों में आग की घटनाओं के लिए तैयारी का जायजा पहले ही लिए जाने की भी योजना है और इसके लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) तैयारियों को जानने के लिए मॉक एक्सरसाइज भी करने जा रहा है. प्रस्तावित मॉक एक्सरसाइज इसी महीने अंतिम हफ्ते में होनी है और इसमें जिला स्तर पर विभिन्न विभाग भी शामिल रहेंगे. इस दौरान उत्तराखंड में अब तक हुई तैयारी को देखा जा सकेगा और जो कमियां पाई जाएंगी, उसे समय से सुधारा भी जायेगा.
जंगलों में आग की घटनाओं को पूर्व में ही आपदा घोषित किया गया है, ऐसे में इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारी हो रही हैं और पूर्व में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए भी तकनीक का इस्तेमाल करने के साथ सभी कमियों को पूरा किया जा रहा है.
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