जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में पीएचडी सीटों पर वार्ड कोटा देने के फैसले का विरोध हो रहा है. इसके साथ ही छात्र पीएचडी एग्जाम में पास हुए सभी अभ्यर्थियों या 3 गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाने की मांग कर रहे हैं. सिंडिकेट मीटिंग के दौरान सोमवार को छात्रों ने कुलपति सचिवालय का घेराव करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने ये मांग रखी. उन्होंने कुलपति सचिवालय में दाखिल होने से रोके जाने पर सिंडिकेट मीटिंग हॉल की खिड़कियों को खटखटाते हुए सिंडीकेट सदस्यों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की. इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा, जिन्होंने छात्रों को सचिवालय में प्रवेश से रोके रखा.
राजस्थान विश्वविद्यालय में पीएचडी सीटों पर वार्ड कोटा देने के फैसले के विरोध के बाद सिंडिकेट मीटिंग में फिलहाल रोक लगा दी है. वहीं, एकेडमिक काउंसिल में पास किए गए पेट के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. ऐसे में अब पीएचडी सीट पर प्रवेश के साक्षात्कार में दो गुना अभ्यर्थियों को बुलाया जाएगा.
राजस्थान विश्वविद्यालय में हो इस सिंडिकेट की बैठक को एक बार फिर छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा. सोमवार को बैठक शुरू होने से पहले ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिंडीकेट बैठक में पहुंचने वाले सदस्यों का घेराव करते हुए पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम में मनमाने नियम लागू करने का विरोध दर्ज करवाया.
पेट एग्जाम में अनियमितताएं: एबीवीपी के इकाई अध्यक्ष रोहित मीणा ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से करवाए गए पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम में कई प्रकार की अनियमितताएं हैं. उन्होंने कहा, 'क्या कारण है कि पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम के तीन गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया जा रहा, जबकि छात्रों से एग्जाम के नाम पर 3000 रुपए वसूल कर लिए और अब उन्हें भर्ती नहीं करना चाह रहे हैं.आनन-फानन में सिंडिकेट की बैठक बुला ली गई, जबकि इस बैठक में पूरे सदस्य भी मौजूद नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता मनमाने नियमों को लागू नहीं होने देगा. इसके खिलाफ कोर्ट की शरण लेंगे और राजभवन में भी शिकायत करेंगे.
पेट की फीस पूरे भारत में सबसे ज्यादा: केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य भारत भूषण ने कहा कि सरकार बदल गई, लेकिन विश्वविद्यालय की हालत नहीं बदली. पेट परीक्षा को लेकर विश्वविद्यालय ने 3000 रुपए की फीस रखी. भारत में ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है, जहां गरीब छात्रों से इतनी ज्यादा एंट्रेंस फीस ली जाती हो. दुर्भाग्य तो ये है कि विश्वविद्यालय में जो भी टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ है, उनके बच्चों को आउटराइट एडमिशन दिया जाएगा. ऐसे में जवान और किसान के बच्चों का क्या होगा? वे इतनी फीस कहां से लाएंगे? ये पूरी तरह गैरकानूनी है, जिसका विद्यार्थी परिषद विरोध कर रही है. एबीवीपी के इकाई मंत्री मनु दाधीच ने कहा कि जब पेट परीक्षा का आयोजन कराया गया तो विश्वविद्यालय प्रशासन के खाते में करीब 2 करोड़ रुपए आए. ऐसे में उन्होंने राजस्थान सरकार और एसओजी से इस परीक्षा की जांच की मांग करते हुए कहा कि भ्रष्टाचारियों को पकड़ कर जेल में डाला जाए.
यह भी पढें: राजस्थान विश्वविद्यालय की एडीशनल सब्जेक्ट डिग्री पर सवाल भी, बवाल भी
ये रही प्रमुख मांगें: सिंडिकेट मीटिंग में पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम पास करने वाले 2 गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाने का प्रस्ताव रखा गया, जबकि अन्य विश्वविद्यालय और यूजीसी नियमों के अनुसार प्रवेश के लिए सामान्य श्रेणी के लिए कम से कम 50 प्रतिशत और आरक्षित कैटेगरी के लिए 45 प्रतिशत का नियम है. ऐसे में परीक्षा पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए राजस्थान विश्वविद्यालय की पीएचडी सीटों में वार्ड कोटे पर वर्ष 2010 में उच्च न्यायालय ने रोक लगाई थी, क्योंकि ये आरक्षण पॉलिसी का खुला उल्लंघन था. बावजूद इसके वार्ड कोटे से एडमिशन दिए जाने की प्लानिंग की गई है, जो पूरी तरह गलत है.