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लखनऊ में रोडवेज के बर्खास्त संविदा कर्मियों ने घेरा मुख्यालय, बोले- गलत आरोप लगाकर छीन ली गई नौकरी - UPSRTC Contract Employees

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 5, 2024, 5:50 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 6:40 PM IST

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्रों से बेटिकट के पांच से ज्यादा मामले और अन्य आरोपों में नौकरी से निकाले गए संविदा कर्मियों ने सोमवार को रोडवेज मुख्यालय घेर लिया. कहा कि गलत आरोप लगाकर सैकड़ों संविदा कर्मियों की नौकरी छीन ली गई.

रोडवेज के बर्खास्त संविदा कर्मियों ने बहाली की मांग को लेकर घेरा मुख्यालय.
रोडवेज के बर्खास्त संविदा कर्मियों ने बहाली की मांग को लेकर घेरा मुख्यालय. (Photo Credit; ETV Bharat)
रोडवेज मुख्यालय पर प्रदर्शन करते संविदा कर्मचारी. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्रों से बेटिकट के पांच से ज्यादा मामले और अन्य आरोपों में नौकरी से निकाले गए संविदा कर्मियों ने सोमवार को रोडवेज मुख्यालय घेर लिया. कहा कि गलत आरोप लगाकर सैकड़ों संविदा कर्मियों की नौकरी छीन ली गई. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. आर्बिट्रेशन में भी वही अधिकारी बैठे हैं, जिन्होंने नौकरी छीनी थी तो बहाली कैसे हो जाती. ठेके पर जो वर्तमान में भर्ती की जा रही है, उस पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए. सभी निकाले गए संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किया जाए, जिससे डिपो में चालक परिचालकों के अभाव में खड़ी बसें रोड पर संचालित हो सकें.

छोटे-छोटे आरोप लगाकर छीन ली गई नौकरी: प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष होमेन्द्र मिश्रा ने कहा कि संविदा कर्मियों की नौकरी अधिकारी बड़ी आसानी से ले लेते हैं. सैकड़ों की संख्या में अब तक संविदा कर्मियों को नौकरी से निकाला जा चुका है. उनके लिए लगातार संघर्ष जारी है. आठ सूत्री मांगों को लेकर मुख्यालय पर प्रदर्शन करने बड़ी संख्या में बर्खास्त संविदा कर्मी इकट्ठा हुए हैं. बर्खास्त संविदा कर्मी लंबे समय तक निगम में कार्यरत थे. इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों की आय और लोड फैक्टर सामान्य से काफी अच्छा रहा था. निगम को काफी लाभ भी होता था फिर भी सुनवाई न करके उनके साथ न्याय नहीं किया गया. छोटे-छोटे आरोपों को आधार बनाकर इन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया.

व्यवस्था का नहीं हो रहा अनुपालन : कहा कि 2007 में प्रबंध निदेशक ने संविदा कर्मियों की समस्याओं के समाधान की एक पूरी व्यवस्था तय की थी, लेकिन इस व्यवस्था का अनुपालन नहीं किया गया. सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के स्तर पर संविदा समाप्त करने का आदेश कर दिया गया. इस संदर्भ में विधान परिषद सदस्य सुभाष चंद्र शर्मा ने सदन में प्रश्न पूछा था, जिसके जवाब में परिवहन मंत्री ने उत्तर दिया था कि संबंधित परिचालक के विरुद्ध आर्थिक दंड लेकर प्रकरण का निस्तारण किया गया. इस आधार पर कई परिचालकों की संविदा बहाल हुई, लेकिन सैकड़ों की संख्या में संविदा परिचालकों को इसका अब तक लाभ नहीं मिला है. नियमों के होते हुए भी लंबे समय से बड़ी संख्या में परिचालकों की संविदा बहाली नहीं हो पाई है.

बंद की जाए ठेका प्रथा: कहा कि साल 2014 में न्यायालय ने चालक परिचालक की भर्ती पर रोक लगाई थी फिर भी विभाग बाह्य स्रोतों से भर्ती कर रहा है. इस ठेका प्रथा को रोका जाना चाहिए. उनका कहना है कि आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत क्षेत्रीय प्रबंधक स्तर पर आर्बिट्रेशन एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है. मनमाने ढंग से चालक और परिचालक के खिलाफ एक पक्षीय निर्णय लिया जा रहा है. तत्काल प्रभाव से इसे रोककर पूर्व में निकाले गए सभी भूतपूर्व चालक और परिचालकों को नए अवसर देकर बहाल किया जाना चाहिए. परिचालकों की झूठे आरोपों के आधार पर संविदा समाप्त की गई थी. अविधिक तरीके से गठित आर्बिट्रेशन ने इन परिचालकों के खिलाफ निर्णय कराया था. ऐसे सभी परिचालकों की सिक्योरिटी मनी वापस की जाए और निष्पक्ष जांच कराई जाए कि सुरक्षा राशि के मद में जमा राशि को कैसे खर्च किया गया? जिन परिचालकों की संविदा समाप्त की गई थी उनमें से कई लोगों की मृतक आश्रित कोटे के तहत स्थाई भर्ती कर ली गई, जबकि इन्हीं निराधार आरोपों के आधार पर बाकी संविदा परिचालकों की संविदा बहाली से इनकार कर दिया गया है. ऐसा भेदभाव किस नियम के तहत किया गया है इसकी भी जानकारी दी जाए.

अर्थ दंड लेकर हो सकती है बहाली : प्रदर्शन में शामिल हुए एटक के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि कि साल 2013 में हम लोगों ने विनयमितीकरण की मांग सरकार से की थी. छोटे-छोटे आरोपों को आधार बनाकर नौकरी से निकाल दिया गया था. तब से लगातार संघर्ष जारी है. सरकार का एक नियम भी है कि अर्थदंड चुकाने के बाद बहाली की जा सकती है, लेकिन बड़ी संख्या में संविदाकर्मियों की बहाली नहीं की गई है, जो नियमों का उल्लंघन है. हमारी मांग है कि बर्खास्त किए गए सभी संविदा चालक परिचालकों को नौकरी पर लिया जाए.

ज्यादातर बेटिकट के मामले : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर वे लोग शामिल हैं, जिनकी संविदा पांच से ज्यादा बेटिकट के चलते समाप्त की गई थी. ऐसे लगभग 80 प्रतिशत लोग हैं. सभी को आर्बिट्रेशन में अपनी बात रखने का मौका भी दिया गया था. आर्बिट्रेशन ने उनकी संविदा रिजेक्ट की थी. अब उसके बाद तो एक ही रास्ता बचता है कि वह न्यायालय की शरण में जाएं. संगठन के प्रतिनिधियों से सूची मांगी है कि कितने संविदा चालक परिचालक नौकरी से बर्खास्त किए गए थे.

यह भी पढ़ें : यूपी रोडवेज का नया एप; ट्रेन की तरह, बसों की भी घर बैठे मिलेगी लोकेशन, ड्राइवर-कंडक्टरों को भी होगी सहूलियत - UP Roadways New App

रोडवेज मुख्यालय पर प्रदर्शन करते संविदा कर्मचारी. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्रों से बेटिकट के पांच से ज्यादा मामले और अन्य आरोपों में नौकरी से निकाले गए संविदा कर्मियों ने सोमवार को रोडवेज मुख्यालय घेर लिया. कहा कि गलत आरोप लगाकर सैकड़ों संविदा कर्मियों की नौकरी छीन ली गई. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. आर्बिट्रेशन में भी वही अधिकारी बैठे हैं, जिन्होंने नौकरी छीनी थी तो बहाली कैसे हो जाती. ठेके पर जो वर्तमान में भर्ती की जा रही है, उस पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए. सभी निकाले गए संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किया जाए, जिससे डिपो में चालक परिचालकों के अभाव में खड़ी बसें रोड पर संचालित हो सकें.

छोटे-छोटे आरोप लगाकर छीन ली गई नौकरी: प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष होमेन्द्र मिश्रा ने कहा कि संविदा कर्मियों की नौकरी अधिकारी बड़ी आसानी से ले लेते हैं. सैकड़ों की संख्या में अब तक संविदा कर्मियों को नौकरी से निकाला जा चुका है. उनके लिए लगातार संघर्ष जारी है. आठ सूत्री मांगों को लेकर मुख्यालय पर प्रदर्शन करने बड़ी संख्या में बर्खास्त संविदा कर्मी इकट्ठा हुए हैं. बर्खास्त संविदा कर्मी लंबे समय तक निगम में कार्यरत थे. इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों की आय और लोड फैक्टर सामान्य से काफी अच्छा रहा था. निगम को काफी लाभ भी होता था फिर भी सुनवाई न करके उनके साथ न्याय नहीं किया गया. छोटे-छोटे आरोपों को आधार बनाकर इन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया.

व्यवस्था का नहीं हो रहा अनुपालन : कहा कि 2007 में प्रबंध निदेशक ने संविदा कर्मियों की समस्याओं के समाधान की एक पूरी व्यवस्था तय की थी, लेकिन इस व्यवस्था का अनुपालन नहीं किया गया. सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के स्तर पर संविदा समाप्त करने का आदेश कर दिया गया. इस संदर्भ में विधान परिषद सदस्य सुभाष चंद्र शर्मा ने सदन में प्रश्न पूछा था, जिसके जवाब में परिवहन मंत्री ने उत्तर दिया था कि संबंधित परिचालक के विरुद्ध आर्थिक दंड लेकर प्रकरण का निस्तारण किया गया. इस आधार पर कई परिचालकों की संविदा बहाल हुई, लेकिन सैकड़ों की संख्या में संविदा परिचालकों को इसका अब तक लाभ नहीं मिला है. नियमों के होते हुए भी लंबे समय से बड़ी संख्या में परिचालकों की संविदा बहाली नहीं हो पाई है.

बंद की जाए ठेका प्रथा: कहा कि साल 2014 में न्यायालय ने चालक परिचालक की भर्ती पर रोक लगाई थी फिर भी विभाग बाह्य स्रोतों से भर्ती कर रहा है. इस ठेका प्रथा को रोका जाना चाहिए. उनका कहना है कि आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत क्षेत्रीय प्रबंधक स्तर पर आर्बिट्रेशन एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है. मनमाने ढंग से चालक और परिचालक के खिलाफ एक पक्षीय निर्णय लिया जा रहा है. तत्काल प्रभाव से इसे रोककर पूर्व में निकाले गए सभी भूतपूर्व चालक और परिचालकों को नए अवसर देकर बहाल किया जाना चाहिए. परिचालकों की झूठे आरोपों के आधार पर संविदा समाप्त की गई थी. अविधिक तरीके से गठित आर्बिट्रेशन ने इन परिचालकों के खिलाफ निर्णय कराया था. ऐसे सभी परिचालकों की सिक्योरिटी मनी वापस की जाए और निष्पक्ष जांच कराई जाए कि सुरक्षा राशि के मद में जमा राशि को कैसे खर्च किया गया? जिन परिचालकों की संविदा समाप्त की गई थी उनमें से कई लोगों की मृतक आश्रित कोटे के तहत स्थाई भर्ती कर ली गई, जबकि इन्हीं निराधार आरोपों के आधार पर बाकी संविदा परिचालकों की संविदा बहाली से इनकार कर दिया गया है. ऐसा भेदभाव किस नियम के तहत किया गया है इसकी भी जानकारी दी जाए.

अर्थ दंड लेकर हो सकती है बहाली : प्रदर्शन में शामिल हुए एटक के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि कि साल 2013 में हम लोगों ने विनयमितीकरण की मांग सरकार से की थी. छोटे-छोटे आरोपों को आधार बनाकर नौकरी से निकाल दिया गया था. तब से लगातार संघर्ष जारी है. सरकार का एक नियम भी है कि अर्थदंड चुकाने के बाद बहाली की जा सकती है, लेकिन बड़ी संख्या में संविदाकर्मियों की बहाली नहीं की गई है, जो नियमों का उल्लंघन है. हमारी मांग है कि बर्खास्त किए गए सभी संविदा चालक परिचालकों को नौकरी पर लिया जाए.

ज्यादातर बेटिकट के मामले : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर वे लोग शामिल हैं, जिनकी संविदा पांच से ज्यादा बेटिकट के चलते समाप्त की गई थी. ऐसे लगभग 80 प्रतिशत लोग हैं. सभी को आर्बिट्रेशन में अपनी बात रखने का मौका भी दिया गया था. आर्बिट्रेशन ने उनकी संविदा रिजेक्ट की थी. अब उसके बाद तो एक ही रास्ता बचता है कि वह न्यायालय की शरण में जाएं. संगठन के प्रतिनिधियों से सूची मांगी है कि कितने संविदा चालक परिचालक नौकरी से बर्खास्त किए गए थे.

यह भी पढ़ें : यूपी रोडवेज का नया एप; ट्रेन की तरह, बसों की भी घर बैठे मिलेगी लोकेशन, ड्राइवर-कंडक्टरों को भी होगी सहूलियत - UP Roadways New App

Last Updated : Aug 5, 2024, 6:40 PM IST
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