धमतरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी में शनिवार से दो दिवसीय जल जगार महोत्सव का आगाज हुआ है. इस महोत्सव के पहले दिन अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन आयोजित हुआ. इसमें देश विदेश के नीति निर्माता, पर्यावरणविद्, विशेषज्ञ और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि जुटे. सभी एक्सपर्ट्स ने जल संचय और जल संरक्षण को लेकर अपने अपने क्षेत्रों के सफल कार्यों की कहानी साझा की, साथ ही प्रभावी उपायों पर चर्चा कर कार्ययोजना भी तय की है.
धमतरी कलेक्टर ने दी जानकारी: अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी ने जल जगार के उद्देश्यों और धमतरी जिले में जल संचय और जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी. वहीं केन्द्रीय कृषि तथा किसान कल्याण की अपर सचिव डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी ने कहा कि धमतरी में जल संरक्षण की पहल पुरानी है. कृषक उत्पाद संगठन ने कम पानी में होने वाले धान की खेती शुरू की थी.
अन्य फसलों की खेती पर ध्यान देने की अपील: डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी ने बताया, 'धान की ऐसी बहुत सी प्रजाति है, जो कम पानी में होती है और जल्दी पकती है.' उन्होंने इस तरह की और भी प्रजातियों को विकसित करने पर जोर दिया. उन्होंने नए बीजों और अन्य फसलों की खेती पर भी ध्यान देने की अपील की है.
पूर्वजों के पास थे जल संरक्षण के कई तरीके: केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की अपर सचिव अर्चना वर्मा ने अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में कहा कि हमारे पूर्वजों के पास जल संचय और जल संरक्षण के बहुत से तरीके थे. वे पानी की एक एक बूंद का सम्मान करते थे. हमारी जलशक्ति अभियान का भी मूल उद्देश्य पानी की धरोहरों के प्रति सम्मान को वापस लाना है.
जल संचय और जल संरक्षण के काम में जन भागीदारी बहुत जरूरी है. जल जगार महोत्सव जल संरक्षण से लोगों को जोड़ने की बहुत अच्छी पहल है. इससे संस्कृति, समुदाय और युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है. :अर्चना वर्मा, अपर सचिव, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय
जल संरक्षण की सफल कहानियां साझा की गई: पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध पर्यावरणविदों और जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पोपटलाल पवार, श्यामसुंदर पालीवाल और उमाशंकर पाण्डेय ने सम्मेलन में जल संचय और जल संरक्षण की सफल कहानियां साझा की.
जलस्रोतों में कम से कम 20 प्रतिशत पानी रिचार्ज के लिए छोड़ना चाहिए. इसका 80 प्रतिशत ही उपयोग किया जाना चाहिए. हमारे हिमालय को बचाने के लिए पश्चिमी घाट का संरक्षण जरूरी है.:पोपटलाल पवार
पानी सरकार का नहीं समाज का विषय: सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद श्यामसुंदर पालीवाल ने बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए बेटी, पानी और पेड़ों को जोड़कर काम किया. इसे रोजगार से भी जोड़ा. पर्यावरणविद उमाशंकर पाण्डेय ने कहा कि 'पानी सरकार का विषय नहीं है. यह समाज का विषय है. पानी के बारे में स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाना चाहिए. हम पानी बना नहीं सकते, लेकिन पानी को बचा सकते हैं.'
पानी बचाने की बना रहे रणनीति: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं शहरी विकास विशेषज्ञ प्रो. अमिताभ कुंडु ने सम्मेलन में कहा कि 'जल की चिंता को लेकर जिला स्तर पर इस तरह का वृहद आयोजन पहली बार देख रहा हूं.' यहां नीति निर्धारक, पर्यावरणविद, जल संरक्षक, विशेषज्ञ और नागरिक पानी के बारे में चर्चा कर रहे हैं. उसे बचाने की रणनीति बना रहे हैं. यह बहुत ही उपयोगी पहल है.