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इसका वंशवाद वर्सेज उसका वंशवाद, CM सुक्खू की पत्नी को विधानसभा उपचुनाव का टिकट मिलने के बाद घर-घर चली चर्चा - Dynasty Politics in Himachal - DYNASTY POLITICS IN HIMACHAL

हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी के देहरा विधानसभा से उपचुनाव लड़ने पर एक बार फिर वंशवाद को लेकर चर्चाओं के बाजार गर्म है. कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे को उनकी पार्टी में वंशवाद की उदाहरण दे रहे हैं. हिमाचल में ऐसे कई राजनेता हैं, जिसने परिवार के सदस्य राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं.

DYNASTY POLITICS IN HIMACHAL
हिमाचल में वंशवाद (Social Media fb)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 22, 2024, 7:35 AM IST

Updated : Jun 22, 2024, 9:47 AM IST

शिमला: वंशवाद की राजनीति कोई नई बात नहीं है. भाजपा वंशवाद के लिए कांग्रेस को कोसती है तो कांग्रेस पलटवार करते हुए कहती है कि भाजपा का वंशवाद कौन सा कम है. इसका वंशवाद वर्सेज उसका वंशवाद के शोर में हिमाचल की राजनीति फिर से चर्चा में है. चर्चा का कारण सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर को विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारना है. सीएम सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर देहरा विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हैं.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का दावा है कि सर्वे के बाद हाईकमान ने कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाने के निर्देश दिए हैं. भाजपा कह रही है कि ये मित्रों और परिवार की सरकार है. यदि कमलेश ठाकुर चुनाव जीतती हैं तो विधानसभा में पति और पत्नी सदन के सदस्य होंगे. वैसे तो हिमाचल प्रदेश में छह बार सत्ता की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह की पत्नी भी उनके जीवनकाल में ही सांसद बन गई थी. अब कांग्रेस के ही नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी चुनावी राजनीति में सक्रिय हो गई हैं. इस चर्चा के बीच ये देखना दिलचस्प होगा कि हिमाचल की राजनीति में वंशवाद कितना प्रभावी है.

मुख्यमंत्रियों के परिवार हावी

हिमाचल प्रदेश के निर्माता और राज्य के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के बेटे कुश परमार विधानसभा चुनाव जीत कर सदन में पहुंचे थे. इसी प्रकार ठाकुर रामलाल के पोते रोहित ठाकुर इस समय कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह भी मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे हैं और अब पांचवीं बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. इस कड़ी में शांता कुमार व जयराम ठाकुर शामिल नहीं हैं. उनके परिवार से कोई सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं हैं. कद्दावर कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद रही हैं और इस समय पीसीसी चीफ हैं. इस प्रकार सत्ता के शिखर पर विराजमान रहे नेताओं के वंश से अभी भी राजनेता सक्रिय हैं.

राजनीति में परिवारवाद

हिमाचल में कई नेताओं के बेटे राजनीति में खूब सक्रिय हैं. कांग्रेस के प्रभावशाली राजनेता रहे जीएस बाली के बेटे आरएस बाली इस समय कैबिनेट रैंक वाले नेता हैं. इसी प्रकार सिरमौर के बड़े नेता रहे गुमान सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन चौहान कैबिनेट मंत्री हैं. सिरमौर के ही कांग्रेस नेता डॉ. प्रेम सिंह के बेटे विनय कुमार विधानसभा उपाध्यक्ष हैं. कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार के बेटे नीरज भारती सीपीएस रहे हैं. चौधरी लज्जा राम के बेटे रामकुमार चौधरी मौजूदा सरकार में सीपीएस हैं. पूर्व कैबिनेट मंत्री सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी पठानिया को भी मौजूदा सरकार में कैबिनेट रैंक हासिल है. पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित संत राम के बेटे सुधीर शर्मा वीरभद्र सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. अब सुधीर शर्मा भाजपा के विधायक हैं. स्वतंत्रता सेनानी सुशील रत्न के बेटे संजय रत्न कांग्रेस के विधायक हैं. पूर्व मंत्री मिलखी राम गोमा के बेटे यादविंदर गोमा सुखविंदर सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इसके अलावा कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की बेटी आस्था उनके चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से हिस्सा लेती हैं. डिप्टी सीएम की पत्नी स्व. सिम्मी अग्निहोत्री उनके चुनाव अभियान की कमान संभालती थीं.

भाजपा भी वंशवाद से अछूती नहीं

पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर ने तो राष्ट्रीय राजनीति में भी नाम कमाया है. वहीं, भाजपा के दिग्गज नेता ठाकुर जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर विधायक रहे हैं. पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा विधानसभा चुनाव लड़े हैं. पूर्व मंत्री महेंद्र ठाकुर के बेटे ने विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन परास्त हो गए. महेंद्र ठाकुर की बेटी वंदना गुलेरिया भी सक्रिय राजनीति में हैं. भाजपा के प्रभावशाली नेता रहे आईडी धीमान के बेटे डॉ. अनिल धीमान विधायक रहे हैं. भाजपा के सांसद रहे महेश्वर सिंह के बेटे दानवेंद्र सिंह सक्रिय राजनीति में हैं. कांग्रेस के दिग्गज राजनेता पंडित सुखराम केंद्र में मंत्री रहे. उनके बेटे अनिल शर्मा भाजपा व कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहे. इस समय वे भाजपा में हैं और मंडी सदर सीट से विधायक हैं. पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और आने वाले समय के लिए खुद को राजनीति में साबित करने के लिए सक्रिय हैं. कुल्लू से भाजपा नेता रहे कुंजलाल ठाकुर के बेटे गोविंद ठाकुर भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. भाजपा के राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन के पिता कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. हर्ष महाजन खुद भी कांग्रेस टिकट पर विधानसभा पहुंच चुके हैं.

राजनीति और परिवार को अलग करना कठिन

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि राजनीति से परिवार को अलग करना कठिन है. परिवार में यदि कोई राजनीति में है तो जाहिर है उस परिवार का कोई न कोई सदस्य भी सियासत में रुचि लेगा. यदि किसी डॉक्टर का बेटा आगे चलकर पढ़ाई कर डॉक्टर बनता है तो इसमें किसी को बुराई नजर नहीं आती. इसी प्रकार राजनीतिज्ञ के बच्चों को प्लेटफार्म तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन उन्हें अपनी पहचान खुद बनानी पड़ती है. सियासत में कोई भी दल इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि उसके यहां वंशवाद नहीं है. अलबत्ता भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को लेकर यह कहती है कि वहां टॉप लेवल पर पार्टी एक ही परिवार के पास है. क्षेत्रीय दलों में भी परिवार में ही पार्टी की कमान है. पहाड़ी राज्य हिमाचल भी इससे अछूता नहीं है कि यहां नेताओं के परिवार से आगे नेता निकल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: देहरा में बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों ने भरे नामांकन, सीएम सुक्खू ने निकाला पत्नी की राह से 'कांटा'

शिमला: वंशवाद की राजनीति कोई नई बात नहीं है. भाजपा वंशवाद के लिए कांग्रेस को कोसती है तो कांग्रेस पलटवार करते हुए कहती है कि भाजपा का वंशवाद कौन सा कम है. इसका वंशवाद वर्सेज उसका वंशवाद के शोर में हिमाचल की राजनीति फिर से चर्चा में है. चर्चा का कारण सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर को विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारना है. सीएम सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर देहरा विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हैं.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का दावा है कि सर्वे के बाद हाईकमान ने कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाने के निर्देश दिए हैं. भाजपा कह रही है कि ये मित्रों और परिवार की सरकार है. यदि कमलेश ठाकुर चुनाव जीतती हैं तो विधानसभा में पति और पत्नी सदन के सदस्य होंगे. वैसे तो हिमाचल प्रदेश में छह बार सत्ता की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह की पत्नी भी उनके जीवनकाल में ही सांसद बन गई थी. अब कांग्रेस के ही नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी चुनावी राजनीति में सक्रिय हो गई हैं. इस चर्चा के बीच ये देखना दिलचस्प होगा कि हिमाचल की राजनीति में वंशवाद कितना प्रभावी है.

मुख्यमंत्रियों के परिवार हावी

हिमाचल प्रदेश के निर्माता और राज्य के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के बेटे कुश परमार विधानसभा चुनाव जीत कर सदन में पहुंचे थे. इसी प्रकार ठाकुर रामलाल के पोते रोहित ठाकुर इस समय कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह भी मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे हैं और अब पांचवीं बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. इस कड़ी में शांता कुमार व जयराम ठाकुर शामिल नहीं हैं. उनके परिवार से कोई सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं हैं. कद्दावर कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद रही हैं और इस समय पीसीसी चीफ हैं. इस प्रकार सत्ता के शिखर पर विराजमान रहे नेताओं के वंश से अभी भी राजनेता सक्रिय हैं.

राजनीति में परिवारवाद

हिमाचल में कई नेताओं के बेटे राजनीति में खूब सक्रिय हैं. कांग्रेस के प्रभावशाली राजनेता रहे जीएस बाली के बेटे आरएस बाली इस समय कैबिनेट रैंक वाले नेता हैं. इसी प्रकार सिरमौर के बड़े नेता रहे गुमान सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन चौहान कैबिनेट मंत्री हैं. सिरमौर के ही कांग्रेस नेता डॉ. प्रेम सिंह के बेटे विनय कुमार विधानसभा उपाध्यक्ष हैं. कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार के बेटे नीरज भारती सीपीएस रहे हैं. चौधरी लज्जा राम के बेटे रामकुमार चौधरी मौजूदा सरकार में सीपीएस हैं. पूर्व कैबिनेट मंत्री सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी पठानिया को भी मौजूदा सरकार में कैबिनेट रैंक हासिल है. पूर्व कैबिनेट मंत्री पंडित संत राम के बेटे सुधीर शर्मा वीरभद्र सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. अब सुधीर शर्मा भाजपा के विधायक हैं. स्वतंत्रता सेनानी सुशील रत्न के बेटे संजय रत्न कांग्रेस के विधायक हैं. पूर्व मंत्री मिलखी राम गोमा के बेटे यादविंदर गोमा सुखविंदर सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इसके अलावा कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की बेटी आस्था उनके चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से हिस्सा लेती हैं. डिप्टी सीएम की पत्नी स्व. सिम्मी अग्निहोत्री उनके चुनाव अभियान की कमान संभालती थीं.

भाजपा भी वंशवाद से अछूती नहीं

पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर ने तो राष्ट्रीय राजनीति में भी नाम कमाया है. वहीं, भाजपा के दिग्गज नेता ठाकुर जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर विधायक रहे हैं. पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा विधानसभा चुनाव लड़े हैं. पूर्व मंत्री महेंद्र ठाकुर के बेटे ने विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन परास्त हो गए. महेंद्र ठाकुर की बेटी वंदना गुलेरिया भी सक्रिय राजनीति में हैं. भाजपा के प्रभावशाली नेता रहे आईडी धीमान के बेटे डॉ. अनिल धीमान विधायक रहे हैं. भाजपा के सांसद रहे महेश्वर सिंह के बेटे दानवेंद्र सिंह सक्रिय राजनीति में हैं. कांग्रेस के दिग्गज राजनेता पंडित सुखराम केंद्र में मंत्री रहे. उनके बेटे अनिल शर्मा भाजपा व कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहे. इस समय वे भाजपा में हैं और मंडी सदर सीट से विधायक हैं. पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और आने वाले समय के लिए खुद को राजनीति में साबित करने के लिए सक्रिय हैं. कुल्लू से भाजपा नेता रहे कुंजलाल ठाकुर के बेटे गोविंद ठाकुर भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. भाजपा के राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन के पिता कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. हर्ष महाजन खुद भी कांग्रेस टिकट पर विधानसभा पहुंच चुके हैं.

राजनीति और परिवार को अलग करना कठिन

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि राजनीति से परिवार को अलग करना कठिन है. परिवार में यदि कोई राजनीति में है तो जाहिर है उस परिवार का कोई न कोई सदस्य भी सियासत में रुचि लेगा. यदि किसी डॉक्टर का बेटा आगे चलकर पढ़ाई कर डॉक्टर बनता है तो इसमें किसी को बुराई नजर नहीं आती. इसी प्रकार राजनीतिज्ञ के बच्चों को प्लेटफार्म तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन उन्हें अपनी पहचान खुद बनानी पड़ती है. सियासत में कोई भी दल इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि उसके यहां वंशवाद नहीं है. अलबत्ता भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को लेकर यह कहती है कि वहां टॉप लेवल पर पार्टी एक ही परिवार के पास है. क्षेत्रीय दलों में भी परिवार में ही पार्टी की कमान है. पहाड़ी राज्य हिमाचल भी इससे अछूता नहीं है कि यहां नेताओं के परिवार से आगे नेता निकल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: देहरा में बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों ने भरे नामांकन, सीएम सुक्खू ने निकाला पत्नी की राह से 'कांटा'

Last Updated : Jun 22, 2024, 9:47 AM IST
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