देहरादून: उत्तराखंड में मानसून किसी भी वक्त दस्तक दे सकता है. मानसून से पहले प्री मानसून हमेशा उत्तराखंड के लिए दुखदाई रहता है. इसके अलावा प्रदेश में इस वक्त हीट वेव्स चल रही हैं. उत्तराखंड के जंगलों में तबाही मची है. इस तरह से एक आपदा नहीं बल्कि कई आपदाओं के मुहाने पर प्रदेश खड़ा हुआ है. दूसरी तरफ आपदा से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन की अगर बात की जाए तो टॉप अधिकारी, सचिव आपदा प्रबंधन जापान के दौरे पर हैं.
आपदा प्रबंधन में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के अलावा कंट्रोल रूम इंचार्ज राहुल जुगरान ने लंबे समय से वेतन के ड्यूज को लेकर विभाग को अल्टीमेटम दे दिया है. आपदा प्रबंधन के अपर सचिव आनंद स्वरूप और खुद एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला हैं ने इसकी जानकारी दी. इसके अलावा पिछले 2 महीनों में 20 से ज्यादा लोगों ने आपदा प्रबंधन विभाग में नौकरी छोड़ दी है. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग कैसे आपदाओं से निपटेगा? ये वाकई में बड़ा सवाल है.
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत कहते हैं यह एक तरफ आपदा प्रबंधन विभाग का फेलियर है. वहीं, यह सरकार की नकारात्मक कार्यशैली का भी परिचय है. उन्होंने कहा प्रदेश एक बड़ी आपदा के मुहाने पर खड़ा है, सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग इस आने वाली आफत के सामने आंख मूंदे खड़ा है. वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत कहते हैं यह पूरी तरह से सरकार और आपदा प्रबंधन की उदासीनता है कि वह प्रदेश के हालातों को लेकर के बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. इस पूरे मामले पर विपक्ष भी हमलावर है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा वह लगातार प्रदेश में आपदा प्रबंधन के हालातों को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं. इसके बाद भी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.