दुमका: पेट की आग बुझाने के लिए सरकारी लाभ से वंचित एक युवक रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड से बाहर हिमाचल प्रदेश गया, लेकिन वहां वह अगलगी का शिकार हो गया. अपने दोनों पैर गंवाकर दिव्यांग की जिंदगी जीने को मजबूर युवक अब जीवन और अपनी जिंदगी की भीख मांगता फिर रहा है. यह दुखद कहानी है दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बासुकीनाथ नगर के बेरहन गांव निवासी एक आदिवासी युवक जयराम मरांडी की.
युवक ने सुनाई अपनी दास्तां: 22 वर्षीय युवक ने अपनी दर्द भरी कहानी सुनाते हुए कहा कि बचपन में ही उसके माता-पिता की मौत हो गई थी. आस-पड़ोस के लोगों की मदद से वह किसी तरह बड़ा हुआ और इधर-उधर छोटे-मोटे काम करके अपना जीवन यापन करने लगा. उसके पास न तो अपना घर है, न राशन कार्ड और न ही उसे सरकार से कोई अन्य सुविधा मिल सकी है. सरकारी लाभ और रोजगार से वंचित होकर वह काम की तलाश में कुछ साथियों के साथ हिमाचल प्रदेश चला गया था.
हिमाचल प्रदेश में उसे काम मिला लेकिन एक रात अचानक उसके तंबू में आग लग गई और उसके दोनों पैर पूरी तरह जल गए. वहां के अस्पताल में उसका इलाज कराया गया जहां उसकी जान तो बच गई लेकिन इस घटना के बाद उसने अपने दोनों पैर खो दिए. करीब 7 महीने तक हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पताल में रहने के बाद सहकर्मी उसे उसके गांव बेरहन ले गये. बेघर होने और परिवार में कोई सदस्य न होने के कारण गांव आने के बाद उसका जीवन कठिन हो गया है. ग्रामीण उसकी देखभाल कर रहे हैं और पीड़ित के लिए सरकारी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.
सरकारी मदद का आश्वासन: मामले की जानकारी मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता आगे आये और मदद की. साथ ही जब जरमुंडी प्रखंड विकास पदाधिकारी नीलम कुमारी को इस बेसहारा युवक की सूचना मिली तो वह तुरंत गांव पहुंची और पीड़ित को सरकारी कंबल उपलब्ध कराया और अन्य सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया.
बहरहाल, इस बेघर और बेसहारा युवक की हालत देखकर हर किसी को दया आ रही है और लोग मदद भी कर रहे हैं, लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि सरकार से उसे मदद कब मिलेगी. नगर पंचायत के विशेष पदाधिकारी से फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि हमें जानकारी नहीं है, हम मदद करने का प्रयास करेंगे.
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