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Watch Trailer: देश के किसानों को समर्पित निरहुआ की फिल्म 'फसल', 15 मार्च को सिनेमाघरों में होगी रिलीज - Bhojpuri Film Fasal

Bhojpuri Film Fasal: दिनेश लाल यादव निरहुआ की भोजपुरी फिल्म फसल 15 मार्च को रिलीज होगी. इस फिल्म में देश के किसानों के दर्द को दर्शाया गया है कि कैसे एक बिचौलिया किसान को मरने पर मजबूर करता है. पढ़ें पूरी खबर.

भोजपुरी फिल्म फसल
भोजपुरी फिल्म फसल
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 9, 2024, 4:00 PM IST

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पटना: भोजपुरी अभिनेता और सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली दुबे की देश के किसानों की दशा और दुर्दशा पर आधरित भोजपुरी फिल्म 'फसल' आगामी 15 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. यह फिल्म महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. फिल्म का ट्रेलर पहले ही वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स भोजपुरी के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ किया जा चुका है, जिसे काफी पसंद किया गया.

सरकारी तंत्र का राज खोलती फिल्मः फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि दिनेश लाल यादव निरहुआ की पत्नी की भूमिका निभा रहीं आम्रपाली दूबे एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं. फिल्म को लेकर आम्रपाली कहती हैं कि 'यह फिल्म न सिर्फ देश के किसानों के बीच जागरूकता लाएगी, बल्कि सरकारी तंत्र की आखें खोलेगी. देश की महिलाओं के लिए भी बहुत ही खूबसूरत संदेश देने की कोशिश की गई है.

बिचौलिया की दादागिरीः ट्रेलर में आगे दिखाया गया है कि खेत के लहहाते फसल को देखते हुए नायिका कहती है, 'इ फसल हमनी के चीख-चीख के कहत बा कि अब हमनी के दुख के दिन बीत गइल.' फिल्म की कहानी में इसके बाद ट्विस्ट आता है. फिल्म 'फसल' के ट्रेलर में दिखाया गया है कि बिचौलिए आते हैं और फसल को बेचने की बात करते हैं. नायक मंडी में जाता है और कहता है, 'सरकारी रेट से एक पईसा भी कम रेट में फसल नहीं बेचब.' इसके बाद उसकी फसल को जला दिया जाता है. पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो जाता है.

पराग पाटील के निर्देश में बनी फिल्मः फिल्म के ट्रेलर में किसानों की वास्तविक स्थिति किसानों के परिवार के ऊपर पड़ने वाली प्राकृतिक मार और उससे संघर्ष की गाथा को दिखाया गया है. श्रेयस फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी भोजपुरी फिल्म फसल के निर्माता प्रेम राय हैं. निर्देशन पराग पाटील ने किया है.

किसानों के दर्द को बखूबी दिखायाः फिल्म एक किसान की कहानी और उसके द्वारा उपजाए गए फसलों की कीमत के इर्दगिर्द की कठिनाइयों और चुनौतियों को इंगित करते हुए बनाई गई है. फिल्म में किसानों के दर्द को बखूबी दिखाया गया है. ऐसे में यह फ़िल्म उस मानक पर कितना खरा उतरती है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

अन्नदाताओं की स्थिति को दिखायाः फिल्म के टाइटल 'फसल' से पहले एक छोटा सा शब्द जोड़ा गया है 'बिना अन्न का अन्नदाता' जो वाक़ई इस देश में अन्नदाताओं की स्थिति को रूबरू कराने वाला है. फिल्म फसल की कहानी पराग पाटिल ने लिखी है. जबकि पटकथा व सम्वाद राकेश त्रिपाठी व पराग पाटिल ने लिखा है. फिल्म के गीत अरविंद तिवारी, प्यारेलाल यादव, विमल बावरा और विजय चौहान ने लिखी है.

यह भी पढ़ेंः खेसारी लाल यादव की फिल्म रंग दे बसंती का ट्रेलर आउट, एक्शन और इमोशन का है जबरदस्त डोज

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पटना: भोजपुरी अभिनेता और सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली दुबे की देश के किसानों की दशा और दुर्दशा पर आधरित भोजपुरी फिल्म 'फसल' आगामी 15 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. यह फिल्म महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. फिल्म का ट्रेलर पहले ही वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स भोजपुरी के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ किया जा चुका है, जिसे काफी पसंद किया गया.

सरकारी तंत्र का राज खोलती फिल्मः फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि दिनेश लाल यादव निरहुआ की पत्नी की भूमिका निभा रहीं आम्रपाली दूबे एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं. फिल्म को लेकर आम्रपाली कहती हैं कि 'यह फिल्म न सिर्फ देश के किसानों के बीच जागरूकता लाएगी, बल्कि सरकारी तंत्र की आखें खोलेगी. देश की महिलाओं के लिए भी बहुत ही खूबसूरत संदेश देने की कोशिश की गई है.

बिचौलिया की दादागिरीः ट्रेलर में आगे दिखाया गया है कि खेत के लहहाते फसल को देखते हुए नायिका कहती है, 'इ फसल हमनी के चीख-चीख के कहत बा कि अब हमनी के दुख के दिन बीत गइल.' फिल्म की कहानी में इसके बाद ट्विस्ट आता है. फिल्म 'फसल' के ट्रेलर में दिखाया गया है कि बिचौलिए आते हैं और फसल को बेचने की बात करते हैं. नायक मंडी में जाता है और कहता है, 'सरकारी रेट से एक पईसा भी कम रेट में फसल नहीं बेचब.' इसके बाद उसकी फसल को जला दिया जाता है. पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो जाता है.

पराग पाटील के निर्देश में बनी फिल्मः फिल्म के ट्रेलर में किसानों की वास्तविक स्थिति किसानों के परिवार के ऊपर पड़ने वाली प्राकृतिक मार और उससे संघर्ष की गाथा को दिखाया गया है. श्रेयस फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी भोजपुरी फिल्म फसल के निर्माता प्रेम राय हैं. निर्देशन पराग पाटील ने किया है.

किसानों के दर्द को बखूबी दिखायाः फिल्म एक किसान की कहानी और उसके द्वारा उपजाए गए फसलों की कीमत के इर्दगिर्द की कठिनाइयों और चुनौतियों को इंगित करते हुए बनाई गई है. फिल्म में किसानों के दर्द को बखूबी दिखाया गया है. ऐसे में यह फ़िल्म उस मानक पर कितना खरा उतरती है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

अन्नदाताओं की स्थिति को दिखायाः फिल्म के टाइटल 'फसल' से पहले एक छोटा सा शब्द जोड़ा गया है 'बिना अन्न का अन्नदाता' जो वाक़ई इस देश में अन्नदाताओं की स्थिति को रूबरू कराने वाला है. फिल्म फसल की कहानी पराग पाटिल ने लिखी है. जबकि पटकथा व सम्वाद राकेश त्रिपाठी व पराग पाटिल ने लिखा है. फिल्म के गीत अरविंद तिवारी, प्यारेलाल यादव, विमल बावरा और विजय चौहान ने लिखी है.

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