डिंडौरी/शहडोल। मध्य प्रदेश में पहले चरण के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 लोकसभा सीटो में से 6 सीटों पर मतदान किया जा रहा है. सभी सीटों पर शुरूआती चरण में मतदान जारी है. हालांकि कहीं-कहीं मतदाताओं को मतदान करने में समस्याओं का सामना करना पड़ा है. जहां मंडला संसदीय क्षेत्र में आने वाले डिंडौरी जिल में ग्रामीणों दो किलोमीटर चलकर मतदान करने पहुंचे. इतना ही नहीं मतदाताओं को पोलिंग बूथ पर पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ी. वहीं सीधी में भी नेटवर्क और पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों के साथ सरपंच ने भी मतदान का बहिष्कार किया.
डिंडौरी में नदी पार करके पहुंचे मतदाता
डिंडौरी में मतदाता मतदान करने तो पहुंचे, लेकिन उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. ग्रामीणों को अपने पोलिंग बूथ पर पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ी. जहां क्षेत्र के मतदाताओं में मतदान के प्रति बानगी देखते ही बनती है. एक ऐसी ही तस्वीर मंडला लोकसभा क्षेत्र के डिंडौरी जिले से भी निकलकर सामने आई है. जहां के मतदाता मतदान केंद्र नदी के दूसरी ओर होने के चलते पैदल नदी को पार करते हुए पहुंच रहे हैं. हालांकी मतदान केन्द्र दूर होने को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी तो है ही, लेकिन मतदान करने को लेकर उत्साह भी देखने को मिल रहा है.
परेशानी के बाद भी ग्रामीणों ने नहीं किया बहिष्कार
बता में ग्रामीणों ने मतदान केंद्र दूर होने पर मतदान का बहिष्कार करने से बेहतर मतदान करना मुनासिब समझा. साथ ही मीडिया के समक्ष अपनी परेशानियां भी रखते हुए कहा की, 'उनकी मांग है की शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मोहगांव में लगभग तीन सौ मतदाता हैं. ग्रामीणों को मतदान के लिए वन ग्राम सलेया जाना पड़ता है. जिसके लिए ग्रामीण लगभग दो किलोमीटर पैदल चलकर नदी पार करते हैं. तब कहीं जाकर उनका मतदान होता है.
यहां पढ़ें कमलनाथ ने हनुमान मंदिर में पूजा कर सपरिवार डाला वोट, मतदान के बाद बोले- जनता का आशीर्वाद कायम रहेगा |
सीधी में ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार
वहीं अगर सीधी लोकसभा सीट की बात करें तो जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम मेडरा स्थित है. जहां आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां नेटवर्क की समस्या आज नहीं करीब 30 सालों से भी ज्यादा की है. कभी भी यहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं पहुंचता है. इसके साथ ही साथ पानी की भी समस्या है. गर्मी के दिनों में पानी की समस्या यहां विकराल रूप धारण कर लेती है. यहां सरपंच के साथ ग्रामीणों ने कई बार जिला पंचायत प्रशासन और कलेक्टर को आवेदन भी दिया, लेकिन उसके बाद भी कोई भी सुनवाई नहीं हुई.
आखिरकार ग्रामीणों ने शुक्रवार के दिन ही मतदान के समय मतदान का बहिष्कार कर दिया. उन्होंने कहा 'अगर हमें नेटवर्क और पानी की समस्या से निजात नहीं देंगे, तो हम वोट ही नहीं डालेंगे. हम ऐसे लोगों को क्यों चुने जो हमारी समस्या का समाधान कर ही नहीं पाते हैं.