जयपुर. ध्रुपद सम्राट और हाल ही में पद्मश्री के लिए चयनित हुए पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग का शनिवार को निधन हो गया. एक दिन पहले ही निमोनिया होने के चलते उन्हें जयपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन से शास्त्रीय संगीत जगत में शोक की लहर है.
ऐसा रहा जीवन: ध्रुपद गायन की कला को विश्व पटल पर प्रसिद्धि दिलाने वाले पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग का जन्म 1928 में गोकुल चंद्र भट्ट के घर हुआ था. उनके पिता खुद ध्रुपद संकीर्तन हवेली संगीत के पुरोधा गायक रहे हैं. हालांकि, अपनी शुरुआती जीवन में उन्होंने काफी स्ट्रगल भी किया. छोटी सी उम्र में उन्होंने अपने पिता की लिखी किताबों को बेचा और संघर्ष करते हुए संगीत महाविद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी की. आगे चलकर उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ते हुए जयपुर में ही रसमंजरी संगीतोपासना केंद्र और इंटरनेशनल ध्रुपद धाम ट्रस्ट की स्थापना करते हुए शास्त्रीय संगीत को नया मुकाम दिया.
पढ़ें. नहीं रहे उस्ताद राशिद खान, लंबी बीमारी के बाद संगीत सम्राट का निधन
यही नहीं अपने बच्चों को भी उन्होंने ध्रुपद संगीत की तालीम दी. इसका नतीजा ये रहा कि उनकी बेटी मधु भट्ट तैलंग भी राजस्थान की पहली महिला ध्रुपद गायिका बनीं. उन्हें भी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया. हाल ही में 25 जनवरी को पंडित लक्ष्मण भक्त तैलंग का भी नाम पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया.
सीपी जोशी ने जताया शोक : राजनेताओं ने भी पं लक्ष्मण भट्ट तैलंग के निधन पर शोक व्यक्त किया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि 'पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित प्रदेश के ध्रुपद गायक पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग जी का निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है. मैं ईश्वर से उनके मोक्ष की प्रार्थना करता हूं और परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.'