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गंगा दशहरा पर धार के कुंड में होता है 1 दिन के लिए नर्मदा गंगा मिलन, कुंड से फूटती है 2 धाराएं - narmada ganga sangam on ganga dussehra

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 9, 2024, 8:29 PM IST

Updated : Jun 10, 2024, 12:38 PM IST

मध्य प्रदेश में धार के चमत्कारिक गंगा कुंड की कहानी बड़ी ही अनूठी है. यह वो जगह है जहां पर मां गंगा मां नर्मदा के साथ एक दिन के लिए मिलन करने आती हैं. इसकी कहानियां काफी चर्चित हैं. यहां हर साल गंगा दशहरा के अवसर पर मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से लोग शामिल होने आते हैं.

narmada ganga sangam on ganga dussehra
यहां पर गंगा और नर्मदा नदी मिलती हैं (ETV Bharat)

Narmada Ganga Sangam On Ganga Dussehra: मध्य प्रदेश में धार्मिक और पौराणिक स्थलों की कमी नहीं है. यहां आज भी कई ऐसे धार्मिक और पौराणिक स्थल मौजूद हैं, जिन्हें काफी चमत्कारी माना जाता है. इनको लेकर कई कहानियां भी प्रसिद्ध हैं और इनके चमत्कारिक किस्से दूर-दूर तक फैले हैं. इसी तरह धार जिले में स्थित गंगा कुंड के चमत्कार के कई किस्से और कहानियां हैं. ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा यहां नर्मदा से मिलने आती हैं. गंगा दशहरा के दिन यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है.

गंगा कुंड की धार्मिक मान्यता

मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव स्थित है. इसी गांव में ही पवित्र गंगा कुंड स्थित है. इतिहासकारों की माने तो इस गांव का नाम ही गंगा नदी के नाम पर पड़ा है. यहां ऐसा माना जाता है कि यहां गंगा जी स्वयं प्रकट हुई थीं. इस कुंड का जल हूबहू गंगाजल की तरह ही है. इस कुंड को गंगा जल की तरह ही पवित्र माना गया है, इसीलिए इस कुंड का नाम गंगा कुंड पड़ा है.

ganga dussehra 2024 date and time
गंगा दशहरा पर कुंड में होता है नर्मदा गंगा मिलन (Etv Bharat)

यहां नर्मदा और गंगा का होता है मिलन

गांगली गांव के इस कुंड को लेकर ऐसा माना जाता है कि, यहां गंगा जी अवतरित हुई थीं. इस कुंड कि एक अनोखी बात ये है कि, इसका पानी कभी खत्म नहीं होता. इसके जल को गंगा जल की तरह ही शुद्ध, पवित्र और चमत्कारी माना गया है. इस कुंड के बारे में ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि यानी गंगा दशहरा पर मां गंगा नर्मदा से मिलने खुद यहां आती हैं. इस कुंड का जल नर्मदा नदी के जल से मिलता है. जहां इसे 'सातमात्रा' के नाम से भी जाना जाता है.

गंगा कुंड के चमत्कार की कई कहानियां

इस कुंड के चमत्कार की कई कहानियां हैं. जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है. जानकार बताते हैं कि एक अंधी महिला को गंगा स्नान की इच्छा हुई, गंगा मां ने सपने में उस महिला को इस स्थान का पता बताया. इसके बाद महिला ने इस कुंड में स्नान किया तो उसकी आंखों की रौशनी लौट आई. इससे जुड़ी एक और पौराणिक कथा है, जिसमें यहां एक बाल विधवा तपस्विनी पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थी, लेकिन मूढ़ नाम का एक असुर जो कि अपनी कामदृष्टि से उसे परेशान करता था, तपस्विनी के कठोर तप से आखिर एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और असुर का संहार कर तपस्विनी को वरदान दिया की उनके साथ आई देवी गंगा, इस घाट पर मानस रूप में आएंगी, तब उनका नर्मदा से मिलना होगा. तभी से ऐसा माना जाने लगा कि इस कुंड में स्वयं मां गंगा अवतरित हुई है.

12 महीने रहता है पानी, लगता है मेला

इस कुंड को लेकर ग्रामीण बताते हैं कि, इस गंगा कुंड में साल के 12 महीने पानी रहता है. स्थानीय लोगों का मानना है की गंगा दशहरे से एक दिन पहले कुंड में पानी का स्तर बढ़ जाता है और दो दिनों तक इसका पानी नर्मदा नदी की धारा से मिलता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यह स्थान बहुत पवित्र है. यहां देशभर से श्रद्धालु जुटते हैं. इस स्थान पर गंगा दशहरा के अवसर पर पावन मेला लगता है. जिसमें आसपास के और दूसरे राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं. यहां आने वाले लोग पवित्र गंगा कुंड में स्नान भी करते हैं.

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खजुराहो का रहस्यमयी शिवलिंग, जिसकी हर साल बढ़ती है लंबाई, विज्ञान भी इस चमत्कार से अनजान

नंदिकेश्वर शिवलिंग है विराजमान

जहां गंगा कुंड स्थित है, वहां भगवान शिव भी विराजमान है. यहां एक शिवलिंग भी है, जो नंदीकेश्वर के नाम से जाना जाता है. इसका वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण में भी मिलता है. यहां आने वाले भक्त नंदीकेश्वर शिवलिंग की पूजा अर्चना बड़े श्रद्धा भाव से करते हैं. नंदीकेश्वर के शिवलिंग की भी कई कहानियां चर्चित हैं. लोग यहां मन्नतें मांगते हैं. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी है जाती हैं.

Narmada Ganga Sangam On Ganga Dussehra: मध्य प्रदेश में धार्मिक और पौराणिक स्थलों की कमी नहीं है. यहां आज भी कई ऐसे धार्मिक और पौराणिक स्थल मौजूद हैं, जिन्हें काफी चमत्कारी माना जाता है. इनको लेकर कई कहानियां भी प्रसिद्ध हैं और इनके चमत्कारिक किस्से दूर-दूर तक फैले हैं. इसी तरह धार जिले में स्थित गंगा कुंड के चमत्कार के कई किस्से और कहानियां हैं. ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा यहां नर्मदा से मिलने आती हैं. गंगा दशहरा के दिन यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है.

गंगा कुंड की धार्मिक मान्यता

मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे गांगली गांव स्थित है. इसी गांव में ही पवित्र गंगा कुंड स्थित है. इतिहासकारों की माने तो इस गांव का नाम ही गंगा नदी के नाम पर पड़ा है. यहां ऐसा माना जाता है कि यहां गंगा जी स्वयं प्रकट हुई थीं. इस कुंड का जल हूबहू गंगाजल की तरह ही है. इस कुंड को गंगा जल की तरह ही पवित्र माना गया है, इसीलिए इस कुंड का नाम गंगा कुंड पड़ा है.

ganga dussehra 2024 date and time
गंगा दशहरा पर कुंड में होता है नर्मदा गंगा मिलन (Etv Bharat)

यहां नर्मदा और गंगा का होता है मिलन

गांगली गांव के इस कुंड को लेकर ऐसा माना जाता है कि, यहां गंगा जी अवतरित हुई थीं. इस कुंड कि एक अनोखी बात ये है कि, इसका पानी कभी खत्म नहीं होता. इसके जल को गंगा जल की तरह ही शुद्ध, पवित्र और चमत्कारी माना गया है. इस कुंड के बारे में ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि यानी गंगा दशहरा पर मां गंगा नर्मदा से मिलने खुद यहां आती हैं. इस कुंड का जल नर्मदा नदी के जल से मिलता है. जहां इसे 'सातमात्रा' के नाम से भी जाना जाता है.

गंगा कुंड के चमत्कार की कई कहानियां

इस कुंड के चमत्कार की कई कहानियां हैं. जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है. जानकार बताते हैं कि एक अंधी महिला को गंगा स्नान की इच्छा हुई, गंगा मां ने सपने में उस महिला को इस स्थान का पता बताया. इसके बाद महिला ने इस कुंड में स्नान किया तो उसकी आंखों की रौशनी लौट आई. इससे जुड़ी एक और पौराणिक कथा है, जिसमें यहां एक बाल विधवा तपस्विनी पार्थिव शिवलिंग बनाकर तप करती थी, लेकिन मूढ़ नाम का एक असुर जो कि अपनी कामदृष्टि से उसे परेशान करता था, तपस्विनी के कठोर तप से आखिर एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न हुए और असुर का संहार कर तपस्विनी को वरदान दिया की उनके साथ आई देवी गंगा, इस घाट पर मानस रूप में आएंगी, तब उनका नर्मदा से मिलना होगा. तभी से ऐसा माना जाने लगा कि इस कुंड में स्वयं मां गंगा अवतरित हुई है.

12 महीने रहता है पानी, लगता है मेला

इस कुंड को लेकर ग्रामीण बताते हैं कि, इस गंगा कुंड में साल के 12 महीने पानी रहता है. स्थानीय लोगों का मानना है की गंगा दशहरे से एक दिन पहले कुंड में पानी का स्तर बढ़ जाता है और दो दिनों तक इसका पानी नर्मदा नदी की धारा से मिलता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यह स्थान बहुत पवित्र है. यहां देशभर से श्रद्धालु जुटते हैं. इस स्थान पर गंगा दशहरा के अवसर पर पावन मेला लगता है. जिसमें आसपास के और दूसरे राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं. यहां आने वाले लोग पवित्र गंगा कुंड में स्नान भी करते हैं.

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नंदिकेश्वर शिवलिंग है विराजमान

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Last Updated : Jun 10, 2024, 12:38 PM IST
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