धार। मध्य प्रदेश के धार जिले की ऐतिहासिक भोजशाला में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के दिशा निर्देश के बाद से एसआई सर्वे का काम 43वें दिन भी जारी रहा. शुक्रवार के चलते ASI की सर्वे टीम भोजशाला में सुबह लगभग 6 बजे पहुंची थी. इस दौरान टीम में 19 अधिकारी-कर्मचारियों के साथ 24 मजदूर भोजशाला में पहुंचे थे और 12 बजे टीम वापस रवाना हुई.
भोजशाल में सर्वे के दौरान मिले सिक्के
2003 की अनुमति अनुसार भोजशाला में हर शुक्रवार को दोपहर 1 से 3 बजे तक मुस्लिम समाज की नमाज होती है. हर मंगलवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिन्दू समुदाय अपनी पूजा-पाठ करता है. इसी कड़ी में हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि, 'गर्भ गृह से मिट्टी हटाने का काम हुआ है और दक्षिण दिशा में पत्थरों की दीवार बनाने का काम चल रहा है. साथ में पश्चिम की ओर मिट्टी हटाने का काम तेजी से जारी है. भोजशाला के पीछे खेत में जो पाइंट बनाया था. वहां पर भी काम तेजी से चल रहा है और पीडब्ल्यूडी की एक टीम जो निर्माण कार्य करती है. उन्होंने भी सर्वेक्षण किया. जहां भोजशाला में पानी का रिसाव होता है, या पानी रुका होता है, वहां कहीं दरारें आ गई, उन्हें ठीक करने को लेकर सर्वेक्षण किया गया. इसके अलावा अरबी भाषा पढ़ने वाले कुछ नए सदस्य भी टीम के साथ जुड़े हैं. भोजशाला में मिले सिक्कों को लेकर भी कहा है कि 'उनकी ब्रशिंग वगैरह कर उनके काल के बारे में जानने का काम सर्वे टीम कर रही है.
मुस्लिम समाज ने सौंपा ज्ञापन
वहीं इधर मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने भी भोजशाला में जारी सर्वे को लेकर जानकारी दी. अब्दुल समद ने बताया कि 'भोजशाला में मिले सिक्कों को लेकर मिस गाइड किया गया है कि वे पवार वंश के सिक्के हैं. वह मुगलिया सल्तनत के सिक्के हैं. उनमें उर्दू में कुछ लिखा है. आज टीम आई है, उसे जांच पड़ताल करेगी और जो भी उसमें लिखा है, जांच में सबमिट करेगी. वहीं भोजशाला में नमाज पढ़ने पहुंचने मुस्लिम समाज ने नमाज के बाद कमाल मौला मस्जिद नमाज इंतजामिया कमेटी एवं धार के मुस्लिम समाज के कार्यवाहक सदर जुल्फिकार पठान सहित समाज जनों ने तहसीलदार दिनेश उइके को एक ज्ञापन सौंपा.
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ASI पर उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि आदेश में कहा गया है की मस्जिद का मूल स्वरूप परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन मस्जिद के अंदर गहरे गड्ढे किए जा रहे हैं. जिसका मुस्लिम समाज विरोध करता है. इससे मस्जिद की दीवारों को खतरा है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार फिजिकल एग्जीबिशन के लिए मना किया गया था. उसका पालन करवाया जाए नहीं तो मुस्लिम समाज द्वारा आंदोलन किया जाएगा.