धार। मध्य प्रदेश के धार जिले की ऐतिहासिक भोजशाला जिसे हिंदू समाज सरस्वती देवी का मंदिर तो, वहीं मुस्लिम समाज कमाल मौला की मस्जिद होने का दावा कर रहा है. इन दावों की सच्चाई जानने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में बहस भी चल रही है. कोर्ट ने एएसआई से सर्वें भी कराया था जो तीन महीने से ज्यादा चला था. खुदाई में कई प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं. मूर्तियों के आधार पर विश्व जैन संगठन ने भी भोजशाला पर अपना अधिकार जताया और हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है. इस पर कोर्ट ने 4 जुलाई को सुनवाई की तारिख भी तय कर दी थी. धार जिले के जैन समाज ने इस याचिका पर आपत्ति जताई है और हिन्दूओं का साथ देने की बात कही है.
विश्व जैन संगठन ने ठोका है दावा
धार भोजशाला पर अधिकार को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसी बीच एएसआई की खुदाई में मिली मूर्तियों को आधार बनाकर विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चन्द्र जैन ने भोजशाला पर जैन समाज का दावा ठोक दिया. सलेक चन्द्र ने इंदौर हाईकोर्ट में इस पर याचिका भी दायर की है. याचिका में उन्होंने भोजशाला में कालांतर में जैन गुरुकुल होने का दावा किया है. खुदाई में मिली मुर्तियों को जैन देवी-देवताओं के होने की बात कही है. भोजशाला पर जैन समाज के अधिकार जताने पर एक नई बहस छिड़ गई. हाईकोर्ट ने इसपर सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारिख भी तय कर दी है.
'जिसने याचिका लगाई उससे कोई लेना देना नहीं'
भोजशाला मुक्ति को लेकर निरंतर चले आ रहे सत्याग्रह के तहत मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु और जिम सकल जैन समाज के लोग भोजशाला पहुंचे और मां वाग्देवी के दर्शन पूजन के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया गया. जैन समाज के वरिष्ठ नागरिक, समाजसेवी इसमें शामिल हुए. भोज उत्सव समिति के अध्यक्ष अशोक जैन ने विश्व जैन संगठन की तरफ से दायर याचिका पर कहा कि, "जैन समाज किसी व्यक्ति का नहीं है. जो याचिका लगाई गई है उसका धार से कोई लेना देना नहीं है. धार के सभी जैन समाज के लोग भोज उत्सव समिति और भोजशाला के साथ हैं".
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जैन समाज ने कहा, हम हिन्दूओं के साथ हैं
भोजशाला मुक्ति यज्ञ समिति संयोजक गोपाल शर्मा ने कहा, "जितने भी धर्म हैं सब सनातन धर्म से निकली शाखाएं हैं. कोई भी सनातन धर्म से अलग नहीं है". उन्होंने कहा कि, "राजा भोजपाल के समय में सभी धर्मों का सम्मान था. सभी धर्मों के आचार्य यहां विद्या देते थे. इसलिए यहां पर सभी धर्मों की मूर्तियों की स्थापना की गई थी. जिन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की है यह उनका व्यक्तिगत विचार हो सकता है. इसका धार के जैन समाज के कुछ लेना-देना नहीं है". जैन समाज के समन्वयक विरेन्द्र जैन ने कहा कि, "जिसने भी जैन समाज के अधिकारों की याचिका लगाई उससे हमारा कोई संबंध नहीं है. वह ना तो धार का ना तो इस प्रदेश का निवासी है. धार का जैन समाज उसको नहीं जानता. हम भोजशाला के अधिकार के विषय पर हिन्दू समाज के साथ हैं".