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बाओबाब पेड़ों की कटाई मामले में सरकार के रवैये पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, अब इस दिन होगी अगली सुनवाई - Dhar Baobab Trees Issue - DHAR BAOBAB TREES ISSUE

गुरुवार को धार जिले में बाओबाब वृक्षों की कटाई, बिक्री व परिवहन से संबंधित जनहित याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में जैव विविधता अधिनियम प्रभावी नहीं है. अधिनियम होने के बावजूद इसके परिपालन में सरकार की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई. इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 मई को होगी.

DHAR BAOBAB TREES ISSUE
धार जिले में बाओबाब वृक्षों की कटाई मामले में सुनवाई (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 10:14 AM IST

जबलपुर। धार जिले में बाओबाब वृक्षों की कटाई, बिक्री व परिवहन से संबंधित जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट मित्र अधिवक्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में जैव विविधता अधिनियम प्रभावी नहीं है. अधिनियम होने के बावजूद भी इसके परिपालन में सरकार की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई. युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर जमकर नाराजगी व्यक्त करते हुए क्रियान्वयन के लिए सोमवार तक का समय प्रदान किया है.

10 लाख से ज्यादा है बाओबाब के एक पेड़ की कीमत

आपको बता दें कि, कई महीने पहले धार जिले में बाओबाब के पेड़ों को काटने, बिक्री व परिवहन की अनुमति दिए जाने से संबंधित एक खबर एक अखबार में छपी थी. उस अखबार में लिखा गया था कि क्षेत्र के लोग बाओबाब के वृक्षों को काटने का विरोध कर रहे है. दरअसल, बाओबाब पेड़ को अफ्रीका में द वर्ल्ड ट्री की उपाधि दी गई है. साथ ही अफ्रीका के आर्थिक विकास में बाओबाब पेड़ का बडा महत्व माना जाता है. हैदराबाद का एक व्यापारी अपने फार्म में इन पेड़ों की खेती और आर्थिक लाभ के लिए उनकी कटाई कर बेच रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी बाओबाब के एक पेड़ की कीमत 10 लाख रुपये से अधिक है. इतनी ज्यादा कीमत होने के कारण अन्य लोग भी अपने खेतों में लगे पेड़ों को बेचने के लिए काट रहे हैं.

हाईकोर्ट ने मांगा था जवाब

अंग्रेजी अखबार की इस खबर को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने संज्ञान में लिया और उसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद धार जिले में बाओबाब के पेड़ की कटाई, बिक्री व परिवहन पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, वन विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त व सीसीएफ इंदौर, कलेक्टर व सीईओ जिला पंचायत को नोटिस देकर जवाब मांगा था.

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6 मई को अगली सुनवाई

इसी याचिका पर 2 मई गुरूवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता ने इस मामले की जानकारी जस्टिस के सामने पेश की. जानकारी देखते ही युगलपीठ ने जमकर नाराजगी व्यक्त की. युगलपीठ ने सरकार को निर्देषित किया है कि अधिनियम के परिपालन के संबंध में क्रियान्वयन कर न्यायालय को अवगत कराएं. साथ ही इस याचिका पर अगली सुनवाई 6 मई को निर्धारित की गई है.

जबलपुर। धार जिले में बाओबाब वृक्षों की कटाई, बिक्री व परिवहन से संबंधित जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट मित्र अधिवक्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में जैव विविधता अधिनियम प्रभावी नहीं है. अधिनियम होने के बावजूद भी इसके परिपालन में सरकार की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई. युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर जमकर नाराजगी व्यक्त करते हुए क्रियान्वयन के लिए सोमवार तक का समय प्रदान किया है.

10 लाख से ज्यादा है बाओबाब के एक पेड़ की कीमत

आपको बता दें कि, कई महीने पहले धार जिले में बाओबाब के पेड़ों को काटने, बिक्री व परिवहन की अनुमति दिए जाने से संबंधित एक खबर एक अखबार में छपी थी. उस अखबार में लिखा गया था कि क्षेत्र के लोग बाओबाब के वृक्षों को काटने का विरोध कर रहे है. दरअसल, बाओबाब पेड़ को अफ्रीका में द वर्ल्ड ट्री की उपाधि दी गई है. साथ ही अफ्रीका के आर्थिक विकास में बाओबाब पेड़ का बडा महत्व माना जाता है. हैदराबाद का एक व्यापारी अपने फार्म में इन पेड़ों की खेती और आर्थिक लाभ के लिए उनकी कटाई कर बेच रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी बाओबाब के एक पेड़ की कीमत 10 लाख रुपये से अधिक है. इतनी ज्यादा कीमत होने के कारण अन्य लोग भी अपने खेतों में लगे पेड़ों को बेचने के लिए काट रहे हैं.

हाईकोर्ट ने मांगा था जवाब

अंग्रेजी अखबार की इस खबर को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने संज्ञान में लिया और उसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद धार जिले में बाओबाब के पेड़ की कटाई, बिक्री व परिवहन पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, वन विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त व सीसीएफ इंदौर, कलेक्टर व सीईओ जिला पंचायत को नोटिस देकर जवाब मांगा था.

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6 मई को अगली सुनवाई

इसी याचिका पर 2 मई गुरूवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता ने इस मामले की जानकारी जस्टिस के सामने पेश की. जानकारी देखते ही युगलपीठ ने जमकर नाराजगी व्यक्त की. युगलपीठ ने सरकार को निर्देषित किया है कि अधिनियम के परिपालन के संबंध में क्रियान्वयन कर न्यायालय को अवगत कराएं. साथ ही इस याचिका पर अगली सुनवाई 6 मई को निर्धारित की गई है.

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