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Rajasthan: दिवाली से पहले क्यों मनाया जाता है धनतेरस, जानिए इस दिन क्या करना चाहिए - DHANTERAS KYU MANATE HAI

कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को धनदात्रयोदशी पर्व मनाया जाता है. इसी दिन से पांच दिवसीय दीपदान उत्सव शुरू होता है.

धनतरेस के पीछे की कहानी
धनतरेस के पीछे की कहानी (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 22, 2024, 7:58 AM IST

Updated : Oct 22, 2024, 9:58 AM IST

बीकानेर. हिंदू धर्म शास्त्रों में धनतेरस पर्व का बड़ा महत्व है. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी जिसे धनतेरस कहा जाता है आम लोकाचार में केवल इस पर्व को खरीदारी तक ही सीमित माना गया है लेकिन सुख वैभव के साथ ही आरोग्य के लिए भी यह दिन विशेष है. धनतेरस के दिन सागर मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, जिन्होंने आयुर्वेद का प्रचार प्रसार कर मानव का कल्याण किया। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है.

यमराज को किया जाता प्रसन्न : दीपावली पर पांच दिवसीय दीपोत्सव में दीपदान से यमराज को प्रसन्न किया जाता है. साथ ही धनतेरस के दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है और मान्यता है कि किसी भी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति इस दिन यदि भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हुए औषधि ग्रहण करता है तो भगवान धन्वंतरि उसे ठीक करते हैं और उसे दीर्घायु प्राप्त होती है.

पढ़ें: Dhanteras 2024 कब है धनतेरस, किस मुहूर्त में पूजन करने से मां लक्ष्मी घर में करती हैं वास, जानें

समुद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि धनतेरस के दिन का विशेष महत्व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा से भी है. भगवान विष्णु के अवतार के रूप में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक होने के साथ ही उन्होंने इस ब्रह्मांड में उत्पन्न औषधियों के गुण अवगुण के आधार पर इसके प्रयोग बतलाए. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं.

पूरा दिन शुभ : आमतौर पर हिंदू धर्म शास्त्रों में पंचांग और चौघड़िया देखकर दिन में विशेष मुहूर्त या शुभ समय बताया जाता है लेकिन साल में कुछ ऐसे विशेष दिन होते हैं जिसमें पूरा दिन ही शुभ कहा जाता है. धनतेरस भी इन्हीं दिनों में शामिल है और इस दिन किसी खास घड़ी पल या मुहूर्त नहीं होता है बल्कि पूरा दिन ही शुभ माना जाता है.

खरीददारी का सबसे बड़ा अवसर : दरअसल, धनतेरस के दिन से ही 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है. पूरे देश में दीपावली के साथ ही धनतेरस के दिन भी बड़ी मात्रा में घरेलू सामान और ज्वेलरी की खरीद होती है. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का मतलब धनतेरस से है. धनतेरस पर्व से 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस के दिन का महत्व सोना चांदी अन्य सामानों की खरीद से जुड़ा हुआ है जो कि विलासिता से जुड़े हैं.

पढ़ें: धनतेरस से पहले सोने की कीमत रिकॉर्ड हाई पर, खरीदना का बना रहे मन...तो जानें अपने शहर का ताजा भाव

क्यों करें खरीदारी ? : किराडू कहते हैं कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने का भी महत्व है. इस दिन रत्न, आभूषण, जमीन, घर, प्रतिष्ठान में वैभव विलासिता को बढ़ाने वाले सामान की खरीदारी करने का महत्व है. इस दिन जमीन खरीदना या मकान बनाने के लिए नींव का पूजन करने का भी महत्व है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि माना जाता है कि इस दिन की गई खरीद अक्षय मानी जाती है और इसका कई गुना बढ़ोतरी के रूप में प्राप्त होता है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन घर और प्रतिष्ठान में भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए, साथ ही श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए. धनतेरस के दिन पीतल, तांबा, चांदी स्वर्ण आदि के पात्र खरीदने की भी परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन स्वर्ण, चांदी खरीदने से धन समृद्धि होती है. इसी दिन व्यापारी वर्ग अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में कुबेर, मां लक्ष्मी का पूजन भी करते हैं.

बीकानेर. हिंदू धर्म शास्त्रों में धनतेरस पर्व का बड़ा महत्व है. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी जिसे धनतेरस कहा जाता है आम लोकाचार में केवल इस पर्व को खरीदारी तक ही सीमित माना गया है लेकिन सुख वैभव के साथ ही आरोग्य के लिए भी यह दिन विशेष है. धनतेरस के दिन सागर मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, जिन्होंने आयुर्वेद का प्रचार प्रसार कर मानव का कल्याण किया। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है.

यमराज को किया जाता प्रसन्न : दीपावली पर पांच दिवसीय दीपोत्सव में दीपदान से यमराज को प्रसन्न किया जाता है. साथ ही धनतेरस के दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है और मान्यता है कि किसी भी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति इस दिन यदि भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हुए औषधि ग्रहण करता है तो भगवान धन्वंतरि उसे ठीक करते हैं और उसे दीर्घायु प्राप्त होती है.

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समुद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि धनतेरस के दिन का विशेष महत्व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा से भी है. भगवान विष्णु के अवतार के रूप में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक होने के साथ ही उन्होंने इस ब्रह्मांड में उत्पन्न औषधियों के गुण अवगुण के आधार पर इसके प्रयोग बतलाए. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं.

पूरा दिन शुभ : आमतौर पर हिंदू धर्म शास्त्रों में पंचांग और चौघड़िया देखकर दिन में विशेष मुहूर्त या शुभ समय बताया जाता है लेकिन साल में कुछ ऐसे विशेष दिन होते हैं जिसमें पूरा दिन ही शुभ कहा जाता है. धनतेरस भी इन्हीं दिनों में शामिल है और इस दिन किसी खास घड़ी पल या मुहूर्त नहीं होता है बल्कि पूरा दिन ही शुभ माना जाता है.

खरीददारी का सबसे बड़ा अवसर : दरअसल, धनतेरस के दिन से ही 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है. पूरे देश में दीपावली के साथ ही धनतेरस के दिन भी बड़ी मात्रा में घरेलू सामान और ज्वेलरी की खरीद होती है. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का मतलब धनतेरस से है. धनतेरस पर्व से 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस के दिन का महत्व सोना चांदी अन्य सामानों की खरीद से जुड़ा हुआ है जो कि विलासिता से जुड़े हैं.

पढ़ें: धनतेरस से पहले सोने की कीमत रिकॉर्ड हाई पर, खरीदना का बना रहे मन...तो जानें अपने शहर का ताजा भाव

क्यों करें खरीदारी ? : किराडू कहते हैं कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने का भी महत्व है. इस दिन रत्न, आभूषण, जमीन, घर, प्रतिष्ठान में वैभव विलासिता को बढ़ाने वाले सामान की खरीदारी करने का महत्व है. इस दिन जमीन खरीदना या मकान बनाने के लिए नींव का पूजन करने का भी महत्व है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि माना जाता है कि इस दिन की गई खरीद अक्षय मानी जाती है और इसका कई गुना बढ़ोतरी के रूप में प्राप्त होता है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन घर और प्रतिष्ठान में भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए, साथ ही श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए. धनतेरस के दिन पीतल, तांबा, चांदी स्वर्ण आदि के पात्र खरीदने की भी परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन स्वर्ण, चांदी खरीदने से धन समृद्धि होती है. इसी दिन व्यापारी वर्ग अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में कुबेर, मां लक्ष्मी का पूजन भी करते हैं.

Last Updated : Oct 22, 2024, 9:58 AM IST
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