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हरिद्वार में निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान के लिए उमड़े श्रद्धालु, इस व्रत से मिलता है सभी एकादशियों के बराबर पुण्य - Nirjala Ekadashi 2024 - NIRJALA EKADASHI 2024

Nirjala Ekadashi Vrat 2024 ज्येष्ठ के महीने में निर्जला एकादशी व्रत पड़ता है. ऐसी मान्यता है कि ये व्रत रखने से सभी एकादशियों के बराबर फल की प्राप्ति होती है. एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है. इससे घर में खुशियों का आगमन होता है. हरिद्वार में निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.

Nirjala Ekadashi Vrat 2024
निर्जला एकादशी व्रत 2024 (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 18, 2024, 8:49 AM IST

Updated : Jun 18, 2024, 10:06 AM IST

निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान (Video- ETV Bharat)

हरिद्वार: आज निर्जला एकादशी है. यानी ऐसी एकादशी जिस दिन बिना जल ग्रहण किये ही व्रत रखा जाता है और गंगा स्नान किया जाता है. पितरों के निमित पूजा अर्चना, पिंडदान आदि किया जाता है. पितरों के निमित दान दिया जाता है. जो भी ऐसा करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

आज के एकादशी व्रत से साल भर की 24 एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त होता है. इस पुण्य को पाने के लिये हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. यह श्रद्धालु गंगा के निर्मल जल में स्नान कर पूजा और दान कर रहे हैं. देश के विभिन्न स्थानों से आये श्रद्धालु गंगा स्नान कर अपने आप को तृप्त कर रहे हैं. वैसे तो सभी एकादशी का महत्व है. मगर यह माना जाता है निर्जला एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है. इस दिन निर्जल रहकर व्रत करने और गंगा स्नान करने पर असीम पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं. दो दिन पहले गंगा दशहरा का स्नान था. उसमें करीब 15 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया था.

पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि निर्जला एकादशी जैसे नाम से ही प्रतीत होता है वह एकादशी जिसमें निर्जल रहकर व्रत रखना होता है. यही वह एकादशी है जिसका यह फल बताया गया है कि जो आज के दिन की गंगा आदि पवित्र नदियों में मौन रहकर स्नान करने के पश्चात निर्जल रहकर व्रत करे. व्रत के पूर्व मौसमी फल, जल पात्र और पंखा, चीनी और इस प्रकार की चीज जो अपने पितरों के निमित दान करता है अपने पुरोहित को देता है, उस व्यक्ति को पूरे वर्ष की एकादशी जो 24 होती हैं, हर महीने दो शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की यह एकमात्र एकादशी करने से 24 एकादशियों का व्रत का प्रभाव मिल जाता है.

इसका पुण्य फल इतना बताया गया है कि भीमसेनी एकादशी नाम भी इसी कारण पड़ा था. वेदव्यास जी की आज्ञा से भीमसेन ने इसी दिन का उपवास करके पूरे वर्ष की एकादशी का फल प्राप्त कर लिया था. जो व्यक्ति एक वर्ष की एकादशी रख लेता है, वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है. किसी भी जीवन में तीन प्रकार के किए गए पापों को तुरंत ही एकादशी के प्रभाव से नष्ट कर लेता है. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसको हम निर्जला एकादशी कहते हैं, इसमें गंगा स्नान करने मात्र से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं.

निर्जला एकादशी स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुचे हुए हैं. बड़ी संख्या में यात्री निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान करने और पितरों के निमित पूजा करने के लिये हरिद्वार आये हैं. सुबह से श्रद्धालुयों के स्नान का सिलसिला शुरू हुआ है जो निरंतर जारी है. श्रद्धालुगण का कहना है कि गंगा स्नान करके उनको सुख की अनुभूति होती है. मोक्ष का मार्ग खुलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान (Video- ETV Bharat)

हरिद्वार: आज निर्जला एकादशी है. यानी ऐसी एकादशी जिस दिन बिना जल ग्रहण किये ही व्रत रखा जाता है और गंगा स्नान किया जाता है. पितरों के निमित पूजा अर्चना, पिंडदान आदि किया जाता है. पितरों के निमित दान दिया जाता है. जो भी ऐसा करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

आज के एकादशी व्रत से साल भर की 24 एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त होता है. इस पुण्य को पाने के लिये हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. यह श्रद्धालु गंगा के निर्मल जल में स्नान कर पूजा और दान कर रहे हैं. देश के विभिन्न स्थानों से आये श्रद्धालु गंगा स्नान कर अपने आप को तृप्त कर रहे हैं. वैसे तो सभी एकादशी का महत्व है. मगर यह माना जाता है निर्जला एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है. इस दिन निर्जल रहकर व्रत करने और गंगा स्नान करने पर असीम पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं. दो दिन पहले गंगा दशहरा का स्नान था. उसमें करीब 15 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया था.

पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि निर्जला एकादशी जैसे नाम से ही प्रतीत होता है वह एकादशी जिसमें निर्जल रहकर व्रत रखना होता है. यही वह एकादशी है जिसका यह फल बताया गया है कि जो आज के दिन की गंगा आदि पवित्र नदियों में मौन रहकर स्नान करने के पश्चात निर्जल रहकर व्रत करे. व्रत के पूर्व मौसमी फल, जल पात्र और पंखा, चीनी और इस प्रकार की चीज जो अपने पितरों के निमित दान करता है अपने पुरोहित को देता है, उस व्यक्ति को पूरे वर्ष की एकादशी जो 24 होती हैं, हर महीने दो शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की यह एकमात्र एकादशी करने से 24 एकादशियों का व्रत का प्रभाव मिल जाता है.

इसका पुण्य फल इतना बताया गया है कि भीमसेनी एकादशी नाम भी इसी कारण पड़ा था. वेदव्यास जी की आज्ञा से भीमसेन ने इसी दिन का उपवास करके पूरे वर्ष की एकादशी का फल प्राप्त कर लिया था. जो व्यक्ति एक वर्ष की एकादशी रख लेता है, वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है. किसी भी जीवन में तीन प्रकार के किए गए पापों को तुरंत ही एकादशी के प्रभाव से नष्ट कर लेता है. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसको हम निर्जला एकादशी कहते हैं, इसमें गंगा स्नान करने मात्र से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं.

निर्जला एकादशी स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुचे हुए हैं. बड़ी संख्या में यात्री निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान करने और पितरों के निमित पूजा करने के लिये हरिद्वार आये हैं. सुबह से श्रद्धालुयों के स्नान का सिलसिला शुरू हुआ है जो निरंतर जारी है. श्रद्धालुगण का कहना है कि गंगा स्नान करके उनको सुख की अनुभूति होती है. मोक्ष का मार्ग खुलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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Last Updated : Jun 18, 2024, 10:06 AM IST
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