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बीते पांच साल से देवस्थान बोर्ड निष्क्रिय, मंत्री ने कहा- यह विषय सीएम स्तर का, वे ही देंगे जवाब - Devasthan Board Rajasthan

राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद भी देवस्थान बोर्ड को गठन नहीं हुआ है. यह बोर्ड ​बीते पांच साल से कुछ काम नहीं कर रहा. इसके चलते मंदिरों के विकास को लेकर कोई योजनाएं नहीं बनाई जा सकी. इधर, देवस्थान मंत्री ने इस मामले को मुख्यमंत्री स्तर का बताते हुए पल्ला झाड़ लिया.

Devasthan Board Rajasthan
बीते पांच साल से देवस्थान बोर्ड निष्क्रिय (Photo ETV Bharat Rajasthan)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 2, 2024, 9:09 PM IST

जयपुर: राजधानी जयपुर सहित प्रदेशभर के मंदिरों में बेहतर व्यवस्था, उत्थान और पुजारियों के संरक्षण के लिए बनाया गया राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास मंडल यानि देवस्थान बोर्ड बीते पांच साल से निष्क्रिय है. ऐसे में आए दिन मंदिरों की जमीनों पर कब्जे और कम आवाजाही वाले मंदिरों में पुजारियों को परेशान होना पड़ रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से बोर्ड के दोबारा संचालन को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे. देवस्थान विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत ने भी ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ये विषय सीएम के स्तर का है, वे ही इसका जवाब देंगे.

प्रदेश में देवस्थान बोर्ड के अधीन मंदिरों के विकास, व्यवस्था, उत्थान, मंदिर माफी की जमीन-संपत्ति, मंदिरों के पुजारियों की व्यवस्था और संरक्षण की जिम्मेदारी थी. बीजेपी सरकार ने अंतिम बार साल 2017 में पंडित एसडी शर्मा को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन फिर सरकार बदल गई. कांग्रेस सरकार ने बोर्ड अध्यक्ष को मिलने वाली सुविधा दी नहीं, और ना ही राज्य मंत्री का दर्जा दिया.

बीते पांच साल से देवस्थान बोर्ड निष्क्रिय (ETV Bharat Rajasthan)

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कांग्रेस सरकार ने नया बोर्ड अध्यक्ष बनाया तो एसडी शर्मा कानून का हवाला देते हुए कोर्ट से स्टे ले आए और बोर्ड निष्क्रिय पड़ा रहा. प्रन्यास मंडल के नियमों के अनुसार बोर्ड अध्यक्ष और सदस्यों को पांच साल से पहले हटा नहीं सकते. बोर्ड के पांच साल पूर्ण होने पर कांग्रेस सरकार ने अंतिम समय में चुनाव से पहले सालासर बालाजी के महंत भंवर पुजारी को बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया और फिर सरकार बदल गई. अब वर्तमान अध्यक्ष भी बोर्ड कार्यालय, अधिकार और राज्यमंत्री के दर्जे के इंतजार में बैठे हैं. बीजेपी सरकार ने भी अब तक देवस्थान बोर्ड को अधिकार और कार्यालय नहीं दिए हैं.

पिछली सरकार ने नहीं दी देवस्थान को तवज्जो: इस संबंध में देवस्थान विभाग मंत्री जोराराम कुमावत कहा कि पिछली सरकार ने देवस्थान विभाग को ही तवज्जो नहीं दी, लेकिन वर्तमान सरकार में 52 से ज्यादा मंदिरों को विकसित करने की बजट घोषणा भी की है. मंदिरों में कॉरिडोर बनाने, परिक्रमा मार्ग और सुविधा विकसित करने कैसे काम किए जाएंगे. सरकार विभाग को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है.

यह भी पढ़ें: अब श्रृद्धालु घर बैठे कर सकेंगे बांके बिहारी के दर्शन, जल्द शुरू होगी ऑनलाइन सुविधा

बोर्ड का मामला मुख्यमंत्री स्तर का: मंत्री कुमावत ने कहा कि जहां तक देवस्थान बोर्ड का विषय है, ये मुख्यमंत्री स्तर की बात है. इसका जवाब भी वे ही देंगे, लेकिन मंदिरों की संपत्ति का विषय है तो देवस्थान विभाग के अंतर्गत 593 मंदिर है. इन पर जो भी कब्जे हैं, उनमें से कुछ को हटाने के लिए मुकदमे भी लगा रखे हैं, कुछ जगह कार्रवाई की जा रही है. जहां-जहां अतिक्रमण है, उनको हटाने के लिए सरकार प्रयासरत है. आपको बता दें कि प्रदेश में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिर, प्रन्यास, धर्मशालाएं, परिसंपत्तियां बड़ी संख्या में है. विभाग के मुताबिक राज्य में 59 हजार 260, राज्य से बाहर कुल 153 संपत्तियां हैं. इसके साथ ही किराया योग्य संपदा, भवन 2090, राज्य के बाहर 191 संपत्तियां हैं. वहीं प्रदेश में 11 धर्मशालाएं और अन्य राज्यों में कुल 6 संपत्तियां हैं.

जयपुर: राजधानी जयपुर सहित प्रदेशभर के मंदिरों में बेहतर व्यवस्था, उत्थान और पुजारियों के संरक्षण के लिए बनाया गया राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास मंडल यानि देवस्थान बोर्ड बीते पांच साल से निष्क्रिय है. ऐसे में आए दिन मंदिरों की जमीनों पर कब्जे और कम आवाजाही वाले मंदिरों में पुजारियों को परेशान होना पड़ रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से बोर्ड के दोबारा संचालन को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे. देवस्थान विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत ने भी ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ये विषय सीएम के स्तर का है, वे ही इसका जवाब देंगे.

प्रदेश में देवस्थान बोर्ड के अधीन मंदिरों के विकास, व्यवस्था, उत्थान, मंदिर माफी की जमीन-संपत्ति, मंदिरों के पुजारियों की व्यवस्था और संरक्षण की जिम्मेदारी थी. बीजेपी सरकार ने अंतिम बार साल 2017 में पंडित एसडी शर्मा को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन फिर सरकार बदल गई. कांग्रेस सरकार ने बोर्ड अध्यक्ष को मिलने वाली सुविधा दी नहीं, और ना ही राज्य मंत्री का दर्जा दिया.

बीते पांच साल से देवस्थान बोर्ड निष्क्रिय (ETV Bharat Rajasthan)

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कांग्रेस सरकार ने नया बोर्ड अध्यक्ष बनाया तो एसडी शर्मा कानून का हवाला देते हुए कोर्ट से स्टे ले आए और बोर्ड निष्क्रिय पड़ा रहा. प्रन्यास मंडल के नियमों के अनुसार बोर्ड अध्यक्ष और सदस्यों को पांच साल से पहले हटा नहीं सकते. बोर्ड के पांच साल पूर्ण होने पर कांग्रेस सरकार ने अंतिम समय में चुनाव से पहले सालासर बालाजी के महंत भंवर पुजारी को बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया और फिर सरकार बदल गई. अब वर्तमान अध्यक्ष भी बोर्ड कार्यालय, अधिकार और राज्यमंत्री के दर्जे के इंतजार में बैठे हैं. बीजेपी सरकार ने भी अब तक देवस्थान बोर्ड को अधिकार और कार्यालय नहीं दिए हैं.

पिछली सरकार ने नहीं दी देवस्थान को तवज्जो: इस संबंध में देवस्थान विभाग मंत्री जोराराम कुमावत कहा कि पिछली सरकार ने देवस्थान विभाग को ही तवज्जो नहीं दी, लेकिन वर्तमान सरकार में 52 से ज्यादा मंदिरों को विकसित करने की बजट घोषणा भी की है. मंदिरों में कॉरिडोर बनाने, परिक्रमा मार्ग और सुविधा विकसित करने कैसे काम किए जाएंगे. सरकार विभाग को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है.

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बोर्ड का मामला मुख्यमंत्री स्तर का: मंत्री कुमावत ने कहा कि जहां तक देवस्थान बोर्ड का विषय है, ये मुख्यमंत्री स्तर की बात है. इसका जवाब भी वे ही देंगे, लेकिन मंदिरों की संपत्ति का विषय है तो देवस्थान विभाग के अंतर्गत 593 मंदिर है. इन पर जो भी कब्जे हैं, उनमें से कुछ को हटाने के लिए मुकदमे भी लगा रखे हैं, कुछ जगह कार्रवाई की जा रही है. जहां-जहां अतिक्रमण है, उनको हटाने के लिए सरकार प्रयासरत है. आपको बता दें कि प्रदेश में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिर, प्रन्यास, धर्मशालाएं, परिसंपत्तियां बड़ी संख्या में है. विभाग के मुताबिक राज्य में 59 हजार 260, राज्य से बाहर कुल 153 संपत्तियां हैं. इसके साथ ही किराया योग्य संपदा, भवन 2090, राज्य के बाहर 191 संपत्तियां हैं. वहीं प्रदेश में 11 धर्मशालाएं और अन्य राज्यों में कुल 6 संपत्तियां हैं.

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