कुल्लू: सनातन धर्म में एकादशी का काफी महत्व है. एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु 4 माह की निद्रा से जागेंगे. इस दिन भक्त कृपा पाने के लिए व्रत पूजा सहित भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. इस साल 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी और भक्तों के द्वारा भगवान विष्णु का पूजन अर्चन किया जाएगा. देव उठनी एकादशी के नाम से इस तिथि को जाना जाता है. इस साल देव उठनी एकादशी तिथि पर हर्षण योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इन शुभ योग में भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से भक्तों को काफी अच्छा फल मिलेगा.
आचार्य विजय कुमार ने कहा, "एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. ताकि घर में सुख शांति बनी रहे और पति-पत्नी के बीच भी संबंध अच्छे रहे. देवउठनी एकादशी को बेहद खास माना जाता है. क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लंबे योग निद्रा से जागते हैं. भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद फिर से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं".
आचार्य विजय कुमार ने कहा, "देवउठनी एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को शाम 6:46 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर को शाम 4:04 मिनट पर होगा. ऐसे मैं उदया तिथि के अनुसार 12 नवंबर को इसका व्रत रखा जाएगा.
देवउठनी एकादशी पर सुबह भक्त को ही स्नान करने के बाद साफ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. उसके बाद घर की साफ-सफाई कर भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए. भगवान विष्णु के समक्ष फल, मिठाई रखे और गन्ना भी भगवान को अर्पित करें. रात के समय घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीपक जलाएं. अब पूरे परिवार के साथ भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का पूजन करने से बहुत को जीवन भर किसी प्रकार की कमी नहीं होती है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल का बेटा ऑस्ट्रेलिया में बना काउंसलर, साल 2008 में पढ़ाई के लिए गया था विदेश