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छोटी काशी में मनाई गई देव दीपावली, सैकड़ों दीयों से जगमगाया ब्यास नदी का तट - DEV DIWALI IN CHHOTI KASHI MANDI

छोटी काशी में मंडी में ब्यास तट पर देव दीपावली मनाई गई. इस दौरान ब्यास नदी के तट पर लोगों ने 1100 दीए जलाएं.

छोटी काशी में मनाई गई देव दीपावली
छोटी काशी में मनाई गई देव दीपावली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 15, 2024, 7:31 PM IST

मंडी: उत्तर एवं मध्य भारत में काफी बड़े स्तर पर देव दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. आज देव दिवाली के मौके पर देशभर में धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई. इस मौके पर छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर में भी देव दीपावली का पर्व बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. ब्यास नदी के तट पर डुगलेश्वर घाट पर देव दीपावली आयोजित किया गया. इस आयोजन में नगर निगम मंडी के कमीशनर एचएस राणा सहित बड़ी संख्या में शहर वासियों ने भाग लिया और ब्यास नदी के तट पर व डुगलेश्वर महादेव मंदिर के पास 1100 दीए जलाए.

बाबा भूतनाथ मंदिर के पुजारी महंत देवानंद सरस्वती ने कहा, "दंत कथाओं के अनुसार एक बार धरती पर त्रिपुरासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ गया. उसके आतंक से मानवों सहित देवता भी बहुत ज्यादा त्रस्त थे. ऐसे में सभी देवताओं ने भगवान शिव की शरण में जाकर राक्षस के वध की गुहार लगाई. भगवान शिव ने देवताओं की गुहार पर राक्षस का वध करके सभी को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. राक्षस का वध करने के बाद जब भगवान शिव वापिस काशी पहुंचे थे तो सभी मानवों और देवताओं ने दीए जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था".

पुजारी महंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि तभी से ही देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. ऐसा बताया जाता है कि देव दीपावली का पर्व को मनाने की परंपरा आमतौर पर मनाई जाने वाली दीपावली से भी पहले की है. इस पर्व को उत्तर मध्य भारत में अधिक संख्या में मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: छोटी काशी मंडी में पहली बार मनाया गया मांडव्य उत्सव, निकाली गई भव्य शोभा यात्रा

मंडी: उत्तर एवं मध्य भारत में काफी बड़े स्तर पर देव दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. आज देव दिवाली के मौके पर देशभर में धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई. इस मौके पर छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर में भी देव दीपावली का पर्व बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. ब्यास नदी के तट पर डुगलेश्वर घाट पर देव दीपावली आयोजित किया गया. इस आयोजन में नगर निगम मंडी के कमीशनर एचएस राणा सहित बड़ी संख्या में शहर वासियों ने भाग लिया और ब्यास नदी के तट पर व डुगलेश्वर महादेव मंदिर के पास 1100 दीए जलाए.

बाबा भूतनाथ मंदिर के पुजारी महंत देवानंद सरस्वती ने कहा, "दंत कथाओं के अनुसार एक बार धरती पर त्रिपुरासुर नामक राक्षस का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ गया. उसके आतंक से मानवों सहित देवता भी बहुत ज्यादा त्रस्त थे. ऐसे में सभी देवताओं ने भगवान शिव की शरण में जाकर राक्षस के वध की गुहार लगाई. भगवान शिव ने देवताओं की गुहार पर राक्षस का वध करके सभी को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. राक्षस का वध करने के बाद जब भगवान शिव वापिस काशी पहुंचे थे तो सभी मानवों और देवताओं ने दीए जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था".

पुजारी महंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि तभी से ही देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. ऐसा बताया जाता है कि देव दीपावली का पर्व को मनाने की परंपरा आमतौर पर मनाई जाने वाली दीपावली से भी पहले की है. इस पर्व को उत्तर मध्य भारत में अधिक संख्या में मनाया जाता है.

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