राजगढ़। गर्मी के मौसम की शुरुआत होते ही हर जगह चौक-चौराहे पर समाजसेवी संस्था या नगरपालिका द्वारा प्याऊ लगे हुए मिल जाते है, क्योंकि गर्मी के सीजन में शरीर को जल की आवश्यकता अधिक होती है. इसकी पूर्ति कराने के उद्देश्य से शहर वा कस्बों में नगरपालिका वा सामाजिक सस्थानों द्वारा प्याऊ खुलवाए जाते हैं, जिनमें रखे जाने वाले मिट्टी के मटकों को देसी फ्रिज का नाम दिया गया है, क्योंकि ये पानी को शीतल रखने में सहायक होते हैं.
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गर्मी में मटके का पानी अमृत के समान
बीते दो दिन से राजगढ़ जिले वा आसपास के इलाकों में तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिली है. गर्मी ने दोपहर में बाजार को वीरान कर दिया है. गर्मी के कारण न तो दुकानदार दुकान खोल रहे हैं और न ही ग्राहक बाहर निकल रहे हैं. गर्मी के सीजन में देसी फ्रिज यानी मटकों की डिमांड बढ़ जाती है. प्याऊ वा दुकान सहित अन्य जगह रखने के लिए मटकों का ही उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है, जिसकी तैयारियां इसे बनाने वाले कारीगर गर्मी से पहले शुरू कर देते हैं.
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मिट्टी को आटे की तरह गूंथते हैं
मटके बनाकर बेचते हुए आ रहे हेमेंद्र प्रजापति ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनका परिवार पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन बनाता आ रहा है. इसी से उनका परिवार का पालन पोषण होता है. हेमेंद्र बताते हैं कि इस वक्त मिट्टी के मटकों की डिमांड अधिक है. मिट्टी के बर्तन बनाने का तरीका यह होता है कि पहले हम नदी में से मिट्टी को खोदकर लाते है. फिर उसे छानकर कंकर और पत्थरों को अलग किया जाता है. स्वच्छ मिट्टी को आटे की तरह से गूंधकर उपयोग में लिया जाता है और फिर बर्तन बनाए जाते है.