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डिप्टी सीएम केशव मौर्या की बढ़ी मुश्किलें, 'सरकार से बड़ा संगठन' बयान पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित - Deputy CM Keshav Maurya - DEPUTY CM KESHAV MAURYA

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान "सरकार से बड़ा पार्टी संगठन" को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

बयान पर बुरे फंसे डिप्टी सीएम
बयान पर बुरे फंसे डिप्टी सीएम (photo credit ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 7:02 PM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान "सरकार से बड़ा पार्टी संगठन" को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. कोर्ट ने इस मामले पर लंबी सुनवाई की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ कर रही है. अधिवक्ता मंजेश कुमार यादव ने जनहित याचिका दाखिल कर केशव मौर्य के बयान को संविधान की संप्रभुता पर हमला बताया है.

याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ सुप्रीम कोर्ट एसआर बोम्मई के मामले में दी गई विधि व्यवस्था का हवाला दिया. राजेश कुमार ने कहा कि, कैबिनेट मंत्री की ओर से संविधान की शपथ लेने के बाद भारत की संप्रभुता की रक्षा का उसका दायित्व है. संवैधानिक पद धारण करने वाले उप मुख्यमंत्री ने सरकार से बड़ा पार्टी संगठन को बताया. उनके इस बयान का न तो बीजेपी ने खंडन किया, और न ही सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण दिया गया. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान "सरकार से बड़ा पार्टी संगठन" को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. कोर्ट ने इस मामले पर लंबी सुनवाई की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ कर रही है. अधिवक्ता मंजेश कुमार यादव ने जनहित याचिका दाखिल कर केशव मौर्य के बयान को संविधान की संप्रभुता पर हमला बताया है.

याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ सुप्रीम कोर्ट एसआर बोम्मई के मामले में दी गई विधि व्यवस्था का हवाला दिया. राजेश कुमार ने कहा कि, कैबिनेट मंत्री की ओर से संविधान की शपथ लेने के बाद भारत की संप्रभुता की रक्षा का उसका दायित्व है. संवैधानिक पद धारण करने वाले उप मुख्यमंत्री ने सरकार से बड़ा पार्टी संगठन को बताया. उनके इस बयान का न तो बीजेपी ने खंडन किया, और न ही सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण दिया गया. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

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