पटना: प्रदेश में सरकारी छुट्टी होने के बावजूद 27 मार्च को शिक्षा विभाग का कार्यालय खुला रहा. 26 और 27 मार्च को शिक्षा विभाग के निर्देश पर सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय खुले रहे. बुधवार को पटना में सभी अधिकारी कर्मचारी हाथों में फाइल लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी के ऑफिस के चक्कर लगाते नजर आए और जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ समीक्षा बैठक की.
बोड़ा पर बैठकर नहीं पढ़ेंगे बच्चे: दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का स्पष्ट निर्देश दिया है. 1 अप्रैल से प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में बोड़ा पर बैठकर पढ़ाई करते हुए बच्चों की तस्वीर नजर नहीं आनी चाहिए. इस संबंध में एक महीने पूर्व उन्होंने आदेश भी निर्गत किया था और लगभग 900 करोड़ की राशि सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को टेबल बेंच और कुर्सी उपलब्ध कराने के लिए दी गई है. विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से स्कूल में इसकी आपूर्ति हो रही है और टेबल बेंच कुर्सी की गुणवत्ता की जांच सिविल इंजीनियर करेंगे.
विद्यालयों की लिस्ट हुई तैयार: ऐसे में पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी भी सभी ब्लॉक एजुकेशन ऑफीसर के साथ समीक्षा करते दिखे. उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि जिन विद्यालयों में बेंच उपलब्ध हो गए हैं उसकी सूची तैयार करें और जिन विद्यालयों में अब तक बेंच उपलब्ध नहीं हुए हैं उसकी सूची तैयार करें. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि सरकार का स्पष्ट निर्देश है और उसके आलोक में तीव्र गति से कम हो रहा है. एजेंसियों के माध्यम से स्कूल में बेंच, कुर्सी और टेबल उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
1 अप्रैल तक मिला समय: पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि मिशन मोड में काम चल रहा है और पूरा प्रयास है कि 1 अप्रैल से स्कूल में बच्चे बेंच पर बैठकर ही पढ़ाई करें. कहीं भी ऐसी तस्वीर नजर नहीं आए की बेंच की कमी के कारण बच्चों को नीचे बैठना पड़ा हो. उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल को ही वह बता पाएंगे कि बीते एक महीने में कितने विद्यालयों में बेंच की कमी दूर की गई है और कुछ विद्यालय यदि बच भी जाते हैं तो उसकी भी जानकारी 1 अप्रैल तक बताई जाएगी. वह लोग अभी स्पष्ट रूप से मिशन मोड में काम कर रहे हैं कि 31 मार्च तक हर हाल में स्कूलों में बेंच कुर्सी उपलब्ध हो जाए.
होगी प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग: जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि आगामी शैक्षणिक सत्र से जिले के सभी विद्यालयों में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग की शुरुआत होगी. उन्होंने अपने कार्यालय से जानकारी प्राप्त कर बताया कि प्रदेश के साथ फीसदी मध्य विद्यालय में पूर्व से यह कार्यक्रम शुरू है. प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग में साइंस के टीचर विभिन्न टॉपिक को समझने के लिए वीडियो बनाकर या रोचक अंदाज में बच्चों को समझाते हैं. एससीईआरटी की ओर से इस संबंध में शिक्षकों का प्रशिक्षण भी हुआ है.
"मध्य विद्यालय के साइंस स्ट्रीम के जिले के सभी 659 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है. अभी के समय जींस 60% विद्यालयों में यह कार्यक्रम शुरू है. वहां ब्लॉक रिसोर्स पर्सन इसकी नागरानी करते हैं. हालांकि दीक्षा पोर्टल पर अभी भी इसका समय पर रिपोर्ट अपलोड नहीं हो रहा है जो नए क्षेत्र सत्र से प्रयास होगा कि सभी विद्यालयों का प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग का रिपोर्ट प्रतिदिन दीक्षा पोर्टल पर भी अपलोड होगा."-संजय कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी
बच्चों का साइंटिफिक टेंपरामेंट: बता दें कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रदेश के 29000 प्रारंभिक विद्यालयों में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग की शुरुआत हो रही है. इससे कक्षा 6 से कक्षा 8 के 60 लाख से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित होंगे. एससीईआरटी की ओर से कक्षा 6 से 8 तक के कक्षाओं के लिए विज्ञान विषय से संबंधित 24 प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं. इन प्रोजेक्ट्स के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से साइंस की बारीकियां बच्चे समझेंगे और शिक्षा विभाग का प्रयास है कि बच्चों का साइंटिफिक टेंपरामेंट डेवलप हो.
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