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पहले से ज्यादा खतरनाक हुआ डेंगू , ये खास उपाय आपको रखेंगे सुरक्षित - dengue fever

बारिश के मौसम के साथ ही डेंगू का खतरा बढ़ जाता है. बरसात की वजह से जगह-जगह पानी इकट्ठा होने लगता है, जिसमें डेंगू के मच्छर पनपते हैं. हालांकि, थोड़ी से सावधानी से आप डेंगू के मच्छरों के आंतक से खुद को बचा सकते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 11:47 AM IST

वाराणसी: बारिश के मौसम के साथ ही अनेक बीमारियों के दस्तक देने की शुरुआत हो जाती है. बीमारियों में सबसे ज्यादा खतरनाक डेंगू होता है.यू तो डेंगू कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन उसका भयावह स्वरूप किसी को भी दहशत में डाल सकता है. यह मुख्य रूप से बरसात के बाद अपना प्रकोप दिखाना शुरू करता है. जिसमे सबसे ज्यादा खतरनाक डेंगू का स्ट्रेन टू होता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.

मलेरिया अधिकारी एस. सी पांडेय ने दी जानकारी (etv bharat)
बता दे कि, डेंगू मुख्य रूप से मादा एडीज इजिप्ट मच्छर के काटने से होता है, इसमें शरीर में सबसे पहले प्लेटलेट्स की संख्या कम होती है. यदि सही समय पर इसका उपचार नहीं किया गया, तो मरीज के लिए जान का भी खतरा रहता है. इसलिए इस बीमारी में बचने के लिए सबसे ज्यादा जागरूकता के साथ खुद को सुरक्षित रखने की जरूरत होती है. ऐसे में एलोपैथ के साथ आयुर्वेद किस तरीके से इस बीमारी से लड़ने की इम्युनिटी देता है, इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के जिला मलेरिया अधिकारी, आयुर्वेद अस्पताल के डॉक्टर से बातचीत की. क्या है डेंगू: बातचीत में वाराणसी मलेरिया अधिकारी एस सी पांडेय ने बताया कि, डेंगू में एक भयावह बीमारी है. आंकड़े देखा तो वाराणसी में सबसे ज्यादा इस स्ट्रेन वन और टू के मरीज देखे गए थे, जिनमें टू ज्यादा खतरनाक है.वो कहते हैं कि, इसमें इलाज से ज्यादा इसके बचाव का ध्यान रखना जरूरी है, पिछले साल वाराणसी में सबसे ज्यादा डेन वन और टू के स्ट्रेन देखे गए थे .इस वर्ष अभी तक कोई डेंगू का केस नहीं आया है. लेकिन, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. वो आगे कहते हैं कि,डेंगू मच्छर के काटने से होता है, और अन्य लोगो मे फैलता है. इसमें पीड़ित मरीज के खून को जब मच्छर पीता है तब खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है. जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है.इसे भी पढ़े-डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया की चपेट में आने लगे मरीज, संचारी रोग से निपटने के लिए अस्पतालों ने शुरू की तैयारी - Medical News

ये होते है डेंगू के कारण: एस सी पांडेय ने बताया कि,मच्छर के काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. इसके लक्षण बीमारी के आधार पर अलग अलग होते है. इसमें व्यक्ति के जोड़ों में दर्द होने के साथ-साथ शरीर के प्लेटलेट काउंट्स कम हो जाते हैं. सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से तीन लाख प्लेटलेट्स होते हैं. प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं. लेकिन, अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. इसके कुछ लक्षण होते है.

1. ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
2. सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
3. आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है
4. शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना

ये है बचाव के उपाय: एस सी पांडेय ने बताया, कि डेंगू से बचाव के कुछ महत्वपूर्ण उपाय है.सबसे पहले घर में मौजूद खाली कंटेनर में पानी को जमा नहीं होने देना है.घर मे जमा हो चुके पानी को तत्काल समाप्त करना है. इसके लिए सरसों का तेल, वेजिटेबल ऑयल, पेट्रोल डीजल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हर व्यक्ति अपने घर में जहां-जहां पानी जमा है वहां पर दो-चार बूंद किसी भी तेल का प्रयोग कर सकता है, जो एंटी लारवा का काम करेगा.

लोगों को अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखना है. इसके लिए दिन में तीन से चार लीटर पानी पीना जरूरी है और यदि बुखार होता है, तो ऐसे में ओआरएस का घोल पीना बेहद जरूरी है, जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो और इन्फेक्शन यूरिन के जरिए बाहर निकलता जाए.डेंगू से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण शरीर को ढकना होता है. व्यक्ति को घर से बाहर निकलते वक्त या घर में रहते वक्त पूरे शरीर को ढक करके कपड़े पहनना चाहिए,ताकि किसी भी तरीके से वह मच्छर के संपर्क में ना आए.

आयुर्वेद के ये तरीके भी कारगर: इस बारे में वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेसर अजय गुप्ता ने बताया, आयुर्वेद में भी कुछ महत्वपूर्ण सुझाव बताए गए हैं, जिनका प्रयोग करके शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि,डेंगू बीमारी ज्यादा खतरनाक प्लेटलेट्स कम होने की वजह से होती है. प्लेटलेट्स को बढ़ाने में घरेलू नुस्खे अपनाकर इन्हें पूरा किया जा सकता है और डेंगू से सुरक्षित रहा जा सकता है.


1. एक कप पानी में एक चम्मच 10 मिली गिलोय का रस, दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 50 मिली लें.

2. सुबह और रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध के साथ लें.

3. तुलसी के पत्तों का 20 मिली रस शहद के साथ मिलाकर लें.

4. तुलसी के 10 पत्तों को 200 गिलास पानी में उबालें, और छानकर पानी को पीएं.

5.चिरायता बुखार उतारने की आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि है. इसका 20 मिली काढ़ा लें या 2 ग्राम चूर्ण पानी से लेने से बुखार उतरने लगता है.

6. विभिन्न शोध में पपीते की पत्तियों के रस को डेंगू में बहुत उपयोगी पाया गया है। इसके लिये कुछ पत्तों को पानी से अच्छी तरह धोकर और छानकर 10 -20 मिली जूस को में तीन-चार बार पिलाया जाता है। इससे शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा तेजी से बढ़ती है.

7. गेहू का ज्वार, पपीते के पत्ता और गिलोय इन सबका रस मिलाकर 50 मिली की मात्रा में पीने से भी प्लेटलेट काउंट बढ़ता है.
8. नीम, तुलसी,गिलोय ,पिप्पली , पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है. इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है.


इन शास्त्रीय औषधियां का हो सकता है प्रयोग

1. त्रिभुवनकीर्ति रस
2. अमृता सत्व
3. गोदन्ती
4. संजीवनी वटी
5. अमृतारिष्ट
6. सुदर्शन चूर्ण
7. चिरायता के क्वाथ
8. अमृतादि क्वाथ
9. लक्ष्मी विलास रस
10. जयमंगल रस

यह भी पढ़े-शहरों के अस्पतालों में रेफर हो रहे डेंगू मरीज, चुनिंदा ब्लड बैंकों पर बढ़ रहा ज्यादा दबाव

वाराणसी: बारिश के मौसम के साथ ही अनेक बीमारियों के दस्तक देने की शुरुआत हो जाती है. बीमारियों में सबसे ज्यादा खतरनाक डेंगू होता है.यू तो डेंगू कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन उसका भयावह स्वरूप किसी को भी दहशत में डाल सकता है. यह मुख्य रूप से बरसात के बाद अपना प्रकोप दिखाना शुरू करता है. जिसमे सबसे ज्यादा खतरनाक डेंगू का स्ट्रेन टू होता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.

मलेरिया अधिकारी एस. सी पांडेय ने दी जानकारी (etv bharat)
बता दे कि, डेंगू मुख्य रूप से मादा एडीज इजिप्ट मच्छर के काटने से होता है, इसमें शरीर में सबसे पहले प्लेटलेट्स की संख्या कम होती है. यदि सही समय पर इसका उपचार नहीं किया गया, तो मरीज के लिए जान का भी खतरा रहता है. इसलिए इस बीमारी में बचने के लिए सबसे ज्यादा जागरूकता के साथ खुद को सुरक्षित रखने की जरूरत होती है. ऐसे में एलोपैथ के साथ आयुर्वेद किस तरीके से इस बीमारी से लड़ने की इम्युनिटी देता है, इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के जिला मलेरिया अधिकारी, आयुर्वेद अस्पताल के डॉक्टर से बातचीत की. क्या है डेंगू: बातचीत में वाराणसी मलेरिया अधिकारी एस सी पांडेय ने बताया कि, डेंगू में एक भयावह बीमारी है. आंकड़े देखा तो वाराणसी में सबसे ज्यादा इस स्ट्रेन वन और टू के मरीज देखे गए थे, जिनमें टू ज्यादा खतरनाक है.वो कहते हैं कि, इसमें इलाज से ज्यादा इसके बचाव का ध्यान रखना जरूरी है, पिछले साल वाराणसी में सबसे ज्यादा डेन वन और टू के स्ट्रेन देखे गए थे .इस वर्ष अभी तक कोई डेंगू का केस नहीं आया है. लेकिन, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. वो आगे कहते हैं कि,डेंगू मच्छर के काटने से होता है, और अन्य लोगो मे फैलता है. इसमें पीड़ित मरीज के खून को जब मच्छर पीता है तब खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है. जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है.इसे भी पढ़े-डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया की चपेट में आने लगे मरीज, संचारी रोग से निपटने के लिए अस्पतालों ने शुरू की तैयारी - Medical News

ये होते है डेंगू के कारण: एस सी पांडेय ने बताया कि,मच्छर के काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. इसके लक्षण बीमारी के आधार पर अलग अलग होते है. इसमें व्यक्ति के जोड़ों में दर्द होने के साथ-साथ शरीर के प्लेटलेट काउंट्स कम हो जाते हैं. सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से तीन लाख प्लेटलेट्स होते हैं. प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं. लेकिन, अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. इसके कुछ लक्षण होते है.

1. ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
2. सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
3. आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है
4. शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना

ये है बचाव के उपाय: एस सी पांडेय ने बताया, कि डेंगू से बचाव के कुछ महत्वपूर्ण उपाय है.सबसे पहले घर में मौजूद खाली कंटेनर में पानी को जमा नहीं होने देना है.घर मे जमा हो चुके पानी को तत्काल समाप्त करना है. इसके लिए सरसों का तेल, वेजिटेबल ऑयल, पेट्रोल डीजल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हर व्यक्ति अपने घर में जहां-जहां पानी जमा है वहां पर दो-चार बूंद किसी भी तेल का प्रयोग कर सकता है, जो एंटी लारवा का काम करेगा.

लोगों को अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखना है. इसके लिए दिन में तीन से चार लीटर पानी पीना जरूरी है और यदि बुखार होता है, तो ऐसे में ओआरएस का घोल पीना बेहद जरूरी है, जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो और इन्फेक्शन यूरिन के जरिए बाहर निकलता जाए.डेंगू से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण शरीर को ढकना होता है. व्यक्ति को घर से बाहर निकलते वक्त या घर में रहते वक्त पूरे शरीर को ढक करके कपड़े पहनना चाहिए,ताकि किसी भी तरीके से वह मच्छर के संपर्क में ना आए.

आयुर्वेद के ये तरीके भी कारगर: इस बारे में वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेसर अजय गुप्ता ने बताया, आयुर्वेद में भी कुछ महत्वपूर्ण सुझाव बताए गए हैं, जिनका प्रयोग करके शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि,डेंगू बीमारी ज्यादा खतरनाक प्लेटलेट्स कम होने की वजह से होती है. प्लेटलेट्स को बढ़ाने में घरेलू नुस्खे अपनाकर इन्हें पूरा किया जा सकता है और डेंगू से सुरक्षित रहा जा सकता है.


1. एक कप पानी में एक चम्मच 10 मिली गिलोय का रस, दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 50 मिली लें.

2. सुबह और रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध के साथ लें.

3. तुलसी के पत्तों का 20 मिली रस शहद के साथ मिलाकर लें.

4. तुलसी के 10 पत्तों को 200 गिलास पानी में उबालें, और छानकर पानी को पीएं.

5.चिरायता बुखार उतारने की आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि है. इसका 20 मिली काढ़ा लें या 2 ग्राम चूर्ण पानी से लेने से बुखार उतरने लगता है.

6. विभिन्न शोध में पपीते की पत्तियों के रस को डेंगू में बहुत उपयोगी पाया गया है। इसके लिये कुछ पत्तों को पानी से अच्छी तरह धोकर और छानकर 10 -20 मिली जूस को में तीन-चार बार पिलाया जाता है। इससे शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा तेजी से बढ़ती है.

7. गेहू का ज्वार, पपीते के पत्ता और गिलोय इन सबका रस मिलाकर 50 मिली की मात्रा में पीने से भी प्लेटलेट काउंट बढ़ता है.
8. नीम, तुलसी,गिलोय ,पिप्पली , पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है. इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है.


इन शास्त्रीय औषधियां का हो सकता है प्रयोग

1. त्रिभुवनकीर्ति रस
2. अमृता सत्व
3. गोदन्ती
4. संजीवनी वटी
5. अमृतारिष्ट
6. सुदर्शन चूर्ण
7. चिरायता के क्वाथ
8. अमृतादि क्वाथ
9. लक्ष्मी विलास रस
10. जयमंगल रस

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