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हाईकोर्ट को रामनगर शिफ्ट करने की मांग ने पकड़ा जोर, कई बार एसोसिएशन का मिला समर्थन, जानें क्या हैं तर्क

Demand to shift Nainital High Court to Ramnagar नैनीताल से हाईकोर्ट को हल्द्वानी के गौलापार शिफ्ट करने की कवायद पर ब्रेक लगने के बाद अब शासन ने नई जमीन तलाशने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में रामनगर में हाईकोर्ट शिफ्ट करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. कई बार एसोसिएशन का समर्थन भी रामनगर को मिल रहा है. गढ़वाल और कुमाऊं के प्रवेश द्वारा रामनगर में हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की मांग करने वाले लोगों के क्या तर्क हैं, जानिए इस खबर में.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 9, 2024, 12:26 PM IST

Updated : Mar 9, 2024, 2:21 PM IST

हाईकोर्ट को रामनगर शिफ्ट करने की मांग

रामनगर: हल्द्वानी में शिफ्ट हो रहे हाईकोर्ट पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद रामनगर के सामाजिक लोगों के साथ ही अधिवक्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट रामनगर में बनाना चाहिए. हाईकोर्ट के लिए हर दृष्टिकोण से रामनगर को लोगों ने उचित बताया है. अधिवक्ताओं ने कहा कि काशीपुर बार एसोसिएशन, देहरादून बार एसोसिएशन, जसपुर बार एसोसिएशन, हरिद्वार और कोटद्वार सभी का इसको लेकर समर्थन है.

रामनगर में हाईकोर्ट बनाने की मांग: हल्द्वानी स्थित गौलापार में प्रस्तावित उच्च न्यायालय का प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाने के बाद अब रामनगर में हाईकोर्ट की सम्भावनाएं बढ़ गयी हैं. स्थानीय अधिवक्ताओं के अलावा आम जनमानस का मानना है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के लिए रामनगर से बेहतर कोई और स्थान नहीं हो सकता है. गौलापार में भूमि हस्तांतरण में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिलचस्पी न दिखाने के बाद अब हाईकोर्ट के लिए बहुमंजिल निर्माण का सुझाव दिए जाने के बाद कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार रामनगर का दावा भी नैनीताल उच्च न्यायालय के लिए विकल्प के रूप में आ सकता है.

स्थानीय लोगों का है ये तर्क: जहां तक उपयुक्त भूमि का सवाल है, रामनगर में आमपोखरा, सावल्दे आदि स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में राजस्व विभाग की भूमि उपलब्ध है. रामनगर के बेलवाल स्पिनिंग मिल की भूमि भी एक अच्छा स्थान हो सकता है. इसका स्वामित्व सिडकुल के पास है. रामनगर में हाईकोर्ट स्थापित करने के लिए अधिवक्ता और स्थानीय नागरिक अपने अपने तरह से तर्क देते हैं.

गढ़वाल कुमाऊं का प्रवेश द्वार है रामनगर: इसको लेकर भाजपा नेता गणेश रावत कहते हैं कि यह स्थान कुमाऊं और गढ़वाल के अधिकांश जिलों से समान दूरी पर है. रावत कहते हैं कि कई दफा हरिद्वार और देहरादून में हाईकोर्ट की बेंच बनाने की मांग उठी है. रामनगर में हाईकोर्ट बन जाने से यह मांग भी शांत हो जाएगी, क्योंकि रामनगर दोनों जगहों से कुछ घंटे की यात्रा दूरी पर स्थित है.

रामनगर में सीलिंग की है 20 एकड़ जमीन: वहीं अधिवक्ता पूरन नैनवाल कहते हैं कि कुमाऊं की तलहटी और पौड़ी से सटा होने से दोनों मंडलों के केंद्र में स्थित रामनगर सबसे उपयुक्त है. ये जगह सड़क और रेल से जुड़ी होने के साथ ही दिल्ली से भी सीधी आवाजाही है. रामनगर में हाईकोर्ट आने से कुमाऊं के साथ-साथ गढ़वाल के वासियों का समय भी बचेगा. साथ ही अवस्थापना विकास के लिए यहां ज्यादा संभावना है. ऐसे में इससे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता. वे कहते हैं कि यहां सीलिंग की 20 एकड़ से ज्यादा भूमि भी उपलब्ध है.

क्या कहते हैं अधिवक्ता: वहीं अधिवक्ता और राज्य आन्दोलनकारी प्रभात ध्यानी कहते हैं कि रामनगर में हाईकोर्ट बने इसकी मांग भी रामनगर के अधिवक्ता समेत नागरिक संगठन कर रहे हैं. वे कहते हैं इस मांग को कई क्षेत्रों के बार एसोसिएशन का समर्थन भी मिल रहा है. रामनगर में सरकारी भूमि का प्रयोग इसके लिए हो सकता है. साथ ही हाईकोर्ट आने से रामनगर का विकास भी होगा, क्योंकि राज्य की सबसे बड़ी न्यायपालिका होने के कारण रामनगर पर सरकार और प्रशासन भी प्रमुखता से जिम्मेदारी निभाएंगे. प्रभात ध्यानी कहते हैं कि हम क्षेत्रीय विधायक से भी इसको लेकर सरकार के सामने मांग उठाने को कहेंगे.

वहीं अधिवक्ता सुरेश चंद्र नैनवाल कहते हैं कि रामनगर हर तरह से सुविधाजनक है. रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे की सुविधा सहित निकट पंतनगर में हवाई सेवा भी उपलब्ध है. वातावरण की दृष्टि से भी रामनगर एक उचित स्थान है. खानपान सहित रहने की सुविधा भी अन्य स्थानों से यहां अधिक उपयुक्त है. वे कहते हैं कि रामनगर क्षेत्र में हाईकोर्ट खुलने से जनता को सस्ता और सुलभ न्याय मिल सकेगा.

रामनगर क्षेत्र कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार है, जोकि मैदानी, तराई भाबर क्षेत्र से जुड़ा होने के चलते वादकारियों की आसानी से पहुंच वाला होगा. यहां से बस और ट्रेन की सीधी कनेक्टिविटी है. साथ ही वादकारियों के रहने खाने के लिए सस्ते होटल, धर्मशालाएं भी हैं. क्षेत्र में हाईकोर्ट खुलने से रामनगर और आसपास के क्षेत्र का भी विकास होगा. साथ ही विकास की अपार संभावनाएं होंगी. रामनगर उच्च न्यायालय स्थापित करनेने के लिए बेहतर विकल्प है.
ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट गौलापार शिफ्ट करने की कवायद पर लगा ब्रेक, शासन ने दिए दूसरी भूमि तलाशने के निर्देश

हाईकोर्ट को रामनगर शिफ्ट करने की मांग

रामनगर: हल्द्वानी में शिफ्ट हो रहे हाईकोर्ट पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद रामनगर के सामाजिक लोगों के साथ ही अधिवक्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट रामनगर में बनाना चाहिए. हाईकोर्ट के लिए हर दृष्टिकोण से रामनगर को लोगों ने उचित बताया है. अधिवक्ताओं ने कहा कि काशीपुर बार एसोसिएशन, देहरादून बार एसोसिएशन, जसपुर बार एसोसिएशन, हरिद्वार और कोटद्वार सभी का इसको लेकर समर्थन है.

रामनगर में हाईकोर्ट बनाने की मांग: हल्द्वानी स्थित गौलापार में प्रस्तावित उच्च न्यायालय का प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाने के बाद अब रामनगर में हाईकोर्ट की सम्भावनाएं बढ़ गयी हैं. स्थानीय अधिवक्ताओं के अलावा आम जनमानस का मानना है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के लिए रामनगर से बेहतर कोई और स्थान नहीं हो सकता है. गौलापार में भूमि हस्तांतरण में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिलचस्पी न दिखाने के बाद अब हाईकोर्ट के लिए बहुमंजिल निर्माण का सुझाव दिए जाने के बाद कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार रामनगर का दावा भी नैनीताल उच्च न्यायालय के लिए विकल्प के रूप में आ सकता है.

स्थानीय लोगों का है ये तर्क: जहां तक उपयुक्त भूमि का सवाल है, रामनगर में आमपोखरा, सावल्दे आदि स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में राजस्व विभाग की भूमि उपलब्ध है. रामनगर के बेलवाल स्पिनिंग मिल की भूमि भी एक अच्छा स्थान हो सकता है. इसका स्वामित्व सिडकुल के पास है. रामनगर में हाईकोर्ट स्थापित करने के लिए अधिवक्ता और स्थानीय नागरिक अपने अपने तरह से तर्क देते हैं.

गढ़वाल कुमाऊं का प्रवेश द्वार है रामनगर: इसको लेकर भाजपा नेता गणेश रावत कहते हैं कि यह स्थान कुमाऊं और गढ़वाल के अधिकांश जिलों से समान दूरी पर है. रावत कहते हैं कि कई दफा हरिद्वार और देहरादून में हाईकोर्ट की बेंच बनाने की मांग उठी है. रामनगर में हाईकोर्ट बन जाने से यह मांग भी शांत हो जाएगी, क्योंकि रामनगर दोनों जगहों से कुछ घंटे की यात्रा दूरी पर स्थित है.

रामनगर में सीलिंग की है 20 एकड़ जमीन: वहीं अधिवक्ता पूरन नैनवाल कहते हैं कि कुमाऊं की तलहटी और पौड़ी से सटा होने से दोनों मंडलों के केंद्र में स्थित रामनगर सबसे उपयुक्त है. ये जगह सड़क और रेल से जुड़ी होने के साथ ही दिल्ली से भी सीधी आवाजाही है. रामनगर में हाईकोर्ट आने से कुमाऊं के साथ-साथ गढ़वाल के वासियों का समय भी बचेगा. साथ ही अवस्थापना विकास के लिए यहां ज्यादा संभावना है. ऐसे में इससे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता. वे कहते हैं कि यहां सीलिंग की 20 एकड़ से ज्यादा भूमि भी उपलब्ध है.

क्या कहते हैं अधिवक्ता: वहीं अधिवक्ता और राज्य आन्दोलनकारी प्रभात ध्यानी कहते हैं कि रामनगर में हाईकोर्ट बने इसकी मांग भी रामनगर के अधिवक्ता समेत नागरिक संगठन कर रहे हैं. वे कहते हैं इस मांग को कई क्षेत्रों के बार एसोसिएशन का समर्थन भी मिल रहा है. रामनगर में सरकारी भूमि का प्रयोग इसके लिए हो सकता है. साथ ही हाईकोर्ट आने से रामनगर का विकास भी होगा, क्योंकि राज्य की सबसे बड़ी न्यायपालिका होने के कारण रामनगर पर सरकार और प्रशासन भी प्रमुखता से जिम्मेदारी निभाएंगे. प्रभात ध्यानी कहते हैं कि हम क्षेत्रीय विधायक से भी इसको लेकर सरकार के सामने मांग उठाने को कहेंगे.

वहीं अधिवक्ता सुरेश चंद्र नैनवाल कहते हैं कि रामनगर हर तरह से सुविधाजनक है. रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे की सुविधा सहित निकट पंतनगर में हवाई सेवा भी उपलब्ध है. वातावरण की दृष्टि से भी रामनगर एक उचित स्थान है. खानपान सहित रहने की सुविधा भी अन्य स्थानों से यहां अधिक उपयुक्त है. वे कहते हैं कि रामनगर क्षेत्र में हाईकोर्ट खुलने से जनता को सस्ता और सुलभ न्याय मिल सकेगा.

रामनगर क्षेत्र कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार है, जोकि मैदानी, तराई भाबर क्षेत्र से जुड़ा होने के चलते वादकारियों की आसानी से पहुंच वाला होगा. यहां से बस और ट्रेन की सीधी कनेक्टिविटी है. साथ ही वादकारियों के रहने खाने के लिए सस्ते होटल, धर्मशालाएं भी हैं. क्षेत्र में हाईकोर्ट खुलने से रामनगर और आसपास के क्षेत्र का भी विकास होगा. साथ ही विकास की अपार संभावनाएं होंगी. रामनगर उच्च न्यायालय स्थापित करनेने के लिए बेहतर विकल्प है.
ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट गौलापार शिफ्ट करने की कवायद पर लगा ब्रेक, शासन ने दिए दूसरी भूमि तलाशने के निर्देश

Last Updated : Mar 9, 2024, 2:21 PM IST
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